अमीर कैसे बने?

दुनिया के मंच पर खाड़ी देश कतर इस तरह से कभी सामने नहीं आया. ऊर्जा का धनी कतर इस महीने के आखिर में दुनिया भर के खेलप्रेमियों की नजर पर होगा जब फुटबॉल वर्ल्डकप का मुकाबला इसकी जमीन पर खेला जायेगा.
कॉप दिखावे और निरर्थक वक्तव्यों का मंच बना
क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (कॉप) एक मायने में कभी निराश नहीं करती। वहां वैश्विक नेताओं के जुबानी जमाखर्च और कार्यकर्ताओं के दिखावे का ऐसा मंच सजता है जो उस खेल को ढक लेता है जो दरअसल एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था का बचाव करता है जो मौजूदा विश्व व्यवस्था और शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए जरूरी है।
कार्बनीकरण खपत से संचालित है। हम जितनी अधिक खपत करते हैं, उतना ज्यादा कार्बन उत्सर्जित होता है। इस समस्या से निपटने के दो तरीके हैं। पहला है समग्र खपत को ऐसे स्तर पर रोकना जो अधिकतम कार्बन बजट के अनुरूप हो। दूसरा है तकनीक का इस्तेमाल करके कम कार्बन उत्सर्जन करना ताकि अधिकतम कार्बन बजट की सीमा का अतिक्रमण न हो।
औद्योगिक क्रांति के समय से ही कार्बनीकरण खपत में भारी असमानता से संचालित रहा है और इसके चलते अत्यधिक उत्पादन होता है जो जनता के लिए बरबादी का ही सबब बनता है। आज भी हालात ऐसे ही हैं। पर्याप्त भोजन, आश्रय स्थलों और ऊर्जा की उपलब्धता के बावजूद लोग भूखे हैं, बेघर हैं और ऊर्जा के बिना जीवन बिता रहे हैं जबकि किसी को इनके अभाव में नहीं रहना चाहिए।
Gautam Adani: भारत के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी की क्यों हो रही चारों और तारीफ, जानिए पूरा मामला
Gautam Adani: ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी लखनऊ में रहने वाली एक 4 साल की मासूम के लिए फरिश्ता बने हैं। उन्होंने इस 4 साल की मासूम के लिए जो मदद का हाथ बढ़ाया है उसके बाद से ही उनकी चर्चा जोरों पर है।
November 14, 2022
नई दिल्ली। कहते हैं पैसों का अमीर तो कोई भी बन सकता है लेकिन दिल का अमीर बहुत कम ही लोग होते हैं। आज की इस स्वार्थ से भरी जिंदगी में ज्यादातर सभी अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं लेकिन बहुत कम ही ऐसे हैं जो कि दूसरों के दुख में सहयोग के लिए आगे आते हैं। हालांकि भारत के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) ने ऐसा काम कर दिया है जिससे ये साबित होता है कि वो पैसों से ही नहीं बल्कि दिल के भी अमीर हैं। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी लखनऊ में रहने वाली एक 4 साल की मासूम के लिए फरिश्ता बने हैं। उन्होंने इस 4 साल की मासूम के लिए जो मदद का हाथ बढ़ाया है उसके बाद से ही उनकी चर्चा जोरों पर है।
जानिए कैसे मिलती है अंबानी-अडानी के घरों में नौकरी, लाखों में मिलती है सैलरी और सुविधाएं
Edited By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Updated on: November 16, 2022 11:02 IST
Image Source : FILE PHOTO अंबानी-अडानी के घरों में कैसे मिलती है नौकरी
मुकेश अंबानी और गौतम अडानी देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों में गिने जाते हैं। आज इनकी कंपनियों में देश-दुनिया के लाखों लोग काम कर रहे हैं। हालांकि, इनकी कंपनियों के अलावा इनके घरों में भी हजारों लोग काम करते हैं। सबसे बड़ी बात की अंबानी और अडानी के घरों में काम करने वाले नौकर उन आम नौकरों जैसे नहीं होते हैं, जिनकी सैलरी महज कुछ हजार रुपए होती है। दरअसल, यहां काम करने वाले घर के नौकर भी लाखों में सैलरी उठाते हैं। सैलरी के साथ-साथ उन्हें हर वो सुविधाएं दी जाती हैं, जो एक कॉर्पोरेट एंप्लाई को दी जाती हैं।
अंबानी के घर में नौकरों की सैलरी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुकेश अंबानी के घर में लगभग 600 से 700 नौकर काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर की सैलरी 2 लाख से ऊपर है। इसके साथ ही इन्हें एक कॉर्पोरेट एंप्लाई की तरह मेडिकल इंश्योरेंस जैसी चीजें भी मिलती हैं। हालांकि, अंबानी के घर में ऐसे ही किसी को नौकरी भी नहीं मिलती, वहां नौकरी पाने के लिए आपको कठिन परीक्षा और इंटरव्यू राउंड पास करना होता है।
सबसे बड़ी बात की आप जो भी नौकरी अंबानी के घर में करना चाहते हैं, आपके पास कम से कम उससे रिलेटेड कोई सर्टिफिकेट या कोर्स की डिग्री हो। जैसे अगर आप अंबानी के घर के किचन में काम करना चाहते हैं तो आपके पास शेफ का सर्टिफिकेट हो, ड्राइवर बनना चाहते हैं तो ड्राइविंग में अच्छा अनुभव हो, मैनेजमेंट में जाना चाहते हैं तो आपके पास उसकी डिग्री हो। यहां तक की झाड़ू-पोछा और बर्तन साफ करने वालों को भी अंबानी के घर में रखने से पहले उनकी अच्छी खासी जांच-पड़ताल की जाती है।
अडानी के घर में कैसे मिलती है नौकरी
गौतम अडानी इस वक्त देश के सबसे अमीर आदमी हैं। 24 जून 1962 को अहमदाबाद के गुजराती जैन परिवार में जन्मे गौतम अडानी आज जो कुछ हैं अपने दम पर हैं। आज दुनिया भर में ऐसे लोगों की भरमार है जो अडानी परिवार के साथ काम करना चाहते हैं। होटल मैनेजमेंट और हॉस्पिटैलिटी की पढ़ाई करने वाले युवाओं का सपना होता है कि वह इन अमीर घरों में एक बार नौकरी करें। हालांकि, यहां इतनी आसानी से नौकरी मिलती नहीं है।
मीडिया में छपी खबरों की मानें तो अडानी परिवार अपने यहां ज्यादातक कर्मचारियों को एजेंसियों के जरिए हायर करती है, क्योंकि एजेंसियां किसी को भी ऐसे अमीर घरों में भेजने से पहले उस आदमी की पूरी जांच करती हैं, उसका पूरा बैकग्राउंड चेक करती हैं और यह तय करती हैं अमीर कैसे बने? कि क्या यह आदमी अडानी परिवार के घर में काम करने लायक है या नहीं। जबकि, अगर हम अडानी परिवार के घर में नौकरों को मिलने वाली सैलरी की बात करें तो, यहां भी इनकी सैलरी लाखों में है। कुछ जो सबसे खास और विश्वासपात्र अडानी परिवार के नौकर हैं उन्हें तो कई लाख रुपए महीने के मिलते हैं।
कतर का इतिहास
अल थानी का परिवार 1847 से कतर पर राज कर रहा है. हालांकि यह पहले ओटोमन साम्राज्य और फिर ब्रिटिश राज के अधीन रहा था. कतर 1971 में आजाद हुआ जब ब्रिटेन ने इस इलाके को अलविदा कहा. कतर से तेल का निर्यात दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शुरू हुआ. 1997 में कतर ने अमीर कैसे बने? दुनिया को लिक्विफाइड नेचुरल गैस भेजने की शुरूआत की.
गैस बेचने से मिले पैसे ने कतर के क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को हवा दी. उसने अल जजीरा सेटेलाइट न्यूज नेटवर्क बनाया जिससे मास मीडिया में अरब धारणाओं को प्रचारित करने में मदद मिली. खासतौर से 2011 के अरब वसंत के प्रदर्शनों के दौरान. कतर ने कतर एयरवेज को भी खड़ा किया जो पूरब और पश्चिम को जोड़ने वाली दुनिया की अच्छी एयरलाइनों में शामिल है.
कतर एयरवेज दुनिया की अच्छी एयरलाइनों में शुमार होती हैतस्वीर: Wang Zicheng/HPIC/dpa/picture alliance
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कतर
कतर सु्न्नी इस्लाम की अत्यंत रुढ़िवादी धारा का पालन करता है जिसे वहाबी कहा जाता है. हालांकि पड़ोसी देश सऊदी अरब से उलट यहां विदेशी लोगों को शराब पीने की छूट है. कतर ने 2011 में अरब वसंत के दौरान इस्लामी ताकतों का समर्थन किया इसमें मिस्र का मुस्लिम ब्रदरहुड और मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी भी शामिल थे. इनके अलावा सीरिया के राष्ट्रपति बशर अहमद के विरोधियों को कतर ने समर्थन दिया. अल जजीरा अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन के बयानों को चलाने के लिए काफी मशहूर हुआ.
कतर ने चरमपंथी गुट हमास के साथ मध्यस्थ की भूमिका निभाई है और अमेरिका की तालिबान के साथ बातचीत में भी जिसका नतीजा 2021 में अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के रूप में सामने आया. बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने कई सालों तक कतर का बहिष्कार किया और इसके पीछे इस्लामी ताकतों का समर्थन करना ही कुछ हद तक कारण था. यह बहिष्कार तब खत्म हुआ जब अमेरिका में जो बाइडेन राष्ट्रपति का चुनाव जीत गये.
कतर का सैन्य महत्व
1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के सैनिकों को ठिकाना बनाने की अनुमति दे कर कतर नरे अल उदैद एयर बेस पर एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया. अमेरिकी सैनिकों ने 11 सितंबर के हमलों और उसके नतीजे में अफगानिस्तान पर हमले के बाद खुफिया तौर पर इस सैनिक अड्डे का इस्तेमाल शुरू किया. इस सैनिक अड्डे के अमेरिका इस्तेमाल का पता दुनिया को मार्च 2022 में चला जब उप राष्ट्रपति डिक अमीर कैसे बने? चेनी मध्यपूर्व के दौरे पर आये.
इसके बाद अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड का मुख्यालय 2003 में अल उदैद में चला आया. इसके बाद अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में यहीं से एयर ऑपरेशन चले. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग में भी इसने अहम भूमिका निभाई और आज भी यहां 8000 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं. अमेरिका के अलावा यहां तुर्की की सेना भी तैनात है.
कतर का इतिहास (History of Qatar)
कतर पहले एक सुनसान रेगिस्तान हुआ करता था. इसका ज्यादा लंबा इतिहास भी नहीं है. इस देश में रेत के सिवा कुछ भी नहीं हुआ करता था. साल 1950 तक यहाँ पर मूंगा बनाया जाता था, जिसे समुद्री सीप के अंदर से निकाला जाता है.
कतर पहले एक गरीब और गुलाम देश हुआ करता था. वहीं भारत पहले सोने की चिड़िया हुआ करता था और गुलाम देश भी रहा. कतर पर पहले तुर्की का शासन हुआ करता था. इसके बाद अंग्रेजों ने यहाँ अपना कब्जा कर लिया. कतर को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी साल 1971 में मिली थी. इसके बाद से ही यहाँ की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए तेजी से प्रयास किये गए.
कतर अमीर कैसे बना? (How Qatar become rich?)
साल 1950 से पहले तक कतर सिर्फ मूंगा उत्पादन के लिए जाना जाता था. ये तीन तरफ से समुद्र से घिरा है तो यहाँ पर समुद्री सीप काफी ज्यादा है जिनसे मूंगा निकाला जाता है. इसके अलावा यहाँ पर मछली व्यापार भी काफी ज्यादा होता था. लेकिन उस समय गगनचुम्बी इमारते नहीं होती थी जिन्हें देखकर लोग आजकल वहाँ की सैर करने निकल पड़ते हैं.
कतर को पहले एक गरीब और पिछड़ा हुआ देश कहा जाता था, दूसरी तरफ ये गुलामी की जंजीरों में भी जकड़ा हुआ था. कतर की किस्मत बदली साल 1950 के बाद से जब वहाँ पर तेल और गैस के भंडार खोजे गए.
कतर के शासक शेख अब्दुल्लाह बिन जस्सिम अल थानी ने कतर की धरती से गैस और पेट्रोलियम निकालने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया. जिसका नतीजा ये निकला कि ये जगह तेजी से पॉपुलर हुई. यहाँ की अर्थव्यवस्था में सुधार आया और लोग इस जगह पर इनवेस्टमेंट करने लगे.
रहते हैं करोड़पति लोग? (Qatar People Income)
कतर को एक अमीर देश कहा जाता है और यहाँ की अधिकतर आबादी करोड़पति है. वैसे यहाँ गरीब लोग भी रहते हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहाँ पर हर तीसरा आदमी करोड़पति है. कतर में हर तीसरे आदमी की सालाना इनकम 94 लाख रुपये है. यहाँ की जनसंख्या 28 लाख है, जिनमें से सिर्फ 3, 36,000 लोग ही कतर के मूल निवासी है, बाकी लोग दूसरे देशों से यहाँ आकर बस गए हैं.
कतर दुनिया का सबसे बड़ा नेचुरल गैस का एक्स्पोर्टर है. इस देश की कमाई का सबसे बड़ा जरिया यही है. वही इन्हें टूरिज़्म और इनवेस्टमेंट से भी काफी ज्यादा कमाई होती है. इस कमाई का फायदा यहाँ रहने वाले लोगों को भी मिलता है.
कतर में जो लोग रहते हैं और कमाते हैं उन्हें अपनी इनकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता है.
इसके अलावा दूसरे कामों के लिए भी यहाँ नाम मात्र के टैक्स लगते हैं. यहाँ के नागरिकों को बिजली, पानी, मेडिकल जैसी सुविधाओं के लिए कोई बिल नहीं देना पड़ता है.