कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में करीब 44 फीसदी हिस्सेदारी वाला बिटकॉइन (Bitcoin) गिरकर 29,825 डॉलर पर आ गया है। पिछले हफ्ते गुरुवार को यह गिरकर 25,401 डॉलर पर आ गया था। यह 28 दिसंबर, 2020 के बाद बिटकॉइन का सबसे कम प्राइस है।
क्रिप्टो एक्सचेंज की तबाही से भारत में भी भय का माहौल, देश में क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं
नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एफटीएक्स के प्रमुख सैम बैंकमैन-फ्राइड दो दिन पहले तक टेक की दुनिया के सुपरस्टार थे। उन्हें क्रिप्टो का रक्षक, डेमोक्रेटिक राजनीति में नवीनतम शक्ति और संभावित रूप से दुनिया के पहले खरबपति जैसे विशेषणों से नवाजा जाता था, लेकिन आज वह क्रिप्टो जगत के सबसे बड़े खलनायक हैं। 30 वर्षीय बैंकमैन-फ्राइड द्वारा चलाया जा रहा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज शुक्रवार को दिवालिया हो गया और निवेशकों और ग्राहकों ने खुद को ठगा महसूस किया। अगर आप भी क्रिप्टो में निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो अच्छी तरह से जान लें कि आप एक ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर रहे हैं, जिसमें कब क्या हो जाए किसी को नहीं मालूम।
भारतीयों के लिए क्या हैं मायने
गुरुग्राम के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर ब्रजेश शर्मा ने पांच साल पहले क्रिप्टोकरेंसी में दो लाख रुपये का निवेश किया था। पिछले साल तक वह निवेश से काफी उत्साहित थे, लेकिन अब डर सताने लगा है। ऐसा ही कुछ बंगलूरू में कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम सॉफ्टवेयर इंजीनियर रितेश कुमार का सोचना है। उनका कहना है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को न तो मान्यता है और न ही क्रिप्टो एक्सचेंज चलाने वाली कंपनियां अपने बारे में कुछ खुलकर बताती हैं। ऐसे में अगर पैसा डूबा तो हम कोई दरवाजा भी नहीं खटखटा सकते हैं।
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हालात और बुरे होने की आशंका
- जानकारों के अनुसार, पहले से मंदे बाजार को अब इस नई अनिश्चितता से निपटना होगा।
- एफटीएक्स के ढहने के बाद मार्केट में नकदी का संकट पैदा हो सकता है, जिसका खामियाजा दूसरी क्रिप्टोकरेंसी को भुगतना पड़ेगा।
- भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के उपाध्यक्ष राजगोपाल मेनन को डर है कि सबसे बुरा अभी खत्म नहीं हुआ है और कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि पहले से मंदे बाजार को इस नई अनिश्चितता से निपटना होगा।
सरकार और आरबीआई की सर्तकता से बचे निवेशक
दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए। हालांकि, सरकार और आरबीआई के सतर्क रुख से भारतीय निवेशकों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर चेतावनी भी दी है। इसके अलावा, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी का भारी-भरकम टैक्स और लेनदेन पर एक फीसदी का अतिरिक्त टीडीएस भी लगाया है। आंकड़ों के मुताबिक, वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी बाजार का पूंजीकरण 2021 में 3 लाख करोड़ डॉलर (234.7 लाख करोड़ रुपये) था। एक साल में ही इसका कुल बाजार मूल्य कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम 2 लाख करोड़ डॉलर (165 लाख करोड़ रुपये) घटकर अब एक लाख करोड़ डॉलर (81.23 लाख करोड़ रुपये) रह गया है।
चीन पहले ही कर चुका है बैन
चीन का सेंट्रल बैंक क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी सभी ट्रांजेक्शन को अवैध करार दे चुका है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कह चुका है। उसने ये भी कहा है कि वह घरेलू निवेशकों को सेवा देने वाले विदेशी एक्सचेंजों पर पाबंदी लगाएगा। चीन में ऐसी कई कंपनियां हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों में क्रिप्टो पर बड़ा दांव लगाया कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम है, विशेष रूप से टेक इंडस्ट्री की कंपनियां। अब अगर भारत की बात करें तो भारत में भी कई निवेशकों का पैसा क्रिप्टोकरेंसी में लगा है। ऐसे में अगर भारत में इन पर बैन लगा तो कई निवेशकों की सांस हलक में अटक जाएगी।
इन देशों में भी क्रिप्टो पर है प्रतिबंध
चीन (China) के अलावा कुछ अन्य देश भी हैं, जिनमें क्रिप्टोकरेंसी या क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट्स (Cryptocurrency Payments) पर प्रतिबंध है। इनमें नाइजीरिया, टर्की, बोलिविया, एक्वाडोर, अल्जीरिया कतर, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, वियतनाम कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम के नाम प्रमुख हैं। मिस्त्र में शरिया कानून के तहत क्रिप्टोकरेंसी को हराम मान गया है, हालांकि यह प्रत्यक्ष तौर पर प्रतिबंधित नहीं है।
अल सल्वाडोर में लीगल टेंडर बन चुका है बिटकॉइन
एक ओर जहां कई देश क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी फैसला नहीं कर पा रहे हैं, वहीं मध्य अमेरिकी देश अल सल्वाडोर ने सितंबर माह में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को कानूनी रूप से स्वीकार कर लिया था। अल सल्वाडोर में अब वित्तीय लेनदेन के लिए बिटकॉइन का भी इस्तेमाल हो सकेगा यानी बिटकॉइन वहां पर लीगल टेंडर बन चुका है। ऐसा करने वाला अल सल्वाडोर दुनिया का पहला देश है।
नामी कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम हस्तियां कर रहीं क्रिप्टो के ऐड
अमेरिका में, फुटबॉल स्टार टॉम ब्रैडी और सुपरमॉडल गिसेले बुंडचेन की FTX में हिस्सेदारी और उन्होंने इसके विज्ञापन में साथ काम भी किया है। पेरिस हिल्टन, किम कार्दशियन और स्नूप डॉग ने भी विभिन्न क्रिप्टो प्लेज का समर्थन किया है। मॉर्निंग कंसल्ट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 45% क्रिप्टो निवेशकों का कहना है कि वे एक सेलिब्रिटी के समर्थन के आधार पर क्रिप्टो में निवेश करेंगे। भारत की बात करें तो क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइन डीसीएक्स (CoinDCX) ने अमिताभ बच्चन को क्रिप्टोकरंसी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया है। एक दूसरे क्रिप्टो प्लेटफॉर्म कॉइनस्विच कुबेर ने बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है।
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क्रिप्टोकरेंसी: कहीं बैन तो कहीं बनी लीगल टेंडर…क्या चीन की राह पर है भारत!कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम
बिजनेस डेस्कः क्रिप्टो करेंसी को लेकर मोदी सरकार एक्शन कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम के मूड में है। संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी के नाम इसे लेकर सरकार बिल लेकर आ रही है। जिसमें प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाने से लेकर इसके लिए नियम भी बनाए जा सकते हैं। इस विधेयक का नाम ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ है। देश में बड़ी संख्या में लोगों ने बिटकॉइन जैसी कई क्रिप्टो करंसी में बड़ी मात्रा में निवेश किया हुआ है। मोदी सरकार के ताजा फैसले का असर क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वाले लाखों लोगों पर पड़ सकता है। हालांकि यह मांग भी है कि अंतर्निहित तकनीक और इसके उपयोगों को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों को अनुमति दी जाए।