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व्यापारियों की राय

व्यापारियों की राय

‘रिवाज’ बना रहेगा या बदलेगा, बंटी हुई है शिमला के छोटे व्यापारियों की राय

शिमला, 10 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का व्यापारियों की राय मशहूर माल रोड इन दिनों सैलानियों की चहल-पहल से कम, चुनावी चर्चाओं से ज्यादा गुलजार है। इस चुनावी माहौल में यहां के छोटे व्यापारी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की जटिलताओं और व्यापार मंदा होने की परेशानियों से दो-चार हैं, हालांकि दोनों प्रमुख पार्टियों को लेकर उनकी राय बंटी नजर आती है।

कई व्यापारी अपनी चुनावी पसंद या नापसंद को खुलकर जाहिर करते हुए हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन के ‘रिवाज’ को व्यापारियों की राय बनाए रखने की बात करते हैं तो कई इसे बदलने के पक्ष में नजर आते हैं।

हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा। आठ दिसंबर को मतगणना होगी। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है।

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र के छोटे व्यापारियों के मुताबिक, उनके सामने सबसे बड़ी समस्या कपड़े और जूते-चप्पलों पर जीएसटी लगाया जाना और इस कर व्यवस्था की जटिलताएं हैं।

माल रोड पर कपड़े दुकान चलाने वाले रमन शर्मा कहते हैं, ‘‘बहुत सारे लोगों के लिए महंगाई, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन योजना और केंद्र सरकार की योजनाएं या फिर हिंदुत्व चुनावी मुद्दा हो सकता है, लेकिन हमारे लिए ये जीएसटी का झंझट ही सबसे बड़ा मुद्दा है।’’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम पिछले कई महीनों से यह मांग उठा रहे हैं कि उन कपड़ों पर जीएसटी नहीं लगाया जाए जिन्हें आम लोग खरीदते हैं। कहने को कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी है, लेकिन इसका असर हम जैसे छोटे व्यापारियों पर के कारोबार पर पड़ता है। यही नहीं, हर महीने हमें सीए का चक्कर लगाना पड़ता है। यह हमारे लिए एक अलग दिक्कत है।’’

शर्मा कहते हैं, ‘‘हम हिमाचली हर पांच साल पर परिवर्तन करते हैं और इस बार भी मैं भी इस रिवाज के बनाए रखने के पक्ष में हूं।’’

दूसरी तरफ, ऑर्टिफिशयल आभूषण के दुकानदार सुनील कुमार का कहना है, ‘‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि जीएसटी हम जैसे छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी दिक्कत पैदा कर रहा है। कोविड के बाद हमारा व्यापार भी प्रभावित हुआ। लेकिन हमारे सामने राष्ट्रीय मुद्दे भी हैं। मुझे लगता है कि छोटे व्यापारियों का बड़ा हिस्सा परिवर्तन के पक्ष में नहीं जाएगा।’’

पर्यटन कारोबार से जुड़े विजय नेगी की राय है कि पहली बार शिमला में छोटे व्यापारियों इस तरह की नाराजगी है।

उन्होंने कहा, ‘‘न सिर्फ जीएसटी, बल्कि निगम और सरकारी अधिकारियों की मनमानी से भी लोग परेशान हैं। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना की मार झेलते हुए हम छोटे व्यापारियों की कमर टूट गई है।’’

जूते-चप्पल की दुकान चलाने वाले गुरबचन सिंह का कहना है, ‘छोटे दुकानदार और व्यापारी बहुत नाराज हैं, लेकिन वो किसी एक पार्टी के पक्ष में वोट करेंगे, यह नहीं कहा जा सकता है। सबकी अपनी पसंद और नापसंद है।”

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के संजय सूद तो कांग्रेस की ओर से हरीश जनारथा उम्मीदवार हैं। इस सीट से वर्तमान विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री व्यापारियों की राय सुरेश भारद्वाज को इस बार भाजपा ने कसुम्पटी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। भारद्वाज शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से पिछले तीन बार चुनाव जीत चुके थे।

भाषा हक पवनेश माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

UP Budget 2022: व्यापारियों की सधी प्रतिक्रिया, ऋण व जीएसटी में छूट की उम्मीदें टूटीं

व्यापारी बोले- सरकार ने नया टैक्स न लगा व टैक्स दरों में बदलाव न करके एक तरह से राहत भी दी।

गोरखपुर बजट पर व्यापारियों की राय।

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पर व्यापारियों ने सधी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि छोटे व्यापारियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जीएसटी या फिर ऋण में किसी भी तरह की छूट की उम्मीद थी, लेकिन व्यापारियों की राय ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, किसी प्रकार का नया टैक्स नहीं लगाया गया। टैक्स दरों में बदलाव भी नहीं हुआ है, जो राहत देने वाला है।

ऋण व जीएसटी में मिले छूट
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की स्थापना के लिए व्यवस्था हुई है। यह शानदार बजट है। हालांकि, व्यापारियों को किसी प्रकार का कोई पैकेज नहीं मिला है। इससे निराशा हुई है। व्यापारियों को भी उद्यमियों की तरह ऋण व जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए।- राजेश नेभानी, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ टेक्सटाइल्स

विकास परक बजट
बजट विकास परक है। औद्योगिक क्षेत्र एवं रोजगार के लिए बहुत अच्छा है। किसी प्रकार का टैक्स न बढ़ा कर व्यापारियों को राहत दी गई है। किसी तरह का नया बोझ नहीं डाला गया है।- मदन लाल अग्रहरि, उप्र व्यापारियों की राय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल

व्यापारियों की उम्मीदें ज्यादा थीं
सरकार ने कुछ मायनों में तो व्यापारियों को छूट दी है, लेकिन छोटे व्यापारियों को ऋण, जीएसटी व अन्य व्यापारिक गतिविधियों में छूट नहीं मिल पा रही है। छोटे व्यापारियों को सरकार से ज्यादा उम्मीदें थीं।- विनय शुक्ला, व्यापारी

विकास को दर्शाने वाला बजट
सरकार का बजट विकास को दर्शाने वाला है। चिड़ियाघर, रामगढ़ताल, मेट्रो, एम्स के साथ स्मार्ट सिटी की तरफ गोरखपुर बढ़ते चले, ऐसा सहयोगी बजट है।- शिवेंद्र टेकड़ीवाल, व्यापारी

विस्तार

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पर व्यापारियों ने सधी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि छोटे व्यापारियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जीएसटी या फिर ऋण में किसी भी तरह की छूट की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, किसी प्रकार का नया टैक्स नहीं लगाया गया। टैक्स दरों में बदलाव भी नहीं हुआ है, जो राहत देने वाला है।

ऋण व जीएसटी में मिले व्यापारियों की राय छूट
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की स्थापना के लिए व्यवस्था हुई है। यह शानदार बजट है। हालांकि, व्यापारियों को किसी प्रकार का कोई पैकेज व्यापारियों की राय नहीं मिला है। इससे निराशा हुई है। व्यापारियों को भी उद्यमियों की तरह ऋण व जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए।- राजेश नेभानी, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ टेक्सटाइल्स

विकास परक बजट
बजट विकास परक है। औद्योगिक क्षेत्र एवं रोजगार के लिए बहुत अच्छा है। किसी प्रकार का टैक्स न बढ़ा कर व्यापारियों को राहत दी गई है। किसी तरह का नया बोझ नहीं डाला गया है।- मदन लाल अग्रहरि, उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल

व्यापारियों की उम्मीदें ज्यादा थीं
सरकार ने कुछ मायनों में तो व्यापारियों को छूट दी है, लेकिन छोटे व्यापारियों को ऋण, जीएसटी व अन्य व्यापारिक गतिविधियों में छूट नहीं मिल पा रही है। छोटे व्यापारियों को सरकार से ज्यादा उम्मीदें थीं।- विनय शुक्ला, व्यापारी


विकास को दर्शाने वाला बजट
सरकार का बजट विकास को दर्शाने वाला है। चिड़ियाघर, रामगढ़ताल, मेट्रो, एम्स के साथ स्मार्ट सिटी की तरफ गोरखपुर बढ़ते चले, ऐसा सहयोगी बजट है।- शिवेंद्र टेकड़ीवाल, व्यापारी

'व्यापारियों के लिए जीएसटी'

अगर एनडीए (NDA) की सरकार फिर सत्ता में आई तो व्यापारियों को 50 लाख रुपये तक का कर्ज बिना गारंटी के उपलब्ध कराया जाएगा. जीएसटी पंजीकृत कारोबारियों के लिए 10 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा, व्यापारियों के लिए क्रेडिट कार्ड सुविधा व्यापारियों की राय और छोटे दुकानदारों के लिए पेंशन योजना लाई जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को यह बात कही. उन्होंने साथ में यह भी कहा कि 23 मई को फिर मोदी सरकार आने वाली है.

अगर कोई व्यापारी या दुकानदार सामान बेचता है और उसका बिल नहीं देता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ ग्राहकों को शिकायत करने का मंच जल्द ही मिलने वाला है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि एक टेलीफोन हेल्पलाइन नंबर जल्द ही शुरू किया जाएगा, जहां उपभोक्ता उन व्यापारियों के खिलाफ रिपोर्ट कर सकते हैं जो खरीद बिल जारी नहीं कर टैक्स से बचते हैं.

वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का रिफंड सरकार और व्‍यापार जगत दोनों ही के लिए पिछले कुछ महीनों से चिंता का विषय रहा है. अब तक सरकार ने जीएसटी रिफंड के रूप में 30,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि को मंजूरी दी है. इसमें आईजीएसटी के 16000 करोड़ रुपये और आईटीसी के 14000 करोड़ रुपये शामिल हैं.

जिन लोगों ने जीएसटी की तकलीफ़ों को लेकर आवाज़ मुखर की वो सही साबित हुए. व्यापारियों ने डर-डर कर अपनी बात कही. उनके डर को हम जैसे कुछ लोगों ने आसान कर दिया. उसके बारे में लिखा और बोला कि जीएसटी बिजनेस को बर्बाद कर रही है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि केंद्र में 2019 में उनकी पार्टी की सरकार आने पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक बदलाव किये जाएंगे ताकि व्यापारियों, ग्राहकों और अन्य तबकों को राहत दी जा सके.

देश भर में 1 जुलाई से लागू किए गए जीएसटी के लिए पंजीकरण और रिटर्न फाइल करने में तकनीकी खामियों का सामना व्यापारियों को करना पड़ा. उसके मद्देनजर अब सरकार तकनीकी खामियां दूर करने के उपायों पर विचार कर रही है. जीएसटीएन नेटवर्क के तकनीकी मुद्दों पर गौर करने के लिए बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह की बैठक शनिवार को बेंगलुरु में होगी.

जीएसटी को अपनाने में जुटे दिल्ली के कारोबारियों की वैट रिटर्न भरने की अंतिम तारीख ने आफत बढ़ा दी है, वैट रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 28 जुलाई यानी शुक्रवार है. व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक माह में वे जीएसटी की तैयारियों में ही जुटे रहे जिस वजह से वैट रिटर्न भरने का समय नहीं मिला. व्यापारियों की मांग है कि वैट रिटर्न भरने के लिए उन्हें और समय दिया जाए.

जीएसटी पोर्टल पर इस ऑफलाइन प्रारूप को कारोबारियों और व्यापारियों के लिए जारी किया गया है. इससे उन्हें जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और बिक्री के आंकड़े अपलोड करने में मदद मिलेगी.

सबके लिए जरूरी होगा कि सामान बेचने वाला और खरीदने वाला दोनों व्यापारी रजिस्टर्ड हो. जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों को अपने कर का ब्योरा देना होगा.

E-Commerce कंपनियों के लिए सख्त नियम लाने की है तैयारी, छोटे व्‍यापारियों की राय ले रही है सरकार

E-Commerce Rules छोटे और खुदरा व्‍यापारी लगातार ई-कॉमर्स कंपनियों के कारोबारी तौर-तरीकों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय लंबे समय से ई-कॉमर्स नीति तैयार कर रही है लेकिन इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। E-Commerce कंपनियों की ओर से गलत तरीके से बाजार पर नियंत्रण की कोशिशों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठा सकती है। वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति इस मामले में छोटे और खुदरा व्यापारियों से राय ले रही है। प्रस्तावित ई-कामर्स नीति में भी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश को शामिल किया जा सकता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय लंबे समय से ई-कामर्स नीति तैयार कर रहा है, लेकिन अब तक नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

अर्थव्यवस्था की समीक्षा करने को तैयार संसदीय समिति। फाइल फोटो।

छोटे और खुदरा कारोबारी लगातार बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के कारोबारी तौर-तरीके के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। आफलाइन तरीके से खुदरा कारोबार करने वालों का कहना है कि बड़ी ई-कामर्स कंपनियां छूट देने के साथ प्लेटफार्म पर उपलब्ध कुछ विक्रेताओं को वित्तीय मदद भी करती है जिससे उनकी लागत काफी कम हो जाती है।

पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष कन्‍फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की तरफ से सुझाव रखे गए। कैट ने समिति को बताया कि ई-कामर्स कंपनियों को सभी क्रेता और विक्रेता के लिए निष्पक्ष रहने की जरूरत होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। प्लेटफार्म पर उपलब्ध विक्रेताओं को ई-कामर्स कंपनियां सामान बेचने में विभिन्न प्रकार से अपना समर्थन देती हैं। कई विक्रेता कंपनी से जुड़े होते हैं। ई-कामर्स कंपनियां ग्राहकों के डाटा का भी बेजा इस्तेमाल करती हैं।

कई बार यह भी देखने में आया है कि ई-कामर्स कंपनियां बाजार में मशहूर किसी मैन्यूफैक्चरर्स के उत्पाद की नकल कर उसे सस्ते में प्लेटफार्म पर बेचने लगती है। ऐसे में उस मैन्यूफैक्चर्स की पूरी मेहनत खराब हो जाती है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने भी बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के गैर प्रतिस्पर्धी रवैये को लेकर टिप्पणी की है और यह बात उन्होंने संसदीय स्थायी समिति को भी बताई।

बजट पर व्यापारियों की राय: झारखंड-बिहार के लिए कुछ खास नहीं, बंगाल को मिला चुनाव का फायदा

Ranchi : बजट 2020-21 सोमवार को पेश किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. स्वास्थ्य, उद्योग, शिक्षा समेत अन्य सेक्टरों में बजट बढ़ाया गया. कोरोना के बाद केंद्र सरकार का यह पहला बजट रहा.

इसके पहले कोरोना लॉकडाउन के लिए लोगों को राहत देने के लिए विशेष पैकेजों की घोषणा की गयी थी. जिसमें किसान, मजदूर और लघु कुटीर उद्योगों पर अधिक फोकस किया गया. बावजूद इसके उद्योगों को व्यापारियों की राय लॉकडाउन के बाद खस्ता हाल में देखा गया.

जिससे ये अब तक नहीं उभर पाये हैं. ऐसे में व्यापारी वर्ग की बजट में खास नजर रही. व्यापारियों ने बजट पर प्रतिक्रिया भी दी. पढ़िये व्यापारियों ने क्या कहा.

झारखंड बिहार को कुछ विशेष नहीं

पूर्व चेंबर अध्यक्ष दीपक कुमार मारू ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ये बजट काफी अचछा है. टेक्सटाइल पार्क समेत हर सेक्टर को कुछ न कुछ मिला. लेकिन राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो जानकारी होती है कि पूर्वी राज्यों को इससे कुछ खास नहीं मिलेगा.

बंगाल में चुनाव होने के कारण राज्य को बजट में शामिल किया गया. लेकिन झारखंड और बिहार के लिए इसमें कुछ नहीं है. देखा जाये तो राज्य के आयरन मिनरल, माइका आदि का इस्तेमाल कर आनेवाले तीन सालों में राजस्व बढ़ाया जा सकता था.

लेकिन इसे शामिल नहीं किया गया. ऐसे में राज्य सरकार और व्यापारियों की राय चेंबर जैसे संस्थानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि अब वो कुछ बेहतर करें.

एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जाये

कुणाल आजमानी ने कहा कि सरकार ने किसानों, मजदूरों के लिए अधिक घोषणा की. जो बेहतर है. ये घोषणा कोरोना के दौरान हुई घोषणाओं से भी अधिक है. उद्योगों की बात करें तो मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस किया गया है.

लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जाये तो एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना चाहिए. कुणाल ने कहा 2019 में भी अर्थव्यवस्था चरमरायी हुई थी. 2020 में कोरोना का कहर देखा गया.

ऐसे में एक्सपोर्ट बढ़ाने से ही देश विदेश से आय होगी और अर्थव्यवस्था पटरी में आयेगी. उन्होंने कहा कि टूरिज्म आदि को प्रमोट किया गया है. जो बेहतर है.

रेलवे-एयरपोर्ट का निजीकरण गंभीर हो सकता है

चेंबर कार्यसमिति सदस्य विकास विजयवर्गीय ने कहा कि बजट संतुलित है. राजनीति झलक ज्यादा देखने को मिली. किसान, बंगाल आदि मुद्दों को राजनीति को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया.

वहीं रेलवे और एयरपोर्ट के निजीकरण के अच्छे और बुरे दोनों परिणाम हो सकते हैं. इससे अर्थव्यवस्था को नयी दिशा मिलेगी. जो गंभीर भी हो सकते हैं. सरकार को एक कमेटी बना कर इस पर गहन अध्ययन करना चाहिए. व्यापारी वर्ग के लिए बहुत कुछ है नहीं. जबकि कोरोना के दौरान व्यापारियों को अधिक नुकसान हुआ.

जीएसटी के बदलावों पर ध्यान नहीं दिया

पवन शर्मा ने कहा कि बहुत सी अच्छी घोषणाएं शामिल हैं. 75 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों को टैक्स में छूट दी गयी है. लेकिन जीएसटी के कुछ प्रावधानों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. जिससे व्यापारी परेशान हैं. वहीं नयी टोल टैक्स नीति जिसके तहत एक दिन में मात्र दो सौ किलोमीटर की ही अनुमति दी जा रही है. इस पर सुधार की जरूरत है. जिस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया.

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