एक दिन के व्यापारी की मूल बातें

Gujarat Assembly Elections 2022: ये 10 मुद्दे गुजरात विधानसभा चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे
गुजरात में चुनाव दो चरणों में होंगी. पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी. वहीं दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होनी है. नतीजों का ऐलान हिमाचल प्रदेश के चुनावों के साथ 8 दिसंबर को होगा.
By: ABP Live | Updated at : 25 Nov 2022 05:00 PM (IST)
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022
Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही समय बचा हुआ है. सभी सियासी दल जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. राज्य में बीजेपी,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कांटे की टक्कर का मुक़ाबला देखा जा रहा है. गुजरात में चुनाव दो चरणों में होगी. पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी. वहीं दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होनी है. नतीजों का ऐलान हिमाचल प्रदेश के चुनावों के साथ 8 दिसंबर को होगा. गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 92 है. राज्य में कुल 4.91 करोड़ मतदाता है.
आइये बात करते है दस मुद्दे गुजरात विधानसभा चुनाव में जो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे :
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता : प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात और वहां के लोगो से काफी ख़ास रिश्ता है. मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके है जो 2001 से 2014 तक कुर्सी पर थे. बीजेपी के पास पीएम मोदी के रूप में एक तुरुप का इक्का है. उन्हें कुर्सी छोड़े हुए आठ साल हो गए हैं लेकिन अपने गृह राज्य में समर्थकों पर उनका प्रभाव अभी भी कायम है. आगामी चुनावों में मोदी निर्णायक भूमिका निभाएंगे ऐसा माना जा रहा है.
2. मोरबी ब्रिज ढहने की घटना : 30 अक्टूबर 2022 को मोरबी में 135 लोगों की जान लेने वाले पुल के ढहने से प्रशासन और अमीर व्यापारियों के बीच सांठगांठ सामने आ गई है. जब लोग अगली सरकार चुनने के लिए मतदान करने जाएंगे तो उनके दिमाग में यह मुद्दा हावी होने की संभावना है.
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3. गुजरात में सत्ता विरोधी लहर : गुजरात में 1998 के बाद से बीजेपी का राज चल रहा है. 24 सालों से इस राज्य में लगातार बीजेपी की ही सरकार बनी है. जनता में असंतोष बढ़ रहा है, ऐसा राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है. लोगों का ऐसा भी मानना है कि बीजेपी के इतने सालों की सरकार के बाद भी महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं.
4. बिलकिस बानो केस : गुजरात को संघ परिवार की हिंदुत्व प्रयोगशाला माना जाता है. मुस्लिम बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं जबकि हिंदुओं का एक वर्ग इस मुद्दे को नजरअंदाज करना चाहेगा. मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी.
5. सरकारी भर्ती के परीक्षा में घोटाले : काफी सारे पेपर लीक होने की खबर सामने आई है और स्थगित भी हुई है. सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए लोग काफी मेहनत करते हैं. ख़ास कर के नौजवान लोग लेकिन ऐसी घटनाओं के होने से लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है, जिससे काफी नाराजगी है.
6. मूल शिक्षा एवं अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं : अगर अच्छे स्कूलों का निर्माण किया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो शिक्षकों की कमी होती है और अगर अच्छे शिक्षक हैं तो शिक्षा को प्रभावित करने वाले कक्षाओं की कमी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और डॉक्टरों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत प्रभाव डालती है.
7. बिजली के दाम : गुजरात में बिजली दर देश में सबसे अधिक है. लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त देने की पेशकश का इंतजार कर रहे हैं. दक्षिणी गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में वाणिज्यिक बिजली शुल्क में कमी की मांग करते हुए कहा कि उन्हें 7.50 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा.
8. ख़राब सड़क व्यवस्था : एक समय हुआ करता था जब गुजरात की सड़के बहुत शानदार हुआ करती थी और पूरे देश में प्रसिद्ध थी. लेकिन पिछले पांच से छह वर्षों में गुजरात सरकार और नगर निगम पुरानी सड़कों में न तो मरम्मत करा पाए और न ही नयी अच्छी सड़क का निर्माण कर पाए. पूरे राज्य में सड़कों में गड्ढों की शिकायत है.
9. किसान आंदोलन : किसान राज्य के कई हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि पिछले दो वर्षों में ज्यादा बारिश होने के कारण उन्हें फसल के नुकसान का मुआवजा नहीं दिया गया है.
10. किसानों के बीच भूमि अधिग्रहण के मुद्दे : विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें किसानों और जमींदार में असंतोष है. उदाहरण के लिए, किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया, उन्होंने वडोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया था.
Published at : 25 Nov 2022 05:00 PM (IST) Tags: Gujarat Polls Basic एक दिन के व्यापारी की मूल बातें Education PM Modi Gujarat Assembly Election 2022 Gujarat Assembly Elections 2022 Morbi Bridge Collapse हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Elections News in Hindi
बीजेपी ने 'प्रिज़न ब्रेक' से प्रेरित पोस्टर के साथ सत्येंद्र जैन के जेल वीडियो की निंदा की
नई दिल्ली : दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की कथित जेल सेल सीसीटीवी फुटेज से जुड़े विवाद में एक रचनात्मक मोड़ में, भाजपा एक लोकप्रिय अमेरिकी श्रृंखला 'प्रिज़न ब्रेक' से प्रेरित पोस्टर लेकर आई है, जहां मूल अभिनेताओं के चेहरों को उनके चेहरे से बदल दिया गया है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल और जैन।
पोस्टर को दिल्ली भाजपा के हैंडल से ट्वीट किया गया है, मूल पोस्टर को 'प्रिज़न में ब्रेक' शीर्षक के तहत 'आप का तिहाड़ दरबार सीरीज़' शीर्षक के तहत फिर से कल्पना किए गए संस्करण के साथ जोड़ा गया है।
बीजेपी दिल्ली के ट्वीट में लिखा है, "यूएसए में: दिल्ली में प्रिज़न ब्रेक सीरीज़: तिहाड़ में आप सरकार के सौजन्य से प्रिज़न (एमईएन) ब्रेक सीरीज़ रिलैक्स, कायाकल्प, आनंद लें।"
इससे पहले 27 नवंबर को, सूत्रों के अनुसार जो कथित फुटेज सामने आया था, वह 13 सितंबर, 15 और 1 अक्टूबर का था, जिसमें विजुअल्स में पुरुषों को जेल की कोठरी के फर्श पर झाडू लगाते और मंत्री के बिस्तर की व्यवस्था करते हुए दिखाया गया है। 12 सितंबर के विजुअल्स में जैन को जेल की अपनी कोठरी के अंदर अन्य लोगों के साथ बातचीत करते हुए देखा गया था।
यह चौथा सीसीटीवी फुटेज है जो दिल्ली के जेल मंत्री से संबंधित सामने आया है। 19 नवंबर को सामने आए पहले कथित दृश्यों में मंत्री को पूरे शरीर की मालिश करते हुए दिखाया गया है। दूसरा कथित फुटेज 23 नवंबर को सामने आया, जिसके एक दिन बाद जैन के वकील ने ट्रायल कोर्ट के अंदर दावा किया कि हिरासत के दौरान मंत्री का वजन 28 किलो कम हो गया था। फुटेज में जैन को विस्तृत और व्यापक भोजन करते देखा गया था। दिलचस्प बात यह है कि सूत्रों ने बताया था कि मंत्री ने इसके बजाय 8 किलो वजन बढ़ाया था।
26 नवंबर को सामने आए तीसरे कथित फुटेज में मंत्री वर्तमान में निलंबित जेल अधीक्षक अजीत कुमार समेत कुछ लोगों से बातचीत करते दिख रहे हैं।
इससे पहले शनिवार को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने जैन के 26 नवंबर के वीडियो को लेकर आप की आलोचना की और इसे "भ्रष्टाचार का आप का दरबार" करार दिया।
शहजाद ने कहा कि यह श्रृंखला में तीसरा वीडियो था - पहले आप ने तिहाड़ में एक 'स्पा' बनाया, जहां दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक बच्चे के बलात्कारी से 'मालिश' कराई और आप ने इसे फिजियोथेरेपी का नाम दिया।
उन्होंने कहा कि अब एक वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे उन्हें जेल के अंदर "दरबार" आयोजित करने की अनुमति दी गई। (एएनआई)
एक दिन के व्यापारी की मूल बातें
संसाधन की कमी बनाम संसाधन संरक्षण। किसी भी जगह में संसाधनों की कमी होना आम बात है। खास तब होता है, जब तकनीक और जिम्मेदारी के अहसास से कम संसाधन को बर्बाद होने से बचाया जाए। भरपूर बिजली-पानी होने के बाद भी उसकी बर्बादी हमारे देश में आम चलन है। लेकिन, जिन जगहों पर बिजली-पानी की कमी हो, वहां कमतर में भी बेहतर किया जा सकता है। ग्राम पंचायत लोकतंत्र की सबसे छोटी ही नहीं, लोकतंत्र की अगुआ इकाई भी होती है। अगर यह इकाई जिम्मेदारी और आत्मविश्वास से अपनी जिम्मेदारी पूरी करे तो आगे भी विकास की गाड़ी के बेपटरी होने का खतरा नहीं रहता है। तमिलनाडु में मुकुलम ग्राम पंचायत की अध्यक्ष कंचना के. ने अपने कार्यक्षेत्र में इसी तरह की जिम्मेदारी दिखाई है। तीन साल पहले ग्राम पंचायत की अध्यक्ष का पद संभालते ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि वे सरकारी मशीनरी का वह हिस्सा बनेंगी जो आगे के कल-पुर्जों को जाम होने से बचाएगा। कंचना ने ग्रामीणों की मदद से ग्रांच पंचायत की खत्म हो चुकी पांच झीलों को पुनर्जीवित किया जिससे किसानों की उत्पादन क्षमता और ग्रामीणों की आय बढ़ी। उनका अगला अहम कदम था पानी-बिजली की किल्लत वाले गांव में इन दो संसाधनों की बर्बादी रोकना। मोबाइल ऐप और जागरूकता के जरिए मुकुलम ग्राम पंचायत के लोगों ने बिजली-पानी के बर्बादी पर रोक लगाई। उनकी सफलता का ही नतीजा है कि अब ने यह तकनीक धर्मपुरी जिले (तमिलनाडु) के 251 ग्राम पंचायत में भी क्रियान्वित होगी। अनिल अश्विनी शर्मा की कंचना के. से बातचीत के प्रमुख अंश
एक गांव से एक कहानी सामने आती है कि संसाधनों का सदुपयोग, जनजागरूकता या तकनीक की मदद से तस्वीर बदल दी गई। आपकी कहानी भी ऐसी है तो अाप अपने किरदार को कैसे देखती हैं?
यह तो सही है कि ग्राम पंचायत हमारे प्रजातंत्र की सबसे छोटी और सबसे अधिक महत्वपूर्ण इकाई है। बचपन से लेकर अब तक मैंने जो भी पढ़ा-लिखा और अपने बड़ों से सीखा तो यही जाना कि हमारा गांव आत्मनिर्भर होगा तो हमारा देश भी आत्मनिर्भर होगा।
हमारी बुनियादी शिक्षा की किताबों में यही बात पढ़ाई गई थी और मैंने अपने आस-पास हमेशा यही महसूस किया कि गांवों की मजबूती से ही देश की मजबूती है।
क्या आपको लगता है कि हमारे प्रजातंत्र में ग्राम पंचायत की इकाई अब भी अपनी प्रासंगिकता रखती है?
जी बिलकुल। यह प्रासंगिकता बरकरार है तभी तो मैं यहां काम कर पा रही हूं। नहीं तो फिर सब अपने सीमित दायरे तक ही रह जाते हैं। हमने अपनी सोच का दायरा बढ़ाया है तभी हमारे ग्रामीणों की सोच का दायरा बढ़ा है।
गांव में जल संरक्षण के लिए तकनीक की मदद लेने का ख्याल कैसे आया?
यह क्षेत्र लंबे समय से पानी की कमी और बार-बार बिजली कटौती से त्रस्त रहा है। ऐसे में हमने महसूस किया है कि इस पर नियंत्रण के लिए तकनीकी मदद अधिक कारगर साबित हो सकती है। तभी हमने तीन साल पहले सीगलहल्ली और 13 अन्य गांवों को नियंत्रित करने वाली मुकुलम ग्राम पंचायत के निवासियों को इस तकनीक को लेकर दोस्ताना माहौल बनाया। यह तकनीक पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करने को प्रेरित करती है। उन्हें मोटर या टैंक को किसी भी तरह के नुकसान से अवगत कराती है। हालांकि, यहां जल आपूर्ति केंद्र सरकार के जल-जीवन मिशन के तहत लगातार होती थी, लेकिन कुछ ही घंटों में घरों में पानी खत्म हो जाता था क्योंकि अधिक उपयोग होने के साथ लगातार रिसाव के कारण टैंक खाली हो जाते थे। अब इस पर पूरी तरह नियंत्रण है। संसाधन को बचाना भी संसाधन जुटाना ही होता है।
इस तरह की तकनीक से ग्रामीणों को किस प्रकार से प्रशिक्षित किया गया?
2019 में ग्राम पंचायत का कार्यभार संभालने के बाद मैंने इस दिशा में फैसला किया। कोयंबटूर स्थित सिंचाई उपकरण निर्माता एक कंपनी “नियाग्रा सॉल्यूशंस” के साथ घरों से जुड़े सभी इलेक्ट्रिक वाटर मोटर्स में एक सेंसर स्थापित करने और निवासियों को इसका उपयोग करने का तरीका सिखाने के लिए करार किया। मूल रूप से सेंसर में एक सिम कार्ड होता है, जो एक मोबाइल ऐप्लीकेशन से जुड़ा होता है। निवासियों को अपने फोन एक दिन के व्यापारी की मूल बातें पर ऐप्लीकेशन डाउनलोड करना होता है। जब भी जलस्तर में कोई बदलाव होता है तो उन्हें अपनी भाषा तमिल में एक आवाज के रूप में संदेश मिलता है। यह ऐप्लीकेशन मोटरों से टैंक तक पानी छोड़ने में लगने वाले समय को छह घंटे से घटाकर तीन घंटे करने में भी मदद करता है, जो यह तय करने के लिए आवश्यक है एक दिन के व्यापारी की मूल बातें कि बिजली कटौती के दौरान आपूर्ति प्रभावित न हो।
ग्राम पंचायत में पानी-बिजली के उपभोग को नियंत्रित करने के लिए आपने किस प्रकार से ग्रामीणों को प्रेरित किया?
मैंने देखा कि ग्रामीण क्षेत्रों में दिन में भी स्ट्रीटलाइट जलती थी। मैंने ग्रामीणों के साथ कई सभाएं की और उन्हें दिन में जलती हुई स्ट्रीटलाइट दिखाई और पूछा, क्या यह अच्छा है कि लाइट बिना किसी कारण जलती रहे? ऐसे कई सवालों को मैंने ग्रामीणों के समक्ष रखे तब जाकर उनकी समझ में आया कि उनकी लापरवाही से बहुमूल्य संसाधनों का कितना नुकसान हो रहा है। चूंकी, उन्हें इस बात का अहसास था कि बिजली कटौती से वे कितने परेशान हो जाते हैं। ऐसे में यह तय करने के लिए कि रात में ही स्ट्रीट लाइट जले हमने ग्रामीणों की मदद से ऐप के जरिए आॅटोमैटिक टाइमर की मदद ली। मैं यह कह सकती हूं कि जब आप किसी को उसकी समस्या से जोड़कर समझाते हैं तो वह उस बात को आसानी से बिना किसी हिचक के आत्मसात कर लेता है।
ग्राम पंचायत की पांच झीलों का पुनरुद्धार कैसे किया?
मुकुलम ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पांच झीलों की सफाई के लिए कई अभियान चलाए हैं। झील के आसपास का इलाका आक्रामक खरपतवारों (प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा) से भरे हुए थे, जो जल संसाधनों को समाप्त कर देते हैं और अन्य पौधों के विकास में बाधक बनते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी अधिनियम के माध्यम से ग्रामीणों ने झीलों को साफ करने में बड़ी भूमिका निभाई। अब इस पानी का उपयोग हमारी पूरी पंचायत के ग्रामीण सिंचाई के लिए किया जाता है। यही नहीं, सिंचाई के साधन होने से ग्रामीणों ने अपने खेतों एक दिन के व्यापारी की मूल बातें में अधिक फसल बोना शुरू कर दिया है। इसका सुखद परिणाम है कि आज की तारीख में प्रति 0.4 हेक्टेयर उपज में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है। झीलों में गाद नहीं जाए इसके लिए हमने पंचायत निधि का उपयोग करके झील के किनारे-किनाने कटहल, अनार, नीम और आंवले के लगभग 2,100 से अधिक पौधे रोपे। ग्रामीणों की देखभाल और बारिश ने इसे तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
यह मोबाइल ऐप बिजली-पानी बचाने में कितना कारगर रहा?
निजी ऐप ने सच में पंचायत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है। इस ऐप के जरिए पूरे ग्राम पंचायत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से निगरानी हो रही है। डाउनलोड किए गए ऐप से ग्रामीणों को अपने-अपने मोबाइल से पता चल जाता है कि पानी की मोटर को कितनी देर चलाना है और पानी के टैंक की भंडारण क्षमता कितनी है। इसी तरह से बिजली के वोल्टेज के उतार-चढ़ाव की जानकारी भी ऐप के जरिए हो जाती है। इससे पानी व बिजली की पचास फीसदी तक बचत हुई है। यह कोई मामूली बचत नहीं है। इससे बचत किए गए पानी की आपूर्ति उन ग्रामीण क्षेत्रों को मुहैया कराया जाती है जहां पानी की कमी है और जहां तक बिजली की बचत की बात है तो इससे कुल मिलाकर ग्रामीणों को अधिक समय तक बिजली मिल पाती है।
क्या पानी-बिजली की बचत संबंधी तकनीक असर आपके ग्राम पंचायत के आसपास के क्षेत्र में हुआ?
बिल्कुल हुआ। जिला प्रशासन ने हमारे काम को देखते हुए इस तकनीक को अब धर्मपुरी जिले की 251 ग्राम पंचायतों में भी लगाएगा।
आदित्यपुर : नगर निगम क्षेत्र में होर्डिंग्स पर अवैध कब्जे को लेकर टकराव की स्थिति
नगर निगम को टैक्स देकर लगाते हैं होर्डिंग, दबंग लोग जबरन कर ले रहे हैं कब्जा.
नगर निगम क्षेत्र में लगे होर्डिंग की तस्वीर.
Adityaour (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार युवकों द्वारा नगर निगम क्षेत्र में निगम कार्यालय को विधिवत टैक्स देकर होर्डिंग्स लगाई गई है. लेकिन वे इन दिनों इस बात से परेशान हैं कि उनके होर्डिंग को दबंग लोग अवैध कब्जा कर ले रहे हैं, और उन्हें भय दिखाकर चुप करा दिया जा रहा है. जबकि नगर निगम को इससे लाखों का टैक्स हर महीने प्राप्त होता है. ये शिक्षित बेरोजगार युवकों द्वारा जब नगर निगम प्रशासन से इस बात की शिकायत की जा रही है तो उन्हें यह कहकर टरका दिया जा रहा है कि निगम प्रशासन इस मामले में कुछ नहीं कर सकता यह आपका निजी व्यवसाय है. ऐसे में इन बेरोजगार युवकों के पास कोई रास्ता नहीं बचता है.
बेरोजगार युवकों परेशान किया जा रहा है
नगर निगम क्षेत्र में लगे होर्डिंग की तस्वीर
ऐसे होर्डिंग्स का व्यवसाय करने वाले युवक कहते हैं कि अगर इस बात की शिकायत थाना में भी करते हैं तो भी उन्हें राहत नहीं मिलती है. रविवार को एक पीड़ित युवक आल इंडिया तृण मूल कांग्रेस के युवा जिलाध्यक्ष के पास इस बात की शिकायत लेकर पहुंचा, उसने बताया कि उसके होर्डिंग पर एक कंपनी का होर्डिंग लगा था जिसपर आधी रात को आदित्यपुर के एक दबंग जनप्रतिनिधि ने जबरन बगैर किसी सूचना के अपना होर्डिंग चढ़ा दिया, पूछने पर उन्हें धमकी मिला कि 10 दिनों तक उसे छूना भी मत वरना अंजाम बुरा होगा. जानकारी देते हुए युवा टीएमसी जिलाध्यक्ष बाबू तांती ने कहा कि आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार युवकों को इस तरह से परेशान किया जा रहा है.
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होर्डिंग लगा कर जीविका चला रहे हैं
बेरोजगार युवक होर्डिंग बोर्ड लगवा कर अपना और अपने परिवार का जीविका चला रहे हैं. परंतु विभिन्न पार्टी के नेताओं जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी होर्डिंग बोर्ड पर अवैध कब्जा जमा लिया गया है. ऐसे में उनके रखे होर्डिंग के ग्राहक भी भाग खड़े हो रहे हैं. ऐसे में उन लोगों का परिवार कैसे चलेगा. आनेवाले दिनों में नगर निकाय के चुनाव होने हैं अगर यही स्थिति रही तो मामला खून खराबा तक पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि स्थिति अब यहां तक बन आई है कि इसके वजह से टकराव, मारपीट, और खून खराबा तक की नौबत आ पड़ी है. अगर निगम प्रशासन होर्डिंग्स धारकों को संरक्षण नहीं देती है तो बात बिगड़ भी सकती है.