वीडियो समीक्षा

हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं

हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं

मंडी में किसानों के हक पर 'डाका' डाल रहे दलाल

जबलपुर। कृषि उपज मंडी में किसानों के हक पर दलाल (बिचौलिए) डाका डाल रहे हैं। मंडी में किसानों की कोई पहचान नहीं है, जिससे अनाज की खरीद-फरोख्त दलाल कर रहे हैं। दलालों के हावी होने से किसानों को फायदा नहीं पहुंच रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं, मंडी के जिम्मेदार इस बात की दलील दे रहे हैं कि प्रदेश की 295 मंडियों में ये ही हो रहा है, जो माल लेकर आ रहा है वो ही माल बेच रहा है। मंडी किसान होने की पहचान नहीं कर पाती है। कृषि उपज मंडी की व्यवस्थाओं पर भारी पड़ रहे दलालों की हकीकत बयां करती एक्सपोज की रिपोर्ट. ।
कृषि उपज मंडी में शासन की सारी योजनाएं ढेर हो गई है। मंडी में आज भी किसान दलालों के हाथों कठपुतली बना हुआ है। किसानों की मेहनत के बाद पैदा किए गए अनाज का दाम तय कर रहा है, जिससे किसानों को उसका मूल हक नहीं मिल पा रहा है। मंडी की छानबीन की गई तो यह सामने आया कि जिले में दलाल किसानों से फसल खरीदकर उसे मंडी में ला रहा है और मंडी में वह समर्थन मूल्य पर अनाज बेच रहा है, जिससे सरकारी रेट पर वह फायदा उठा रहा है, जो किसान को मिलना था।
दलालों का माल
कृषि उपज मंडी में ट्रकों से अनाज भरा पड़ा है। सीजन की पैदावार गेहूं के बड़े-बड़े ढेर लगे हैं। एक ढेर में औसतन करीब पांच-छह ट्रक गेहूं है। यह ढेर एक किसान का नहीं है बल्कि एक दलाल का है। मौके पर बारदाने में अनाज भर रहे कर्मचारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने ये माल कथित दलाल का होना बताया। मंडी में दूसरे ढेर पर बैठे व्यक्ति से बात की गई तो उसका कहना था कि.
क्यों ये माल आपका है?
हां, है।
आप व्यापारी है क्या?
नहीं, हम किसान हैं।
ये कितना माल होगा?
करीब 250 क्ंिवटल।
यहां हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं बिचौलिए को माल बेचा जाता है?
हां, बेचा तो जाता है लेकिन हम अपना माल खुद बेचने आए हैं।
छोटे किसान क्या करते हैं?
वे बिचौलिए के पास जाते हैं। बिचौलिए माल लेकर उन्हें नकद दे देते हैं।
लेकिन समर्थन मूल्य तो नहीं मिलता होगा?
हां, लेकिन उन्हें नकद मिल जाता है। आखिर बिचौलिया भी तो कमाएगा।
चने की नीलामी
मंडी के शेड में किसानों द्वारा लाए गए चने की नीलामी की जा रही थी। इसमें मंडी कर्मचारी प्रत्येक ढेर पर पहुंचकर किसानों के सामने व्यापारियों से नीलामी करवा रहा था। उसके साथ ही रसीद काटी जा रही थी। इसमें एक रसीद व्यापारी और दूसरी रसीद किसान को दी जा रही थी। जानकारों का कहना है कि कम अनाज का व्यापारियों के बीच नीलामी दिखाई जा रही थी। यहां किसान का माल बिकते ही उसे रसीद के हवाले से शाम तक भुगतान हो रहा था।
पचास किलो से
ज्यादा पर चेक
किसानों का कहना था कि पचास किलो से अधिक माल होने पर उन्हे चेक से भुगतान मिलता है। इसलिए वे माल अलग-अलग टुकड़ों में लगा रहे थे ताकि उन्हें शाम तक नकद भुगतान हो सके। किसानों की यह भी दलील थी कि कई बार भुगतान रुक जाता है, जो एक-दो दिन बाद मिल पाता है। इसके लिए जुगाड़ करने दलालों से संपर्क करना पड़ता है। कई ढेर लगाने में उन्हें भाव नहीं मिल पाता। यहां किसान से बातचीत की तो यह सामने आया. ।
तुम्हारा चना बिक गया?
हां, बिक तो गया लेकिन बीस रुपए कम मिले।
लेकिन ये कम क्यों हो गया?
हमारे एक ढेर का 3900 रुपए मिला और दूसरे का 3700 मिला।
आखिर ये कम कैसे हो गया?
ये तो व्यापारियों ने दाम लगाए हैं, इसमें हम क्या कर सकते हैं?
लेकिन बिचौलिए भी तो ये माल ले लेते हैं?
हां, ले लेते हैं, लेकिन माल बिकने पर पैसे का इंतजार करना होता है।
कई तो तुरंत पैसा देते हैं?
वो कम देते हैं। जरूरी होता है तो हम भी माल उन्हें ही दे देते हैं। नहीं तो फिर खुद माल बेचते हैं।
ये है हकीकत
कृषि उपज मंडी में मौजूद किसानों से बातचीत में बताया कि गांव से मंडी तक माल लाने में खर्च और समय दोनों ही जाते हैं। इससे अच्छा थोड़ा घाटा लेकर नकद माल बेच देते हैं। यह माल हमारे घर से ही उठाया जाता है। जानकार कहते हैं कि समर्थन मूल्य से कम पर दलाल माल खरीदते हैं और यह माल मंडी में लाकर उसे बेचते हैं। इससे उन्हें खासा फायदा हो जाता है। दस किसानों का माल बेचने में एक मुश्त रकम उन्हें मिल जाती है। इसके अलावा सरकार द्वारा योजनानुसार दी जाने वाली राशि का भी लाभ हो जाता है।
सीधी बात
आरके सैयाम, सचिव, कृषि उपज मंडी
मंडी में अनाज का ढेर लगा है, क्या ये एक ही किसान का है?
हां, हो सकता है।
हो सकता है यानि आपको नहीं मालूम कि माल किस किसान का है?
मंडी में जो अनाज आ रहा है हम उसे खरीदते हैं और उसकी रसीद दी जाती है। कुछ में हम किसानों का माल व्यापारियों को बिकवा देते हैं।
लेकिन ये अनाज किसान का है या नहीं, क्या इसे देखा नहीं जाता है?
मंडी में अनाज किस व्यापारी का आ रहा है, इसे हम आइडेंटीफाइ नहीं कर पाते हैं।
लेकिन मंडी तो किसानों के लिए है, यह फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं?
हां, बिचौलिए हो सकते हैं। प्रदेश की मंडी में हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं यही चल रहा है। हम इसके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं।
आखिर किसान की पहचान क्यों नहीं हो पाती है?
पहचान होने पर वह बही पेश कर देता है और दावे के साथ यह बता सकता है कि यह उपज उसकी है।
इससे तो किसानों को नुकसान हो रहा है?
नुकसान कैसा। ऑफ द रिकॉर्ड बात करें तो किसान पहले ही नकद ले लेता है और माल उसके घर से ही उठ जाता है।
लेकिन मंडी का रेट तो उसे नहीं मिलता?
थोड़ा कम मुनाफा मिलता है लेकिन उसे माल लाने ले जाने की झंझट नहीं होती है और न ही पेमेंट के लिए भटकना पड़ता है। किसान के माल बिकने पर उसे सरकार की योजना का लाभ तो मिलता है।
लेकिन इसमें तो किसान को सीधे फायदा नहीं होता?
यह जरूर है लेकिन बिचौलिए भी तो पैसा लगाते हैं, वे भी कुछ फायदा तो लेंगे ही।

स्मार्ट मनीः. ध्यान हटा पैसा फंसा

श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस पांच साल की जमा पर सालाना 9.25 प्रतिशत की ब्याज दर की पेशकश कर रहा है. बजाज फाइनेंस तीन से पांच साल की जमा राशि के लिए 8.हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं 75 प्रतिशत ब्याज की पेशकश कर रहा है तो डीएचएफएल तीन से 10 साल के जमा पर 9 प्रतिशत ब्याज की पेशकश कर रहा है.

स्मार्ट मनी एनबीएफसी/कंपनी डिपॉजिट्स

मंजीत ठाकुर/संध्या द्विवेदी

  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2019,
  • (अपडेटेड 10 जनवरी 2019, 4:14 PM IST)

साल 2018 में ब्याज दरों में वृद्धि देखी गई क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने रेपो रेट (वह दर जिसपर आरबीआइ बैंकों को कर्ज देता है) को दो बार 25 आधार अंक (प्रत्येक 100 आधार अंक एक प्रतिशत के बराबर) बढ़ा दिया. इससे बैंकों ने सावधि हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं जमा के साथ कर्ज की दरें भी बढ़ा दीं. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) वर्तमान में एक से 10 वर्ष तक की जमा पर 6.8 से 6.85 प्रतिशत की ब्याज दर की पेशकश कर रहा है. ऐसे लोग जो उच्चकर दायरे में आते हैं उनके लिए कर अदायगी के बाद रिटर्न क्रमशः 4.76 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत पर आ जाएगा.

हालांकि, कुछ गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) अक्तूबर-नवंबर के बाद से 9 प्रतिशत या उससे अधिक की उच्च ब्याज दर की पेशकश कर रही हैं. आइएलऐंडएफएस संकट के बाद तरलता के लिहाज से एनबीएफसी की स्थिति खराब हो गई, जिससे उन्हें खुदरा जमा पर ब्याज बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा. कोटक महिंद्रा असेट मैनेजमेंट कंपनी की मुख्य निवेश अधिकारी (ऋण) व उत्पाद प्रमुख लक्ष्मी अय्यर कहती हैं, ''हाल में शुरू हुई तरलता चुनौतियों के कारण एनबीएफसी क्षेत्र ज्यादा जोखिम उठाने से झिझक रहा है. कैपिटल मार्केट फंडिंग, विशेष रूप से म्यूचुअल फंड से अल्पकालिक होती है. इसलिए हो सकता है कि कंपनियां ऐसा अपने उधार के स्रोतों में विविधता लाने के लिए कर रही हों. उधार के नए स्रोतों को खोलने के लिए जमाराशि पर उच्च ब्याज का प्रस्ताव दिया जा रहा होगा.''

श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस पांच साल की जमा पर सालाना 9.25 प्रतिशत की ब्याज दर की पेशकश कर रहा है. बजाज फाइनेंस तीन से पांच साल की जमा राशि के लिए 8.75 प्रतिशत ब्याज की पेशकश कर रहा है तो डीएचएफएल तीन से 10 साल के जमा पर 9 प्रतिशत ब्याज की पेशकश कर रहा है. कर चुकाने के बाद ये नौ प्रतिशत वाली ब्याज दरें प्रभावी रूप से लगभग 6.3 प्रतिशत हो जाएंगी. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ये ज्यादा आकर्षक दरें हैं.

क्या कंपनी डिपॉजिट उचित विकल्प है?

कंपनी डिपॉजिट आमतौर पर बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में अधिक ब्याज दरों की पेशकश करते हैं. इससे निवेशक को लंबी अवधि के लिए उच्च ब्याज दरों के साथ मगर पैसा रोके रखने में मदद के साथ मासिक, छमाही और वार्षिक ब्याज भुगतान का विकल्प मिलता है. यह नियमित आय का विकल्प तलाश रहे लोगों के लिए मुफीद है.

हालांकि, कंपनियों के ये फिक्स्ड डिपॉजिट पर रिटर्न चाहे जितने आकर्षक दिखते हों लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यहां जमा किए गए पैसे पर, बैंक डिपॉजिट की तुलना में ज्यादा जोखिम रहता है. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के मामले में 1 लाख रुपये तक का जमा पूरी तरह सुरक्षित होता है और बैंकों के डिफॉल्ट होने हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं की आशंका कम होती है जबकि कंपनियों में जमा राशि पर जोखिम बना रहता है.

कंपनियों में किया गया जमा आमतौर पर असुरक्षित ऋण हैं और डिफॉल्ट की स्थिति में निवेशकों के पास कानूनी सहारा भी सीमित ही रह जाता है. इसलिए, कॉर्पोरेट डिपॉजिट एक बुरा विकल्प नहीं है, लेकिन आपको चैकन्ना रहने की भी जरूरत है. इन्वेस्ट ऑनलाइन डॉट इन के संस्थापक अभिनव अंगिरिश कहते हैं, ''जमा के संबंध में निर्णय लेते समय ब्याज दरें एकमात्र कारक नहीं होती हैं. सुरक्षित निवेश के लिए कुछ शोध और छानबीन कर लेना विवेकपूर्ण रहेगा.''

सिनर्जी कैपिटल के एमडी, विक्रम दलाल सलाह देते हैं, ''निवेश से पहले प्रबंधन, वार्षिक खाते, रेटिंग और कंपनी के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड जैसे कारकों को जरूर देखा जाना चाहिए. यदि आपके पास कंपनी का वित्तीय विश्लेषण करने की क्षमता या संसाधन हैं, तभी कंपनी डिपॉजिट में निवेश करना फायदेमंद होगा.''

लक्ष्मी कहती है, ''खुदरा निवेशक को कंपनी जमा के लिए तभी जाना चाहिए जब उसने कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में गहन शोध किया हो. ध्यान रखें- आपकी मूल पूंजी का वापस आना भी महत्वपूर्ण है, केवल पूंजी पर होने वाली आय ही महत्वपूर्ण नहीं है.'' बेहतर होगा कि अपना सारा पैसा किसी एक कंपनी के डिपोजिट में डालने की बजाय, इसे कई विकल्पों में रखें. निवेश का यह मंत्र ज्यादा लाभकारी सिद्ध हो सकता है. —रेणु यादव

किसी कंपनी के फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डालने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

-ऐसी कंपनियों के डिपॉजिट से दूरी बनाएं जो बहुत ज्यादा ब्याज दे रही हैं

-कंपनी की रेटिंग देख लें, एएए+ रेटिंग देने वाली कंपनियों के साथ जाना बेहदर होगा.

ओटी के बाहर तक दलालों का कब्जा

केजीएमयू में ऑपरेशन थिएटर के बाहर तीमारदारों को बेचा जा रहा सर्जरी का सामानएनबीटी स्टिंग नियमानुसार केजीएमयू में ऑपरेशन के दौरान जरूरी सामान शासन .

केजीएमयू में ऑपरेशन थिएटर के बाहर तीमारदारों को बेचा जा रहा सर्जरी का सामान

नियमानुसार केजीएमयू में ऑपरेशन के दौरान जरूरी सामान शासन से मिलने वाले बजट से उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। कोई सामान न होने पर तीमारदार से मंगवाया जा सकता है। केजीएमयू में स्थित मेडिकल स्टोर या अमृत फार्मेसी से सामान लेने की सलाह दी जानी चाहिए, वहां काफी छूट मिलती है। हकीकत कुछ और ही है। ऑपरेशन थियेटर तक दलालों की पहुंच के कारण ज्यादातर सामान ही तीमारदारों से मंगवाया जा रहा है। ओटी के बाहर खड़े तीमारदार को सामान की लिस्ट देते ही दलाल घेर लेते हैं। कई बार खुद कर्मचारी या गार्ड ही दलालों के पास भेज देते हैं। हकीकत जानने के लिए गुरुवार को केजीएमयू के कई विभागों की ओटी का जायजा लिया गया। तकरीबन सभी जगह दलालों की सेंधमारी उजागर हुई। इतना नहीं पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में केजीएमयू के एचआरएफ फंड से संचालित होने वाले मेडिकल स्टोर का संचालक ही दलालों से सामान मंगवाकर मरीजों को देता पाया गया। पूरे खेल का खुलासा करती जीशान हुसैन राईनी की रिपोर्ट।

डॉक्टरों की मिलीभगत : एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि ऑपरेशन के सामान पर डॉक्टरों को कमिशन नहीं बल्कि गिफ्ट दिए जाते हैं। इसके बदले में दुकान से जुड़े लोगों को ओटी तक आने-जाने दिया जाता है। एक दलाल ने भी माना कि डॉक्टरों की सेटिंग के बिना ओटी तक पहुंचना संभव नहीं है।

\Bरिपोर्टर : आपके मरीज को क्या हो गया है ?

तीमारदार : पीलिया हो गया था। ऑपरेशन हो रहा है।

रिपोर्टर : सर्जरी का सामान कहां से लिया ?

तीमारदार : एक डीलर ने यहीं लाकर दे दिया।

रिपोर्टर : मुझे भी जरूरत है, सामान लाने वाला कहां मिलेगा ?

तीमारदार : ओटी के बाहर ही खड़ा रहता है। मुझे भी यही मिला था। बीस प्रतिशत छूट भी देता है।

रिपोर्टर : डॉक्टर ने कहा था डीलर से सामान लेने के लिए‌‌?

तीमारदार : नहीं, डॉक्टर ने सिर्फ पर्चा दिया था।

रिपोर्टर : रुपये पहले लेते हैं या बाद में ?

तीमारदार : सामान लाकर देने के बाद रुपये लिए थे। 12 प्रतिशत जीएसटी भी लेते हैं।

रिपोर्टर : पक्का बिल देते हैं ?

तीमारदार: कच्चा बिल दिया है। कहा था पक्का बिल लेने पर सामान वापस नहीं होगा।

\Bरिपोर्टर : आपके मरीज को क्या हुआ?

तीमारदार : भतीजे का एक्सिडेंट हो गया था, ऑपरेशन होना है।

रिपोर्टर : सामान कहां से खरीदा?

तीमारदार : चौक की निजी पैथॉलजी से ब्लड मंगाया था। सर्जरी का सामन भी वहीं के कर्मचारी ने पहुंचा दिया।

रिपोर्टर : डिस्काउंट भी दिया है?

तीमारदार: डिस्काउंट तो नहीं दिया है, लेकिन यहां लाकर दे दिया तो डिस्काउंट क्या मांगते।

रिपोर्टर : मुझे भी मरीज की सर्जरी करवानी है। सामान कैसे मंगवाएं?

तीमारदार: नंबर ले लीजिए। चौक में ही मेडिकल स्टोर है, यहां भी सामान पहुंचा देंगे।

\Bपीडियाट्रिक सर्जरी \B

रिपोर्टर : किसकी सर्जरी हो रही है?

तीमारदार : मेरे एक महीने 13 दिन के बच्चे आंतें चिपक गई हैं, उसी का ऑपरेशन होना है।

रिपोर्टर : सामान की लिस्ट मिली?

तीमारदार: नहीं, ओटी से कोई निकला था। बताया नीचे मेडिकल स्टोर पर जाओ, सूची ऑनलाइन भेज दी गई है।

रिपोर्टर : तो विभाग के मेडिकल स्टोर पर ही सारा सामान मिल गया?

तीमारदार : सामान था ही नहीं। संचालक ने बाहर के किसी मेडिकल स्टोर से सामान मंगवाकर दिया। 2150 रुपये का सामान मिला बाकी 3500 रुपये का बाहर से मंगवाकर दिया।

तीमारदार : नहीं, बिल मांगने पर कहा-पहले सर्जरी करवाओ बाद में देंगे।

रिपोर्टर : आपने मेडिकल स्टोर संचालक से कहा था कि जो सामान नहीं है उसे हम खुद ले लेंगे ?

तीमारदार: खुद ही करने लगा कि हम मंगवाए दे रहे हैं, पैसे दे देना। हमारे पास सूची भी नहीं थी।

प्लास्टिक सर्जरी \B

रिपोर्टर : किसकी सर्जरी होनी है ?

तीमारदार : मेरी बच्ची के हाथ का ऑपरेशन होना है।

रिपोर्टर : सामान कहां से लिया है?

तीमारदार : ओटी के बाहर ही सामान मिल गया, यहीं रुपये दे दिए। आप क्यों पूछ रहे हैं ?

रिपोर्टर: मुझे भी सामान मंगवाना है। जिससे आपने मंगवाया उससे संपर्क कैसे हुआ?

तीमारदार : ओटी के बाहर बैठा गार्ड मेडिकल स्टोर का नंबर दे देगा।

रिपोर्टर : अगर किसी और से सर्जरी का सामान ले तों ?

तीमारदार: नहीं ले सकते। सर्जरी का सामान तो यहीं से लेना होगा। बाद की दवाएं आप खुद ले सकते हैं।

रिपोर्टर: ऐसा क्यों कह रही हैं?

तीमारदार: अरे पहले भी एक ऑपरेशन करवा चुकी हूं। सब सेटिंग होती है, कमिशन का खेल है।

\Bप्लास्टिक सर्जरी विभाग के गार्ड से बात

\Bरिपोर्टर: भैया, कल सर्जरी होनी है सामान कहां से लें ?

गार्ड: एक नंबर दे रहा हूं उसी पर कॉल करो, यहीं सामान दे जाएगा।

रिपोर्टर: दवाएं भी देगा ?

गार्ड: नहीं, सिर्फ सर्जरी का सामान सप्लाई करता है। दवाइयां बाहर से खरीद लेना।

आरआईए और दलाल: अंतर क्या है? | इन्वेस्टमोपेडिया

बड़े पैमाने पर आग बिहार & # 39 में बाहर तोड़ दिया, अररिया जिला s (नवंबर 2022)

आरआईए और दलाल: अंतर क्या है? | इन्वेस्टमोपेडिया

विषयसूची:

वित्तीय सलाह की तलाश करते समय अधिकांश लोग पंजीकृत निवेश सलाहकारों (आरआईए) या दलालों की ओर देखते हैं, लेकिन वे दोनों के बीच वफादारी में अंतर के बारे में नहीं जानते हैं। जबकि आरआईए को हमेशा ग्राहकों के सर्वोत्तम हित में करना चाहिए, निवेश बैंकों को केवल यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत होती है कि निवेश एक ग्राहक के लिए उपयुक्त है, जब कमीशन और फीस की बात आती है तो ब्याज के संघर्ष का संभावित स्रोत बनाते हैं। इस लेख में, हम निवेश सलाहकारों और दलालों के बीच के मतभेदों पर अधिक ध्यान देंगे और अपने ग्राहकों को अपने कानूनी कर्तव्यों का अधिक विस्तार से पता लगायेंगे।

सलाहकारों के फ्यूज़िअरी ड्यूटी

वित्तीय सलाहकार - जिन्हें पोर्टफोलियो प्रबंधकों, परिसंपत्ति प्रबंधकों या धन प्रबंधकों के रूप में भी जाना जाता है - ऐसे निवेश पेशेवर हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अन्य लोगों को सलाह देते हैं कि उन्हें खरीदना चाहिए या नहीं , प्रतिभूतियों को बेचने या विनिमय करना एक सलाहकार बनने के लिए, उन्हें सीरीज़ 65 या सीरीज़ 66 परीक्षाएं पूरी करनी होंगी और प्रमाणित वित्तीय योजनाकार (सीएफपी) प्रमाणीकरण जैसे अतिरिक्त प्रमाणपत्र भी रख सकते हैं। (और अधिक के लिए, देखें: एक वित्तीय सलाहकार चुनना: उपयुक्तता बनाम फ़िडिय्यूरी मानकों ।)

1 9 40 के निवेश सलाहकार अधिनियम को ग्राहकों के सर्वोत्तम हितों को हर समय अपने ऊपर रखकर और वफादारी और देखभाल के लिए कर्तव्यों का पालन करके ग्राहकों के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के लिए एक निवेश सलाहकार की आवश्यकता है इन नियमों के तहत, सलाहकारों को अपनी योग्यता, सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए, मुआवजा, फीस, विश्लेषण की विधियां, अनुशासनात्मक कार्रवाइयां और किसी भी अनुबंध से पहले निवेश सलाह प्रदान करने के लिए हस्ताक्षर किए जाने से पहले ब्याज के किसी भी टकराव का खुलासा करना चाहिए।

उदाहरण के लिए, किसी सलाहकार को एक विशिष्ट निधि का जिक्र करके एक उच्च कमीशन की पेशकश की जा सकती है, लेकिन जब से फंड का उच्च व्यय अनुपात होता है, तो सलाहकार कानूनी तौर पर उनके लिए कम लागत निधि की सिफारिश करने के लिए बाध्य हो सकता है ग्राहक। श्रम की नवीनतम आवश्यकताओं का विभाग भी कुछ ग्राहक शिक्षा आवश्यकताओं को अनिवार्य कर सकता है ताकि ग्राहकों को यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया जा सके कि वे अपने परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए क्या कर रहे हैं। (अधिक जानकारी के लिए, देखें: एक वित्तीय सलाहकार का चयन करके अपने घर को प्राप्त करें ।)

दलालों की उपयुक्तता आवश्यकताएं

निवेश दलालों - धन प्रबंधकों, वित्तीय सलाहकारों, वित्तीय सलाहकारों और भी पंजीकृत प्रतिनिधियों - निवेश पेशेवर हैं जो क्लाइंट खातों के लिए प्रभाव लेनदेन करते हैं। दलाल बनने के लिए, इन पेशेवरों को बेची जाने वाली उत्पादों के आधार पर श्रृंखला 7 और अन्य लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। ये लाइसेंसिंग परीक्षा आमतौर पर ग्राहकों को उत्पाद और उपयुक्तता जानने पर केंद्रित होती हैं

1 9 40 के निवेश सलाहकार अधिनियम में यह बताया गया है कि ब्रोकर के रूप में अपने व्यापार के संचालन के लिए केवल सलाहकार सेवाओं का प्रदर्शन करने वाले दलालों को विशुद्ध जिम्मेदारियों से छूट दी जाती है, जब तक उन्हें कोई विशेष क्षतिपूर्ति नहीं मिलती हैइसके बजाय, दलालों को एक कम मानक का पालन करना चाहिए जो उपयुक्तता के रूप में जाना जाता है, जिसके लिए ब्रोकर के लिए निवेश की अनुशंसा होती है जो क्लाइंट के लिए उपयुक्त हों, लेकिन जरूरी नहीं कि उनके सर्वोत्तम हित में। (अधिक जानकारी के लिए, अपने निवेश सलाहकार - शुल्क या कमीशन का भुगतान करें? )

उदाहरण के लिए, एक दलाल एक ग्राहक को निवेश को बेच सकता है जो उन्हें सबसे ज्यादा कमीशन देता है, जब तक कि निवेश माना जाता है ग्राहक के लिए उपयुक्त दलाल को अन्य तरीकों से निवेश को बेचने में भी प्रोत्साहित किया जा सकता है, लेकिन कानून द्वारा ग्राहक द्वारा रुचि के उन संभावित संघर्षों का खुलासा करने की ज़रूरत नहीं होगी। बीमा उत्पाद विशेष रूप से इन प्रकार की समस्याओं के कारण होते हैं, जिनके कारण ब्याज के संघर्ष के लिए उनके बड़े कमीशन और क्षमताएं हैं।

दोहरी मानदंड और अन्य गोचचा

वित्तीय उद्योग नियामक प्राधिकरण (एफआईएनआरए) के अनुसार, 88% निवेश सलाहकार सलाहकार और दलाल दोनों के रूप में काम करते हैं, जो स्थिति को जटिल बनाता है। ये निवेश सलाहकार एक अन्य खाते में लेनदेन निष्पादित करते हुए "शुल्क-आधारित" सलाहकार सेवाएं बेच सकते हैं, जहां वे दलाल कमीशन प्राप्त करते हैं। ग्राहक इस बात के बारे में अनिश्चित हो सकते हैं कि सलाहकार एक सलाहकार के प्रत्ययी कर्तव्यों के अधीन है या ब्रोकर के साथ जुड़ी उपयुक्तता की आवश्यकता है। (अधिक जानकारी के लिए, देखें: एफआईएनआरए: यह निवेशकों को कैसे सुरक्षित करता है ।)

ग्राहक इन समस्याओं से बचाने के लिए कई सावधानी बरत सकते हैं:

  • पूछें कि क्या वित्तीय सलाहकार एक प्रत्ययी के तौर पर काम कर रहा है या नहीं जांच लें कि क्या उनके पास सीरीज 7 लाइसेंस है, जो यह सुझाव दे सकता है कि वे स्टॉक ब्रोकर हैं
  • सूचित फार्म एडीवी को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए फीस, ब्याज के संघर्ष, अनुशासनात्मक जानकारी, ग्राहकों के प्रकार, और अन्य जानकारी देखने के लिए
  • निर्धारित करें कि क्या वित्तीय सलाहकार "शुल्क-केवल" या "शुल्क-आधारित" है, जहां "शुल्क-मात्र" का अर्थ है कि वे निस्संदेह के रूप में कार्य कर रहे हैं और "शुल्क-आधारित" थोड़ा कम स्पष्ट है

इन परिस्थितियों में से किसी में चाबी यह निर्धारित कर रहे हैं कि क्या सलाहकार उपयुक्तता मानकों के आधार पर कार्य करने के बजाए एक आजादी के तौर पर काम कर रहा है या नहीं। (अधिक जानकारी के लिए, देखें: एक वित्तीय सलाहकार के लिए खरीदारी ।)

निचला रेखा

वित्तीय सलाहकार ग्राहकों को सीधे या परोक्ष रूप से ग्राहकों को सलाह दें कि वे सर्वश्रेष्ठ रिटर्न जेनरेट करने, बेचने या प्रतिभूतियों का आदान-प्रदान करें । चूंकि वे प्रत्ययी मानकों से बंधे हैं, इसलिए वे हर समय ग्राहक के सर्वोत्तम हित में कार्य करते हैं। स्टॉक दलालों को ग्राहकों की ओर से लेन-देन प्रभाव होता है, लेकिन सलाहकारों की तरह फ़ैसिशियरी कर्तव्यों से बंधन नहीं होता है बल्कि, वे उपयुक्तता आवश्यकताओं के द्वारा ही बाध्य हैं, जो कि प्रत्ययी मानकों से कहीं कम कड़े हैं दोहरी पंजीकृत दलालों और सलाहकार ग्राहकों को भ्रमित कर सकते हैं, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि सलाहकार किस नियम का पालन कर रहा है। कई तरह के तरीकों से ग्राहक कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछकर अंतर को निर्धारित कर सकते हैं। (और के लिए, देखें: दलाल और आरआईए: क्या वे समान हैं? )

क्या आप स्टॉक को कम कर सकते हैं जो 5 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहे हैं? मेरा दलाल कहता है कि मैं नहीं कर सकता

क्या आप स्टॉक को कम कर सकते हैं जो 5 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहे हैं? मेरा दलाल कहता है कि मैं नहीं कर सकता

निवेशक और दलाल दोनों के लिए कम बिक्री बहुत जोखिम भरा हो सकती है दलाल अक्सर निवेशकों को बताएंगे कि केवल 5 डॉलर से ऊपर का स्टॉक ही बेचा जा सकता है यद्यपि यह आपके विशेष ब्रोकरेज फर्म के लिए सच हो सकता है, यह वित्तीय उद्योग नियामक प्राधिकरण या एसईसी द्वारा निर्धारित एक आवश्यकता नहीं है

दलाल और बाज़ार निर्माता के बीच क्या अंतर है?

दलाल और बाज़ार निर्माता के बीच क्या अंतर है?

एक दलाल एक मध्यस्थ है जिसकी क्लाइंट की ओर से सिक्योरिटीज खरीदने और बेचने का लाइसेंस है। स्टॉक ब्रोकर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच समन्वय अनुबंध, आमतौर पर एक आयोग के लिए। दूसरी तरफ, एक बाज़ार निर्माता एक मध्यस्थ है जो एक लाभदायक कीमत के लिए प्रतिभूति खरीदने और बेचने के लिए तैयार और तैयार है।

थकावट अंतर और ब्रेकएव अंतर के बीच मुख्य अंतर क्या हैं? | इन्वेंटोपैडिया

थकावट अंतर और ब्रेकएव अंतर के बीच मुख्य अंतर क्या हैं? | इन्वेंटोपैडिया

दो प्रकार के मूल्य चार्ट अंतराल के बीच प्राथमिक मतभेदों के बारे में पढ़ते हैं - भगाने और थकावट - और कैसे व्यापारियों ने प्रत्येक प्रकार पर प्रतिक्रिया दी

दलाल स्ट्रीट से पैसा कमाने के लिए ट्रेडर्स इन बातों का जरूर रखें ध्यान

17,450 से 17,300 को प्रमुख सपोर्ट के रूप में देखा जा रहा है और कमजोरी का पहला संकेत तभी देखा जाएगा, जब हम उससे नीचे खिसकेंगे.

  • Money9 Hindi
  • Updated On - October 4, 2021 / 12:27 PM IST

दलाल स्ट्रीट से पैसा कमाने के लिए ट्रेडर्स इन बातों का जरूर रखें ध्यान

बीते सप्ताह के दौरान हमने एक सकारात्मक नोट पर शुरुआत की, लेकिन इसमें फॉलोअप बाइंग की कमी थी, क्योंकि यह एक्सपायरी वीक था और जैसा कि हमें 18,000 अंक के मनोवैज्ञानिक लेवल के आसपास रखा गया था. फिर हमने उछाल के बीच में धीरे-धीरे गिरावट देखी और आखिरकार 17,500 के स्तर के आसपास 1.80% की घाटे के साथ खत्म हुआ. इसके परिणामस्वरूप, निफ्टी की अपनी वीकली जीत का सिलसिला खत्म हो गया.

नेगेटिव डाइवरजेंस के साथ गहरे ओवरबॉट टेरेटरी में RSI स्मूथेड ऑसिलेटर की नियुक्ति को देखते हुए हम सितंबर महीने की दूसरी छमाही के दौरान सतर्क थे. बीते सप्ताह के दौरान हम इसकी एक झलक देख चुके हैं लेकिन बहुत कुछ नहीं बदला है. हम सतर्क रहते हैं और हमें लगता है कि किसी भी उछाल को 17,800-17,950 के आसपास कड़ी बाधा का सामना करना पड़ सकता है. जबकि दूसरी ओर, 17,450 – 17,300 को प्रमुख समर्थन के रूप में देखा जाता है और कमजोरी का पहला संकेत तभी देखा जाएगा जब हम उसी से नीचे खिसकेंगे. इसके अलावा, हमने भारत VIX में भी इजाफा देखा है जो दर्शाता है कि अस्थिरता हाई स्तर पर रहने की संभावना है.

भले ही बेंचमार्क सप्ताह के दौरान कम फिसल गया, हमने देखा हम दलालों की सलाह कैसे देते हैं कि व्यापक मार्केट अपनी चर्चा के साथ जारी रहा और इंडेक्स के बाहर कई बेहतर प्रदर्शन के अवसर देखे गए. व्यापारियों को स्टॉक-विशिष्ट ट्रेडों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है, हालांकि उन्हें समय पर लाभ बुक करना चाहिए.

स्टॉक की सलाह

बाटा इंडिया | खरीदें | स्टॉप लॉस- Rs 1,760 | टारगेट प्राइज: Rs 1,978

अप्रैल महीने में 1,260 के स्तर के आसपास बनाए गए स्विंग लो के बाद, स्टॉक की कीमतें लगातार ऊंचे स्तर के गठन के साथ बढ़ी हैं. ऐसे में हर डिप में बिकवाली हो रही थी और बीते हफ्ते में भी ऐसा ही देखने को मिला. एक छोटे से कंसोलिडेशन के बाद डेली चार्ट पर, कीमतों ने एक ‘सिमिट्रिकल ट्राइंगल’ ब्रेकआउट की पुष्टि करते हुए ऊपर की ओर कंसोलिडेशन को तोड़कर अपट्रेंड को फिर से शुरू कर दिया है.

कंसोलिडेशन फेज के दौरान वॉल्यूम एक्टिविटी सूख गई थी, हालांकि तेजी से ब्रेकआउट के साथ हम एक बड़ी वृद्धि देख सकते हैं. इसके अलावा, हम RSI स्मूथेड ऑसिलेटर में 50 स्तरों के औसत के आसपास एक ताजा खरीद क्रॉसओवर भी देख रहे हैं, जो बुल्स के लिए अच्छा संकेत है. उपरोक्त सभी हालातों को देखते हुए, हम इस काउंटर में एक मजबूत बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं और निकट अवधि में 1,978 रुपए के लक्ष्य के लिए मौजूदा स्तरों पर खरीदारी करने की सलाह देते हैं. स्टॉप लॉस को 1,760 रुपए पर रखा जाना चाहिए.

डॉ. रेड्डी लैब्स | खरीदें | स्टॉप लॉस: Rs 4,780 | टारगेट प्राइज: Rs 5,320

जुलाई महीने के दौरान हमने स्टॉक की कीमतों में भारी गिरावट देखी, हालांकि यह गिरावट हाल ही में 4116 से 5589 के स्तर पर देखी गई. रैली के 78.6% रिट्रेसमेंट के आसपास पकड़ में आ गई. बीते कुछ महीनों में, हमने धीरे-धीरे इजाफा देखा है स्टॉक की कीमतें और डेली चार्ट पर हायर बॉटम का गठन भी. स्टॉक की कीमतें अब लगभग एक बुलिश कप एन हैंडल ब्रेकआउट की पुष्टि करने की कगार पर हैं और मोमेंटम ऑसिलेटर आरएसआई स्मूथेड का प्लेसमेंट प्री-एम्प्टीव खरीद का समर्थन करता है. कीमतें भी 89EMA और 200SMA के ऊपर बंद हुई हैं, यह दिखलाता है कि मीडियम और लॉन्गटर्म नेचर सकारात्मक हो गई है. बीते सप्ताह के दौरान हमने कई फार्मा शेयरों का बेहतर प्रदर्शन देखा और फार्मा इंडेक्स ने तेजी से ‘इनव हेड एन शोल्डर’ ब्रेकआउट को कंफर्म किया है. इन तमाम फैक्ट्स के आधार पर, हमें लगता है कि इस फार्मा हैवीवेट के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है और इसलिए हम 5320 रुपए के शॉर्ट टर्म टारगेट के लिए मौजूदा स्तरों पर खरीदारी करने की सलाह देते हैं. स्टॉप लॉस को 4780 रुपए पर रखा जा सकता है.

(लेखक एंजल वन लिमिटेड में टेक्निकल एनालिस्ट हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

रेटिंग: 4.82
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 351
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *