विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार

मुद्रा वायदा

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आजादी के बाद के प्रथम दसक में भारत की स्वर्ण नीति

1947 में भारत की विदेशी मुद्रा भण्डार लगभग 2 मिलियन पौंड का था. 1947 से 1962 तक भारत में नीति स्वर्ण बाज़ार पर नियंत्रण की दिशा में निर्देशित रही. 25 मार्च 1947 को आयात और निर्यात (नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया. 1947 में ही सरकार ने नियंत्रण का एक और क़ानून, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम लागू किया. लेकिन स्वर्ण की मांग काफी ज्यादा थी, जिसके कारण अवैध पारगमन और तस्करी बढ़ने लगी.

भारतीय सरकार ने स्वर्ण आयातों पर प्रतिबन्ध लगा दिया और एक नयी लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू की. दोनों में से किसी का भी वांछित असर नहीं हुआ और तस्करी और भी ज्यादा बढ़ गयी. 1947 में स्वर्ण की कीमत 88 रुपये 62 पैसे प्रति 10 ग्राम थी. प्रतिबन्ध की घोषणा के बाद कीमत में कोई कमी नहीं हुयी. 1949 में यह कीमत बढ़ कर 95 रुपये 87 पैसे हो गयी, लेकिन 1955 में गिर कर 79 रुपये 18 पैसे पर आ गयी.

भारत की आज़ादी के बाद के पहले 15 वर्ष की अवधि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन सहित युरोप के पुनर्निर्माण की मुद्रा वायदा मुद्रा वायदा अवधि भी थी. यह पुनर्निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका की कथित मार्शल प्लान के तहत हो रहा था. तब, मुद्रा वायदा विश्व एक स्वघोषित स्वर्ण मान पर काम कर रहा था, क्योंकि अमेरिकी डॉलर का मूल्य इसी पर आधारित था. इन परिस्थितियों में देश की ज़रुरत के लिए भारत को कोई ख़ास सहायता नहीं मिल पा रही थी.

भारत सरकार ने 1956 में कोलार स्वर्ण खदान का राष्ट्रीयकरण किया, जहाँ से भारत का 95 प्रतिशत स्वर्ण निकलता था. लेकिन खदानों में उत्पादन कम होने लगा. 1958 में सरकार ने गैर-सरकारी भण्डार के रूप में खदान से घरेलू उत्पादन बनाए रखने की कोशिश की. उस वक्त स्वर्ण की कीमत 90.81 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो 1963 में 97 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुँच गयी. चूंकि मांग में उछाल जारी रहा, सो तस्करी बढ़ने लगी.

अनुमान बताते हैं कि भारत में 1948-49 के दौरान लगभग 27.36 टन स्वर्ण की तस्करी होती थी. यह बढ़ कर 1950-51 में 35.35 टन और 1952-53 में 53.27 टन हो गयी. किन्तु 1955-56 में तस्करी में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी हुयी तो और घटकर 26.27 टन हो गया. लेकिन यह गिरावट बस थोड़े समय के लिए थी. 1958 और 1963 के बीच लगभग 520 टन स्वर्ण अनाधिकारिक रूप से आयात किया गया. स्वर्ण से बढ़िया और हो भी क्या सकता था.

Gold Silver Price: लगातार चौथे दिन बढ़ी सोने की वायदा कीमत, जानिए कितना हुआ दाम

गोल्ड सिल्वर की कीमत

पिछले सत्र के आई तेज बढ़त के बाद आज फिर भारतीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आई। एमसीएक्स पर फरवरी का सोना वायदा 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 49,674 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। लगातार चौथे दिन इसमें तेजी आई है। चांदी का वायदा भाव आज 0.8 फीसदी बढ़कर 67,513 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। पिछले सत्र में सोने की कीमत 1.2 फीसदी बढ़ी थी, जबकि चांदी 1.6 फीसदी उछली थी। इस साल मजबूत डॉलर और अमेरिकी प्रोत्साहन की घोषणा के बीच सोने की कीमतों में तेजी देखी गई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इतना रहा दाम
वैश्विक बाजारों में पिछले सत्र में तेज उछाल के बाद आज सोने की कीमतों में मुनाफावसूली हुई। पिछले कारोबारी दिन सोने की वायदा कीमत 1.7 फीसदी बढ़ी थी। इसके बाद यह 0.2 फीसदी घटकर 1,868.66 डॉलर प्रति औंस हो गया। अन्य कीमती धातुओं की बात करें, तो इस दौरान चांदी और प्लेटिनम भी क्रमशः 25.75 डॉलर प्रति औंस और 1,103.51 डॉलर पर लुढ़क गए।

स्वर्ण व्यापारियों की नजर यूरोपियन सेंट्रल बैंक की प्रोत्साहन योजना योजना पर है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि ईसीबी आज अपनी मुद्रा नीति को अपरिवर्तित रखेगा लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के रूप में आगे घोषणा कर सकता है।

बाजार के विश्लेषक इस बात का आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं कि नीतिगत बदलाव क्या होंगे। बाजार के विश्लेषक टैक्स बढ़ोतरी, अमेरिका-चीन संबंध, मुद्रा बाजार भागीदारी आदि जैसे अन्य मुद्दों के बारे में अधिक स्पष्टता चाहते हैं। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा दुर्बलता के खिलाफ एक बचाव माना जाता है, जो व्यापक उत्तेजना के परिणामस्वरूप हो सकता है।

पिछले साल 25 फीसदी बढ़ा सोना, चांदी में 50 फीसदी उछाल
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल सोने की कीमतों में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि की थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। भारत में सोना अपने अगस्त के उच्च स्तर यानी 56,200 रुपये प्रति 10 ग्राम से काफी नीचे है।

पिछले सत्र के आई तेज बढ़त के बाद आज फिर भारतीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आई। एमसीएक्स पर फरवरी का सोना वायदा 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 49,674 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। लगातार चौथे दिन इसमें तेजी आई है। चांदी का मुद्रा वायदा वायदा भाव आज 0.8 फीसदी बढ़कर 67,513 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। पिछले सत्र में सोने की कीमत 1.2 फीसदी बढ़ी थी, जबकि चांदी 1.6 फीसदी उछली थी। इस साल मजबूत डॉलर और अमेरिकी प्रोत्साहन की घोषणा के बीच सोने की कीमतों में तेजी देखी गई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इतना रहा दाम
वैश्विक बाजारों में पिछले सत्र में तेज उछाल के बाद आज सोने की कीमतों में मुनाफावसूली हुई। पिछले कारोबारी दिन सोने की वायदा कीमत 1.7 फीसदी बढ़ी थी। इसके बाद यह 0.2 फीसदी घटकर 1,868.66 डॉलर प्रति औंस हो गया। अन्य कीमती धातुओं की बात करें, तो इस दौरान चांदी और प्लेटिनम भी क्रमशः 25.75 डॉलर प्रति औंस और 1,103.51 डॉलर पर लुढ़क गए।

स्वर्ण व्यापारियों की नजर यूरोपियन सेंट्रल बैंक की प्रोत्साहन योजना योजना पर है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि ईसीबी आज अपनी मुद्रा नीति को अपरिवर्तित रखेगा लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के रूप में आगे घोषणा कर सकता है।

बाजार के विश्लेषक इस बात का आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं कि नीतिगत बदलाव क्या होंगे। बाजार के विश्लेषक टैक्स बढ़ोतरी, अमेरिका-चीन संबंध, मुद्रा बाजार भागीदारी आदि जैसे अन्य मुद्दों के बारे में अधिक स्पष्टता चाहते हैं। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा दुर्बलता के खिलाफ एक बचाव माना जाता है, जो व्यापक उत्तेजना के परिणामस्वरूप हो सकता है।


पिछले साल 25 फीसदी बढ़ा सोना, चांदी में 50 फीसदी उछाल
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल सोने की कीमतों मुद्रा वायदा मुद्रा वायदा में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि की थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। भारत में सोना अपने अगस्त के उच्च स्तर यानी 56,200 रुपये प्रति 10 ग्राम से काफी नीचे है।

अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 81.71 प्रति डॉलर पर अपरिवर्तित बंद

डॉलर के कमजोर होने और विदेशीमु्द्रा का प्रवाह बढ़ने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81.71 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।

PC: PTI

डॉलर के कमजोर होने और विदेशीमु्द्रा का प्रवाह बढ़ने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81.71 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।

बाजार सूत्रों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती और जोखिम लेने की धारणा में सुधार के कारण भी रुपये को समर्थन मिला।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.69 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 81.44 के उच्चस्तर और 81.71 के निचले स्तर तक गया। अंत में रुपया मात्र एक पैसे की गिरावट के साथ 81.71 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार 23 पैसे की बढ़त के साथ 81.70 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

बीएनपी पारिबा बाई शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि डॉलर की विनियम दर में गिरावट के बीच घरेलू शेयर बाजार में मजबूती से रुपया चढ़ा। विदेशी निवेशकों की लिवाली से भी घरेलू मुद्रा को समर्थन मिला।

रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक, श्रीराम अय्यर ने कहा, ‘‘आयातकों की डॉलर की मांग के बीच शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले मामूली कमजोर बंद हुआ। सप्ताह के दौरान, कमजोर डॉलर इंडेक्स के कारण आयातकों की मासांत डॉलर मांग से नुकसान की भरपाई होने से रुपये में मामूली गिरावट आई।’’

अय्यर ने कहा कि घरेलू स्तर पर, भारत की सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े अगले सप्ताह आने वाले हैं और घरेलू बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा निर्धारक साबित होंगे।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.96 पर आ गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.70 प्रतिशत चढ़कर 86.79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक 20.96 अंक की तेजी के साथ 62,293.64 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 369.08 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर ख़रीदे।

रूस यूक्रेन संकट के बीच रुपये में 99 पैसे की बहुत भारी गिरावट, 75.60 प्रति डॉलर पंहुचा

यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान से जोखिम वाली संपत्तियों की मांग प्रभावित होने के कारण विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 99 पैसे की भारी गिरावट के साथ 75.60 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी मुद्रा की सतत निकासी, घरेलू शेयर बाजारों में भारी बिकवाली तथा कच्चे तेल कीमतों में तेजी के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 75.02 प्रति डॉलर पर खुलने के बाद 75.75 रुपये तक नीचे चला गया। अंत में रुपया 99 पैसे की भारी गिरावट के साथ 75.60 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस बीच, छह मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती बताने वाला डॉलर सूचकांक 0.74 प्रतिशत की तेजी के साथ 96.90 पर जा पहुंचा।

वैश्विक मानक माने जाने वाले ब्रेंट क्रूड की कीमत 8.36 प्रतिशत बढ़कर 104.94 डॉलर प्रति बैरल हो गई। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, ''तेल आयातकों की ओर से मासांत की डॉलर मांग के कारण एशियाई मुद्राओं में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा। साथ ही यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद सुरक्षित संपत्तियों में निवेश के लिए डॉलर मांग बढ़ी है।'' भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के बीच ब्रेंट क्रूड की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गयी। इससे भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 2,702.15 अंक की गिरावट के साथ 54,529.91 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजारों के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल बने रहे। उन्होंने बुधवार को 3,417.16 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में मुद्रा वायदा और ब्याज दर वायदा के उपाध्यक्ष, अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ''रूस की यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान की घोषणा के साथ, कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। यह वर्ष 2014 के बाद उच्च स्तर है। मजबूत अमेरिकी डॉलर इंडेक्स और कमजोर शेयर बाजार कारोबारियों को आशंकित करने के लिये पर्याप्त है।'' रिलायंस सिक्योरिटीज मुद्रा वायदा के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक श्रीराम अय्यर के अनुसार, रुपये में अन्य एशियाई मुद्राओं की तरह डॉलर के मुकाबले गिरावट आई।

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