फोरेक्स टुटोरिअल

वायदा बाजार हमें क्या बताता है?

वायदा बाजार हमें क्या बताता है?
Silver Price Today: सिर्फ सोना ही नहीं चांदी भी हुई सस्ती, जानिए अब 1 किलो के लिए देने होंगे कितने पैसे!

नमस्कार,

हमारा समाज जो कभी जुआ और सट्टे के धिक्कारता था , महाभारत जैसे ग्रन्थ की रचना जुए के कारण ही हुई ग्रन्थ जो समाज को जुए जैसी बुराई से दूर रहने कि शिक्षा देता है परन्तु आज .

भारत में जुआ पब्लिक गेम्बलिंग एक्ट 1867 के तहत प्रतिबंधित है फिर भी सट्टा हिन्दुस्तान की आवाम पर भारी पड रहा है , अफसोस की बात है इन सरकारों की भूमिका पर भले ही हिन्दुस्तान का सर्वनाश हो जाये। एक्ट होने के बाद भी कुछ प्रभावशली लोगो को फायदा पहुचाने के लिए इसमें गली निकाल कर वैध बना दिया गया।

(Environment: Indian courts and legislations have always considered gambling to be a pernicious and immoral activity. The Courts have on various occasions held that gambling and lotteries of any form causes grave economic harm to the public which leads to the loss of the common man’s hard-earned money. Thus, the attitude of the judiciary and law-makers has been to ‘discourage people from indulging in games of chance and probability.)

सरकारे इस बुराई को रोकने के लिए एंव आवाम को राहत पहुचाने के लिए सख्ती नहीं करती कानून जरुर बना देती है, जिसमें उनका फायदा हो ।

सट्टा उस पर सरकार तय ही नहीं कर पा रही के अच्छा है या बुरा तभी तो वह खुद कानूनन वायदा बाजार जिससे हर आवाम को नुकसान है बनाती है। लाटरी चलाती है और दूसरी तरफ क्रिकेट के सट्टेबाजों को या अन्य सटोरीयों को गिरफ्तार करती है। क्योंकि वहा से कोई कमाई सरकार को नहीं आती है।

भविष्य में किसी वस्तु की होने वाली कीमत का अनुमान लगाकर उसकी खरीद व बिक्री का अग्रिम अनुबंध करना व निर्धारित समय पर वस्तु की आपूर्ति का व्यवसाय वायदा कारोबार है।

  • वायदा बाजार का उदय 1950-1960 में हुआ था।
  • 1970 में वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई।
  • परन्तु न जाने क्या हुआ 1980 में वायदा का नई वस्तुओं के साथ वापस उदय हुआ।
  • 1999 में खाद्ध तेल और बीजों का वायदा चालु हुआ।
  • 2003 में सभी कमोडिटी में वायदा शुरु कर दिया गया। और उसके बाद से महगाई चरम सीमा को छु गई।

मात्र चन्द लोगो ने अपने स्वार्थ के लिए देशवासियों से वायदा बाजार हमें क्या बताता है? गदारी कर यह कह कर हिन्दुस्तान की आवाम को बेवकुफ बनाया, वायदा बाजार को प्रारम्भ करने के पीछे किसानों के हित की जो अवधारणा बतलाई गई थी वह कही भी नजर नहीं आती है।

अगर वायदा बाजार को जल्द ही प्रतिबंधित नहीं किया गया तो पूरे हिन्दुस्तान को सट्टेबाजी ले डूबेगी यह निशचित है।

पहले बाजार को उत्पादक और उपभोक्ता संभालते थे लेकिन बाद में उसमें दलालों और व्यापारियों ने धुसपैठ की जिससे महगाई चरम को छुने लगी दलालों और व्यपारियों ने अपनी जेबे भरी और वायदा बाजार हमें क्या बताता है? आम आदमी को मारना शुरु कर दिया था।

और अब सरकार की कृपा से उसमें सटेबाजी ने धुसपैठ कर ली है मूलभूत व्यवसाय छोडकर हिन्दुस्तान को गर्त में पहुचाने का व्यवसाय शुरु हो गया है खाने पीने की वस्तुए , कच्चा तेल , सोना , चांदी , डालर , ऐसी चीजे है जो आज सट्टेबाजों के कब्जे में है, सट्टेबाज मनमाने ढग से हर सेकण्ड, हर मिनट हर धण्टे भावो में उतार चढाव का खेल कर रहे है।

जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता खो गई है, अर्थव्यवस्था से भारी खिलवाड चल रहा है भारत सरकार चुपचाप देख रही है, इन हालात को देखते हुए सरकारों पर कतई भी भरोसा नहीं किया जा सकता है।

आम आदमी जानता है की ये कितने धुर्त किस्म के लोग है परन्तु बेबस है आम हिन्दुस्तानी कुछ नहीं कर पाते है। जबकि सरकार चलाने वालो को और हिन्दुस्तान के आम आदमी को पता है कि वायदा कारोबार पर अगर अंकुश लगाया जाए तो सारी जरुरी चीजों की कीमते एक दम नीचे आ जाएगी।

हमारे प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी बोलते रहते है की महगाई पर अकुंश लगाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जानबूझ इस विषय पर अपने स्वार्थ से वंशीभूत कुछ नहीं कहते है।

सट्टेबाजों ने ग्वार की कीमत 30 हजार रु/क्विंटल तक पहुचा दी थी फिर न जाने क्या हुआ वायदा बाजार हमें क्या बताता है? की सरकार ने ग्वार के वायदे बाजार पर पांबदी लगा दी।

जब सट्टे का शिकंजा टूटा तो ग्वार की कीमत पांच गुना कम हो गई। इसके बाद भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है कि सट्टे बाजी के कारण ही देश में वायदा बाजार हमें क्या बताता है? खाने पीने की एंव अन्य चीजे महंगी हुई है एंव हिन्दुस्तान की आवाम महगांई से त्रस्त हो गई है। स्पष्ट है सरकार के कुछ प्रभावशाली इसमें लिप्त है।

अभी जो पर्यावरणीय संकट हम देख रहे है इसके पीछे मुख्य कारण वायदा बाजार ही है क्योकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में चन्द कम्पनियो और उनके शेयर होल्डर के हाथों सब कुछ बेचा जा रहा है। भारत में शेयर बाजार पूरी तरह से एक केसिनों बन गया है ।

हर साल देश में 125 लाख करोड का वायदा कारोबार होता है। हिन्दुस्तान की कुल आबादी में 4 फीसद लोग सट्टे के खेल में लाभ कूट रहे है और बाकी 96 फीसद आबादी इसके परिणाम भुगत रही है।

संयुक्त राष्ट्रसंध की भोजन अधिकार सम्बंधी रिपोर्ट भी बताती है कि अंतरराष्ट्रीय अनाज बाजार में दामों से 40 फीसदी वृद्धी सट्टे के कारण हुई है।

इसी तरह सोने के दाम को बढाने में चीन-अमरीका का हाथ रहा। क्योकि पुरी दुनिया को मालुम है की हिन्दोस्तानी सोने चांदी का दिवाना है।

चीन-अमरीका ने मिलकर गोल्ड के सट्टे को अपने हाथ वायदा बाजार हमें क्या बताता है? में ले लिया। तब भी वायदा बाजार के बनाये फर्जी विशेषज्ञ हमेशा राय यही देते है कि सोने की आपूर्ति कम मांग ज्यादा है। समझने की बात है कि जब इसका उपयोग ही नहीं है तो इतनी मांग कहा से आई जाहिर है कि यह मांग सिर्फ निवेशकों की है।

इसका सटीक उदाहरण है रुपया। रुपये का भाव 66-67 प्रति डालर चला गया। 1947 में रुपया और डालर बराबर थ। लेकिन 67 साल में सोचने की बात है कि या तो हम 67 गुणा गिरे है या अमरीका 67 गुणा बढा है।

मतलब साफ है कि यह सब कुछ अर्थ युद्ध से जुडा हुआ है, और हिन्दुस्तान की जनता के साथ अन्याय किया जा रहा है ।

वायदा बाजार में छोटी बडी धटना का सीधा असर पडता है वायदा बाजार हमें क्या बताता है? जैसे कही तुफान आया बारीश ज्यादा हो गई तो नुकसान का जायजा तो बाद में आता है पर बाजार में असर पहले दिखता है वायदा बाजार उपभोक्ता मामलात मंत्रालय के तहत आता है, लेकिन कोई भी मंत्री इससे संम्बंधित बयान देता है तो असर सीधा दिखाई देता है। भले ही वह बयान बाद में गलत साबित हो जाए।

ये कभी पता नहीं चलता कि किस स्तर पर सट्टा लग रहा है और कहा से मैनेज हो रहा है। भारत के एक्सचेंज से पूछें कि भाव क्यों बढे है तो उनका जवाब ये होता है कि हम तो लंदन बाजार के दर्पण मात्र है। भारतीय लोग और विदेशी लोगो का इससे आंतरिक गठजोड रहता है जैसे कच्चे तेल के दाम ओपेक से तय होते है। फिर सट्टेबाज दाम की हवा बनाने लगते है।

करेंसी की बात है तो बढते सट्टे की बजह से एक दिन में करंसी में तीन फीसदी तक का बदलाव आने लगा है एक देश की स्थिति इतनी खराब नहीं होती कि एक दिन में तो रुपया 69 का स्तर छू जाये और एक दिन में ही ऐसा क्या सुधार हो जाए की वह वापस 66 पर आ जाए मतलब साफ है कि सटटे की कारस्तानी से यह सब होता है।

कोई भी बता सकता है कि रुपये में किसी हद तक सट्टा धुसा हुआ है वित्त मंत्री कहते है कि रुपया स्वंय अपने स्थान पर आ जायेगा लेकिन किस स्तर पर आ जाएगा वे यह नहीं बताते। सटटे की वजह से कीमते काबू में नहीं रहती है।

चिदरम्बरम और प्रधानमंत्री ने कहा था सोना मत खरीदिये लेकिन तीन महीने में सोने की कीमत 10 हजार तक बढ गई सोना खरीने वाले अपने आप को ठगा सा महसूस कर करने लगे।

वायदा बजार से कौन कौन से मंत्री या उनके रिशतेदार या साथी जुडे है मालुम करने के लिए जांच करवाई जानी आवशयक है। जिससे की पता चल सके की यह सब कहा से हो रहा है। इसमें कही देश को एंव उसमें रहने वाले हर आदमी को बर्बाद करने की कोई साजिश तो नहीं।

हिन्दुस्तानीयों की भलाई के लिए वायदा बाजार जो की महंगाई के लिए सबसे धातक चीज है। देश से वायदा को बाहर निकाल देने में ही हर हिन्दुस्तानी की भलाई है।

अतः इस पर गौर कर हिन्दुस्तान के आम आदमी को महंगाई को भगाने के लिए वायदा बाजार जैसे को हटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा। जबही हमें इस मंहगाई से मुक्त हो सकेगे।

इन नेताआें के लिए एक कवि ने कहा है -

" दगा करे एक बार जो, उसको सगा न मान ।
आदत से मजबूर ये, होते एेसे इंसान ।।

अच्छी खबर! दो महीने के निचले स्तर पर पहुंचा सोने का भाव, जा​नें आगे क्या होगा

वायदा बाजार में भी अक्टूबर के लिए सोने के भाव में गिरावट दर्ज की गई.

वायदा बाजार में भी अक्टूबर के लिए सोने के भाव में गिरावट दर्ज की गई.

Gold Rates: गुरुवार को MCX और दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. इसके साथ ही अब सोने का भाव बीते दो महीने के ​निचले स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर में मजबूती से सोने की कीमतों में गिरावट आई है. हालांकि, एनालिस्ट्स को आगे इसमें तेजी की उम्मीद है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 25, 2020, 11:17 IST

मुंबई. स्पॉट गोल्ड (Spot Gold Price) की कीमतों में गुरुवार को गिरावट देखने को मिली. फेस्टिव सीजन से ठीक पहले महामारी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और बढ़ती बेरोजगारी से पीली धातु के दाम में कमी देखने को मिल रही है. मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर गुरुवार को सोना 613 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता होकर 49,638 रुपये के स्तर पर आ गया है. दुनियाभर में सोने की खपत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. सोने की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है. वायदा बाजार में भी अक्टूबर के लिए सोने के भाव में गिरावट दर्ज की गई. यह 0.45 फीसदी लुढ़ककर 49,293 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है. बीते चार दिन में सोने के दाम में करीब 2,500 रुपये प्रति 10 ग्राम की कमी आई है.

डॉलर में मजबूती का असर
पिछले महीने ही सोने का भाव उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. इस बीच हालिया गिरावट से अलग अधिकतर एनालिस्ट्स व ट्रेडर्स सोने के भाव को लेकर अभी भी आशावादी दिखाई दे रहे हैं. वर्तमान में सोने के दाम पर सबसे ज्यादा अमेरिकी करेंसी डॉलर का असर देखने को मिल रहा है. इस सप्ताह अमेरिकी करेंसी में मजबूती देखने को मिली है.

ब्याज दरों ने बिगाड़ा खेल
जानकारों का कहना है कि विकसित देशों में ब्याज दरें शून्य के करीब पहुंच चुकी हैं. केंद्रीय बैंकों ने भी संकेत दिया है कि लंबे समय तक ब्याज दरें कुछ ऐसी ही रहेंगी. आमतौर पर ब्याज दरों का असर सोने के दाम पर पड़ता है. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है ब्याज दरें शून्य के करीब होने से अधिकतर लोग सुरक्षित निवेश के गोल्ड में निवेश का विकल्प चुन सकते हैं. इससे कीमतों में तेजी आने का अनुमान है.

अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी से गोल्ड को मिलेगा सपोर्ट
अमेरिका में साप्ताहिक बेरोजगारी आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त के अंत तक करीब 3 करोड़ अमेरिकी लोग बेरोजगारी भत्ते का लाभ ले रहे हैं. इसके बाद अब यह भी उम्मीद बढ़ गई है कि फेड रिजर्व और अमेरिकी सरकार आगे भी प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके. जानकार बताते हैं कि केंद्रीय बैंक अभी भी अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बढ़ाएंगे. सोने के दाम के लिए यह सकारात्मक होगा.

दिल्ली सर्राफा बाजार में लुढ़के सोना-चांदी
गुरुवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने-चांदी कीमतों में बड़ी गिरावट देखने वायदा बाजार हमें क्या बताता है? को मिली. डॉलर की मजबूती के बीच गुरुवार को यहां सोना 485 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता होकर 50,418 रुपये पर पहुंच गया था. जबकि, चांदी के भाव में 2081 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई. इसके बाद चांदी का नया भाव 58,099 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है. एक लंबे समय बात चांदी की कीमत प्रति किलोग्राम 60 हजार रुपये से नीचे आई है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Gold Vs Dollar: आखिर कब तक मद्धिम रहेगी सोने की चमक? डॉलर में पैसा लगा रहे निवेशक

Gold Vs Dollar: विश्लेषकों ने कहा है कि इस वर्ष के आरंभ में सोने की कीमत निवेशकों में मौजूद इस धारणा के कारण बढ़ी थी कि असुरक्षा के काल में निवेश के लिए सोने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। लेकिन उसके बाद डॉलर में निवेश पर मिलने वाले ब्याज दर में इजाफा होने लगी.

Gold Vs Dollar

विश्व बाजार में फिलहाल सोने का आकर्षण घट रहा है। इस वर्ष यूक्रेन युद्ध शुरू होने के समय सोने की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन अब उसमें काफी गिरावट आ चुकी है। जानकारों के मुताबिक इसका कारण अमेरिका में ब्याज दरों का बढ़ना है, जिसकी वजह से डॉलर महंगा हुआ है। इसीलिए निवेशक सोना बेच कर डॉलर में पैसा लगाना अभी ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं।

इस महीने के पहले हफ्ते में न्यूयॉर्क के वायदा बाजार में सोने की कीमत औसतन 1,729 डॉलर प्रति औंस रही। बीते मार्च की तुलना में यह 15 फीसदी कम है। सितंबर में तो एक मौके पर ये कीमत 1,626 डॉलर प्रति औंस तक गिर गई थी। अप्रैल 2020 के बाद सोने की इतनी कम कीमत कभी नहीं रही।

विश्लेषकों ने कहा है कि इस वर्ष के आरंभ में सोने की कीमत निवेशकों में मौजूद इस धारणा के कारण बढ़ी थी कि असुरक्षा के काल में निवेश के लिए सोने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। लेकिन उसके बाद डॉलर में निवेश पर मिलने वाले ब्याज दर में इजाफा होने लगी। जानकारों के मुताबिक सोना और डॉलर दोनों की कीमत में अकसर विपरीत संबंध रहता है। यानी एक कीमत बढ़ने पर दूसरे की कीमत गिरती है।

सितंबर के अंत तक डॉलर इंडेक्स बढ़ते हुए 114 अंकों पर पहुंच चुका था। डॉलर इंडेक्स दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की शक्ति बताने वाला सूचकांक है। वित्तीय बाजारों में सोने को ‘देशों की सीमा से परे मुद्रा’ समझा जाता है। जब डॉलर समेत विभिन्न देशों की मुद्राओं में उनका भरोसा डिगने लगता है, तब वे स्वर्ण में निवेश करते हैं। लेकिन सोने में निवेश पर कोई ब्याज नहीं मिलता। उस निवेश में लाभ होगा या नुकसान यह बाजार में सोने की कीमत से तय होता है। जबकि ब्याज दर बढ़ने के कारण फिलहाल डॉलर में निवेश से अब निश्चित ठोस मुनाफे की स्थिति बनी ही है।

लेकिन कई बाजार विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति टिकाऊ नहीं है। उनका अनुमान है कि अगले साल की शुरुआत तक सोने के भाव में फिर चढ़ाव देखने को मिलेगा। जापान स्थित फर्म तोशिमा एंड एसोसिएट्स में वित्तीय बाजार के विश्लेषक इत्सुओ तोशिमा को उम्मीद है कि अगले साल सोने का भाव 1,800 से 2,200 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचेगा। वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से बातचीत में उन्होंमने कहा- ‘अमेरिका में स्टैगफ्लेशन (आर्थिक वृद्धि से अधिक मुद्रास्फीति दर) की स्थिति है। निवेशक जल्द ही इससे चिंतित होंगे।’

तोशिमा के मुताबिक अमेरिका के लिए महंगाई पर काबू पाना अभी काफी समय तक मुश्किल बना रहेगा। इसलिए कि ब्याज दर बढ़ा कर मकान किराये पर नियंत्रण पाना बेहद कठिन है। उन्होंने कहा कि वैसे भी डॉलर की कीमत अपने चरमसीमा पर पहुंच रही है। इसके आगे उसकी कीमत जाए, ऐसे कोई अतिरिक्त पहलू अगले साल सामने आएंगे, इसकी संभावना नहीं वायदा बाजार हमें क्या बताता है? है।

नोमुरा सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री तात्सुफूमी ओकोशी ने उम्मीद जताई है कि अगले साल सितंबर से अमेरिकी सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा। तब उसका लाभ सोने को मिलेगा। उन्होंने कहा- ‘अमेरिका में मंदी का भय छाया वायदा बाजार हमें क्या बताता है? हुआ है। ऐसे में फिर से निवेशकों को सोने में पैसा लगाना ही ज्यादा सुरक्षित महसूस हो सकता है।’

विस्तार

विश्व बाजार में फिलहाल सोने का आकर्षण घट रहा है। इस वर्ष यूक्रेन युद्ध शुरू होने के समय सोने की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन अब उसमें काफी गिरावट आ चुकी है। जानकारों के मुताबिक इसका कारण अमेरिका में ब्याज दरों का बढ़ना है, जिसकी वजह से डॉलर महंगा हुआ है। इसीलिए निवेशक सोना बेच कर डॉलर में पैसा लगाना अभी ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं।

इस महीने के पहले हफ्ते में न्यूयॉर्क के वायदा बाजार में सोने की कीमत औसतन 1,729 डॉलर प्रति औंस रही। बीते मार्च की तुलना में यह 15 फीसदी कम है। सितंबर में तो एक मौके पर ये कीमत 1,626 डॉलर प्रति औंस तक गिर गई थी। अप्रैल 2020 के बाद सोने की इतनी कम कीमत कभी नहीं रही।

विश्लेषकों ने कहा है कि इस वर्ष के आरंभ में सोने की कीमत निवेशकों में मौजूद इस धारणा के कारण बढ़ी थी कि असुरक्षा के काल में निवेश के लिए सोने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। लेकिन उसके बाद डॉलर में निवेश पर मिलने वाले ब्याज दर में इजाफा होने लगी। जानकारों के मुताबिक सोना और डॉलर दोनों की कीमत में अकसर विपरीत संबंध रहता है। यानी एक कीमत बढ़ने पर दूसरे की कीमत गिरती है।

सितंबर के अंत तक डॉलर इंडेक्स बढ़ते हुए 114 अंकों पर पहुंच चुका था। डॉलर इंडेक्स दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की शक्ति बताने वाला सूचकांक है। वित्तीय बाजारों में सोने को ‘देशों की सीमा से परे मुद्रा’ समझा जाता है। जब डॉलर समेत विभिन्न देशों की मुद्राओं में उनका भरोसा डिगने लगता है, तब वे स्वर्ण में निवेश करते हैं। लेकिन सोने में निवेश पर कोई ब्याज नहीं मिलता। उस निवेश में लाभ होगा या नुकसान यह बाजार में सोने की कीमत से तय होता है। जबकि ब्याज दर बढ़ने के कारण फिलहाल डॉलर में निवेश से अब निश्चित ठोस मुनाफे की स्थिति बनी ही है।

लेकिन कई बाजार विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति टिकाऊ नहीं है। उनका अनुमान है कि अगले साल की शुरुआत तक सोने के भाव में फिर चढ़ाव देखने को मिलेगा। जापान स्थित फर्म तोशिमा एंड एसोसिएट्स में वित्तीय बाजार के विश्लेषक इत्सुओ तोशिमा को उम्मीद है कि अगले साल सोने का भाव 1,800 से 2,200 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचेगा। वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से बातचीत में उन्होंमने कहा- ‘अमेरिका में स्टैगफ्लेशन (आर्थिक वृद्धि से अधिक मुद्रास्फीति दर) की स्थिति है। निवेशक जल्द ही इससे चिंतित होंगे।’

तोशिमा के मुताबिक अमेरिका के लिए महंगाई पर काबू पाना अभी काफी समय तक मुश्किल बना रहेगा। इसलिए कि ब्याज दर बढ़ा कर मकान किराये पर नियंत्रण पाना बेहद कठिन है। उन्होंने कहा कि वैसे भी डॉलर की कीमत अपने चरमसीमा पर पहुंच रही है। इसके आगे उसकी कीमत जाए, ऐसे कोई अतिरिक्त पहलू अगले साल सामने आएंगे, इसकी संभावना नहीं है।

नोमुरा सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री तात्सुफूमी ओकोशी ने उम्मीद जताई है कि अगले साल सितंबर से अमेरिकी सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा। तब उसका लाभ सोने को मिलेगा। उन्होंने कहा- ‘अमेरिका में मंदी का भय छाया हुआ है। ऐसे में फिर से निवेशकों को सोने में पैसा लगाना ही ज्यादा सुरक्षित महसूस हो सकता है।’

Gold Options: गोल्ड ऑप्शंस क्या है, जानिए कैसे हो सकती है बंपर कमाई

What Is Gold Options

What Is Gold Options: गोल्ड को अपने पोर्टफोलियो में रखने की चाहत हर किसी की होती है. बहुत से निवेशक और ट्रेडर कम रिस्क के साथ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे लोगों के लिए ऑप्शंस (How To Buy Gold Options) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है. दरअसल, ऑप्शंस में निवेश के जरिए अपने रिस्क को सीमित किया जा सकता है और अधिक से अधिक मुनाफा भी कमाया जा सकता है.

आज की इस रिपोर्ट में हम गोल्ड ऑप्शंस की बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे और साथ में यह भी समझेंगे कि इसमें निवेश से हमें क्या फायदा मिल सकता है और क्या नुकसान है.

कैसे कर सकते हैं गोल्ड ऑप्शंस में ट्रेडिंग
कमोडिटी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए और अगर आपके पास अकाउंट पहले से हैं तो ब्रोकर को बोलकर ऑप्शंस (Gold Futures & Options) की ट्रेडिंग के लिए उसे एक्टिव करा सकते हैं. निवेशक ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर सकता है. ऑप्शंस वायदा कारोबार के तहत आने वाला एक अनोखा प्रोडक्ट है और इसमें ट्रेडिंग के जरिए जोखिम कम होने के साथ ही असीमित मुनाफा कमाया जा सकता है. मान लीजिए कि आप ऑप्शंस के खरीदार हैं तो बेहद कम प्रीमियम चुकाकर पूरा कॉन्ट्रैक्ट उठा सकते हैं. मतलब यह हुआ कि आपका जोखिम आपके द्वारा जमा किया गया प्रीमियम ही है और मुनाफा अनलिमिटेड. हालांकि इसके विपरीत बिकवाल होने की स्थिति में जोखिम असीमित और मुनाफा सीमित हो जाता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
आखिर में हम आपको बताते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या फायदे होते हैं. जानकारों का कहना है कि मान लीजिए कि अगर कोई निवेशक गोल्ड ऑप्शंस के कॉन्ट्रै्क्ट में कॉल खरीदता है तो तेजी होने पर निवेशक को फायदा मिलेगा और अगर पुट ऑप्शंस खरीदता है तो गिरावट पर लाभ मिलेगा. वहीं कॉल ऑप्शंस को बेचने वाले कॉल राइटर्स को गिरावट पर फायदा मिलता है और पुट ऑप्शंस को बेचने वाले पुट राइटर्स को तेजी पर फायदा मिलता है. बता दें कि कॉल राइट करने वालों की कमाई सिर्फ प्रीमियम होती है लेकिन उनका नुकसान असीमित होता है. जानकार कहते हैं कि वायदा बाजार के मुकाबले ऑप्शंस में रिस्क कम और रिटर्न ज्यादा मिलता है. इसके अलावा हेजिंग का टूल भी होने की वजह से निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा होती है.

Silver Price Today: सिर्फ सोना ही नहीं चांदी भी हुई सस्ती, जानिए अब 1 किलो के लिए देने होंगे कितने पैसे!

सोने की कीमतों (Gold Price Today) जैसा ही हाल आज चांदी की कीमतों (Silver price today) का भी है। चांदी में भी गिरावट (Silver price fall) का रुख देखने को मिल रहा है। आज चांदी 151 रुपये सस्ती हो गई है।

silver price fall more than rs. 150 tuesday 6th october bullion market latest update

Silver Price Today: सिर्फ सोना ही नहीं चांदी भी हुई सस्ती, जानिए अब 1 किलो के लिए देने होंगे कितने पैसे!

कल वायदा बाजार में क्या रहा चांदी का हाल?

चांदी वायदा भाव सोमवार को मांग कमजोर रहने से 545 रुपये घटकर 60,600 रुपये प्रति किलो रह गया। हाजिर बाजार में मांग कमजोर रहने से वायदा बाजार में भी सटोरियों की बिकवाली का जोर रहा। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में चांदी दिसंबर वायदा अनुबंध 545 रुपये यानी 0.89 प्रतिशत गिरकर 60,600 रुपये प्रति किलो रह गया। इस अनुबंध में 16,180 लॉट के लिये सौदे किये गये। वहीं न्यूयार्क में चांदी का भाव 0.18 प्रतिशत घटकर 23.99 डालर प्रति औंस रहा।

सर्राफा बाजार में भी टूटे सोना-चांदी

दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना भाव सोमवार को 389 रुपये टूटकर 51,192 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा। एचडीएफसी सिक्युरिटीज के अनुसार कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते बहुमूल्य धातुओं के भाव में गिरावट रही। इसी तरह सर्राफा बाजार में चांदी भाव भी 466 रुपये गिरकर 61,902 रुपये प्रति किलोग्राम रहा। पिछले कारोबारी दिवस पर सोना 51,581 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी 62,368 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1,892 डॉलर और चांदी 23.81 डॉलर प्रति औंस रही।

सोने-चांदी में आई है कितनी गिरावट?

पिछले महीने 7 अगस्त को सोने ने वायदा बाजार में अपना उच्चतम स्तर यानी ऑल टाइम हाई छुआ था और प्रति 10 ग्राम की कीमत 56,200 रुपये हो गई थी। वहीं पिछले हफ्ते गुरुवार को सोना 50,286 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बंद हुआ। यानी तब से लेकर अब तक सोने में 5,914 रुपये की गिरावट आ चुकी है। चांदी भी 7 अगस्त के अपने ऑल टाइम हाई से करीब 16 हजार रुपये तक टूट चुकी है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो जारी रहेगा उतार-चढ़ाव

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंसियल सविर्सिज के जिंस शोध के उपाध्यक्ष नवनीत दमानी कहते हैं कि सोना ऊंचाई से गिरकर 50 हजार रुपये के दायरे में आया है, जबकि चांदी 60 हजार रुपये के दायरे में आ चुकी है। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में भी उतार चढ़ाव जारी रह सकता है। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर अजय केडिया मानते हैं कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉयड का काम किया। इसी की वजह से शेयर बाजार में तेजी आई है, लेकिन इसे नेचुरल नहीं कहा जा सकता।

इस बार फेस्टिव सीजन में भी कम रहेगी मांग

अक्टूबर-नवंबर के दौरान अमूमन सोने-चांदी की मांग काफी बढ़ जाती है। इसकी वजह है फेस्टिव सीजन का आना। दिवाली के करीब सोना-चांदी हमेशा चमकते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार लोगों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है, जिसका सीधा असर सोने-चांदी की मांग पर पड़ा है। मुंबई के एक गोल्ड डीलर का कहना है कि इस बार फेस्टिव सीजन के दौरान भी मांग कम ही रहने का अनुमान है, क्योंकि कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं।

सोने-चांदी के लिए आकर्षण कायम

आर्थिक सुस्ती, अमेरिका-चीन के बीच तकरार और डॉलर में कमजोरी से सोने और चांदी की तेजी को आगे भी सपोर्ट मिलने के आसार हैं। कमोडिटी विशेषज्ञों की माने तो सोने और चांदी के प्रति निवेशकों को आकर्षण अभी कायम है क्योंकि कोरोना का कहर अभी टला नहीं है और शेयर बजार में अनिश्चितता बनी हुई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महंगी धातुओं वायदा बाजार हमें क्या बताता है? के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम नहीं हुआ है।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म. पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

रेटिंग: 4.87
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 158
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *