करेंसी से लाभ

रूस-यूक्रेन तनाव का सबसे ज्यादा लाभ मिला चीन को, करेंसी युआन उच्च स्तर पर
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन संकट के बीच चीन की करेंसी युआन बुधवार को डॉलर के मुकाबले करीब चार साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। आगे युआन चीनी निर्यात को नुकसान पहुंचा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का संभावित विस्तार मॉस्को को लंबे समय में युआन होल्डिंग्स बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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युआन सुबह के कारोबार में स्थिर रहा, लेकिन दोपहर में यह चढ़ गया। घरेलू सत्र 6.3178 प्रति डॉलर पर समाप्त हुआ, जो अप्रैल, 2018 के बाद का उच्चतम समापन स्तर है। युआन भी लगभग चार साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। पश्चिमी देशों और जापान ने मंगलवार को रूस को पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों में सैनिकों को भेजने के आदेश देने के लिए नए प्रतिबंध लगाए। पश्चिमी देशों ने धमकी दी कि अगर मास्को ने अपने पड़ोसी पर चौतरफा आक्रमण शुरू करेंसी से लाभ किया तो वे आगे आएंगे।
नाम न बताने की शर्त पर एक विदेशी बैंक के एक व्यापारी ने कहा, विदेशी निवेशक लंबे समय से चीनी सॉवरेन बॉन्ड खरीद रहे हैं। प्रीमियम मंगलवार को करीब चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। निवेश बैंक चाइना इंटरनेशनल कैपिटल कॉर्प (CICC) ने एक नोट में लिखा है कि लंबी अवधि मे रूस पश्चिमी मंजूरी के कारण युआन होल्डिंग्स बढ़ा सकता है। 2017 में 0.1% की तुलना में 2021 करेंसी से लाभ करेंसी से लाभ में चीनी युआन का रूस के विदेशी भंडार का 13.1% हिस्सा था। अमेरिकी डॉलर की होल्डिंग 46.3% से गिरकर 16.4% हो गई क्योंकि रूस का केंद्रीय बैंक ग्रीनबैक से दूर हो गया।
पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन में अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में सेना भेजने के लिए रूस पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद ग्रीनबैक और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे बढ़कर 74.59 पर पहुंच गया। .
अब भूल जाइए नकद लेनदेन, कल से डिजिटल करेंसी में होंगे ट्रांजेक्शन, जानिए कैसे करेगी काम
डिजिटल मुद्रा के खुदरा पायलट परीक्षण एक दिसंबर को शुरू किया जाएगा। इसमें ग्राहक एवं बैंक दोनों शामिल होंगे।
नईदिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 दिसम्बर से रिटेल डिजिटल रुपये का पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा कर दी है। जिसमें सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के चार बैंक शामिल होंगे।फिलहाल ये प्रोजेक्ट देश के चार महानगरों मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लॉन्च होगी। इसके बाद इसे नौ अन्य शहरों में शुरू किया जाएगा।इससे पहले 1 नवंबर 2022 को रिजर्व बैंक थोक सेगमेंट में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था।
आरबीआई ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि डिजिटल मुद्रा के खुदरा उपयोग संबंधी पायलट परीक्षण एक दिसंबर को चुनिंदा जगहों पर शुरू किया जाएगा। इसमें ग्राहक एवं बैंक मर्चेंट दोनों शामिल होंगे। रिजर्व बैंक इससे पहले डिजिटल रुपये के थोक खंड का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को पूरा कर चुका है।रिजर्व बैंक के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक रुपया एक डिजिटल टोकन के स्वरूप में वैध मुद्रा होगी। इसको इस समय जारी होने वाली कागजी मुद्रा एवं सिक्कों के मौजूदा आकार में जारी किया जाएगा।
डिजिटल रुपया परंपरागत नकद मुद्रा की ही तरह धारक के लिए भरोसा, सुरक्षा एवं अंतिम समाधान की खूबियों से लैस होगा। नकदी की ही तरह डिजिटल रुपया के धारक को किसी तरह का ब्याज नहीं मिलेगा, लेकिन इसे बैंकों के पास जमा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।आरबीआई के मुताबिक डिजिटल रुपये के खुदरा उपयोग के इस परीक्षण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और आईसीआईसीआई बैंक समेत चार बैंक शामिल होंगे। डिजिटल रुपये का ये परीक्षण दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में होगा।
कैसे करेगा काम -
रिजर्व बैंक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन जैसी तकनीक पर आधारित मुद्रा होगी। जोकि नकद की तरह इलेक्ट्रॉनिक रूप में काम करेगी। वर्तमान में जैसे आप कैश ट्रांजेक्शन करते है, ठीक उसी तरह आप इलेक्ट्रॉनिक ट्रन्जेक्शन कर सकेंगे। ये काफी हद तक बिटकॉइन की करेगी।
Raipur Crime News : क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग में मुनाफे का झांसा देकर नौ लाख की ठगी
रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Raipur Crime News राजधानी के डीडीनगर निवासी एक व्यक्ति से क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग में दोगुना लाभ का झांसा देकर ठगी का मामला सामने आया है। ठगों ने उससे साढ़े 10 हजार डालर के बराबर भातीय मुद्रा (नौ लाख रुपये से अधिक) की ठगी की है।
डीडीनगर थाने में मामले की रिपोर्ट कराई गई है। पीड़ित प्रमोद कुमार ने पुलिस को बताया कि उसे एक वाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। उसमें क्रिप्टो करेंसी सहित अन्य विदेशी मुद्रा के लेन-देन संबंधी मैसेज आते थे। बिटकाइन स्टाक ट्रेडिंग के संबंध में कई लुभावनी स्कीम के मैसेज उन्हें मिलने लगे। उसने क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग में शुरुआती दौर में बहुत छोटी रकम निवेश किया, जिसका निश्चित मुनाफा मिलने लगा।
क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग में मिल रहे मुनाफे से प्रमोद का वाट्सएप ग्रुप पर करेंसी से लाभ विश्वास बढ़ता गया। उसने देश के ही एक व्यक्ति के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग में निवेश किया था। उससे संपर्क कर और जानकारी हासिल की और मोटी रकम निवेश किया। रकम मिलने में देरी होने तथा क्रिप्टो की कीमत बढ़ने का झांसा देकर ठग और अधिक रकम जमा करने के लिए प्रेरित करने लगे। तब उसे अपने साथ ठगी होने करेंसी से लाभ का एहसास हुआ।
ऐसे फंसाते हैं जाल में
बदमाश पहले वाट्सएप पर मैसेज भेजते हैं। इसमें करेंसी से लाभ कहा जाता है कि सीजीबी दुनिया का पहला सेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो करेंसी आनलाइन बैंक है। जब आप हमारे प्लेटफार्म पर डालर, पाउंड या भारतीय करेंसी जमा करते हैं, तो हम पैसे को बिटकाइन में परिवर्तित करते हैं। इसे आपकी ओर से निवेश करते हैं।
इसके बाद हम वैश्विक बाजार में निवेश करते हैं और ट्रेडिंग से होने वाले अपने लाभ से आपकी जमा राशि पर ब्याज के रूप में आपको प्रतिदिन एक प्रतिशत रिटर्न देते हैं। हम आपकी क्रिप्टो करेंसी को निवेश में भी बदलते हैं, जो आपको नियमित आधार पर ऊंची रिटर्न देता है। बाजार दरों के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता।
डीडीनगर थाने में क्रिप्टो करेंसी स्टाक ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच जारी है।
1 नवंबर से डिजिटल रुपये की शुरुआत, जानिए क्या हैं अंतर और फायदे
आरबीआई डिजिटल करेंसी: आरबीआई की डिजिटल करेंसी को लेकर पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही है। आखिरकार 1 नवंबर से भारतीय रिजर्व बैंक बड़ी डील में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इसके लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया गया है। डिजिटल मुद्रा का उपयोग सबसे पहले बड़े भुगतान और निपटान के लिए किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन करेंसी से लाभ और जोखिमों को देखते हुए सरकार ने बजट में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी। उसके बाद आरबीआई ने डिजिटल रुपया लॉन्च करने का खाका तैयार किया। रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री पर डिजिटल रुपये का इस्तेमाल सेटलमेंट राशि के तौर पर किया जाएगा। इसके बाद एक महीने के भीतर खुदरा लेनदेन के लिए एक डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। लेकिन आरबीआई का डिजिटल रुपया मान्य होगा। क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है। लेकिन डिजिटल रुपये में ऐसा कुछ नहीं होगा। क्रिप्टोकरेंसी के पीछे कोई ठोस आधार नहीं है। वहीं, डिजिटल रुपया एक अलग मुद्रा के रूप में भौतिक नोटों को छापने का विकल्प होगा। डिजिटल रुपये की सुरक्षा के लिए रिजर्व बैंक अलग से राशि भी रखेगा। क्योंकि यह डिजिटल रुपया रिजर्व बैंक की देनदारी होगी। फिजिकल नोट के सभी फीचर्स डिजिटल रुपये में भी उपलब्ध होंगे। लोगों को डिजिटल करेंसी को करेंसी नोट में बदलने की सुविधा मिलेगी। डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं है।
आम जनता के लिए डिजिटल रुपये और डिजिटल भुगतान में थोड़ा अंतर होगा। लेकिन बैंकों और आरबीआई के खातों तक पहुंचने में अंतर होगा। क्योंकि डिजिटल रुपया बैंकों की जिम्मेदारी नहीं बल्कि आरबीआई की जिम्मेदारी होगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने बैंक में पैसा जमा किया है, तो यह बैंक की देनदारी है। क्योंकि बैंक को यह पैसा ग्राहक को मांग के अनुसार वापस करना होता है। लेकिन डिजिटल रुपया बैंक की नहीं बल्कि सीधे आरबीआई की जिम्मेदारी होगी। एक और अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी से लाभ रुपये पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। बैंक में पैसा जमा करने पर उस पर ब्याज मिलता है। लेकिन डिजिटल रुपये पर कोई ब्याज नहीं लगेगा।
डिजिटल रुपये को यूपीआई से भी जोड़ा जाएगा, जो डिजिटल भुगतान प्रणाली की एक प्रमुख कड़ी है। ताकि लोग पेटीएम, फोनपे जैसे अन्य महत्वपूर्ण वॉलेट से लेनदेन कर सकें। जैसे 10, 20, 50, 100, 500 के नोट। एक व्यक्ति के पास कितना डिजिटल पैसा हो सकता है, इसकी भी सीमा तय की जा सकती है। डिजिटल मुद्रा से भुगतान करते समय गोपनीयता बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा। चुनिंदा सरकारी एजेंसियों के अलावा किसी और को डिजिटल रुपये से किए गए लेन-देन की पूरी और करेंसी से लाभ सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती है.
डिजिटल करेंसी होने से नोटों की छपाई, बैंक शाखाओं, एटीएम तक पहुंचाने का खर्च बचेगा। साथ ही नोटों के जलने, काटने और गीले होने की समस्या से भी निजात मिलेगी। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई को सिर्फ नोट छापने के लिए करीब 5 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। शेष वर्ष के लिए, मुद्रित मुद्रा की मात्रा के साथ यह लागत घटती और बढ़ती है। इससे निपटान का जोखिम भी कम होगा। नए जमाने के उद्यमी भी इसके आधार पर नई तकनीक के उत्पाद ला सकेंगे।