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जगह रोक आदेश

जगह रोक आदेश
Gyanvapi Masjid verdict: ज्ञानवापी सर्वे. आखिर क्‍यों हटाए गए कोर्ट कमिश्‍नर अजय कुमार मिश्रा, क्‍या कहा अदालत ने
ध्यान रहे कि वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी ने वाराणसी कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफी से सर्वे करने का आदेश दिया। कमिटी की ओर से वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए जबकि यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। दिल का दौरान पड़ने के कारण वाराणसी कोर्ट में आवेदन दाखिल करने वाले एडवोकेट हरिशंकर जैन पेश नहीं हो पाए। वो अस्पताल में भर्ती हैं। आइए जानते हैं किस पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या-क्या दलीलें दीं.

वकील हुजैफा अहमदी: पहले पूजा के लिए वाराणसी कोर्ट में गुहार थी लेकिन बाद में कई गुहार और लगाई गई। वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया जो अयोध्या मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत है। पहले आदेश में सर्वे के लिए कोर्ट ने कमीश्नर नियुक्त कर दिया। इसके बाद काई बातें हो गईं। इसके बाद वादी ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा कि कमिश्नर ने सर्वे में शिवलिंग पाया है और ऐसे में उस जगह को सील किया जाए और उसे प्रोटेक्ट किया जाए, साथ ही मस्जिद में नमाज के लिए मुस्लिम को जाने पर रोक लगाई जाए। कमीश्नर की रिपोर्ट पर नहीं बल्कि वादी के आवेदन पर निचली अदालत ने उक्त आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में दिए फैसले में कहा था कि धार्मिक प्रकृति की जो भी जगह है, वह 15 जगह रोक आदेश अगस्त 1947 को जहां थी उसी रूप में उसे संरक्षित किया जाएगा। मौजूदा आदेश नुकसानदायक है। ऑर्डर संसद के नियम के खिलाफ है उस पर रोक लगाई जाए।

नर्सिंग ऑफिसरों को एपीओ कर कार्यमुक्त करने वाले आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा के मेडिकल कॉलेज में लम्बे समय से नर्सिंग ऑफिसर के पद पर काम कर रहे याचिकाकर्ताओं को सरप्लस बताकर एपीओ करने और उनकी सेवाएं चिकित्सा निदेशक को भेजने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है.

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ज्ञानवापी : सुप्रीम कोर्ट का सर्वे पर रोक से इंकार, शिवलिंग की जगह सील करने को कहा, नमाज पर भी दिया आदेश

by WEB DESK

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक शिवलिंग क्षेत्र की रक्षा की जाए और मुसलमानों को नमाज पढ़ने दिया जाए। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि ट्रायल कोर्ट ने डीएम वाराणसी को उस परिसर को सील करने का निर्देश दिया, जहां शिवलिंग पाया गया था। वजू खाना में प्रवेश प्रतिबंधित जगह रोक आदेश था और कहा कि इसका उपयोग नहीं किया जाएगा और केवल 20 लोगों को प्रार्थना के लिए अनुमति दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह नोटिस जारी कर सकता है, सुनवाई की अगली तारीख तक हम एक निर्देश जारी करेंगे कि डीएम वाराणसी सुनिश्चित करेंगे कि शिवलिंग क्षेत्र की रक्षा की जाएगी, लेकिन यह मुसलमानों की नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश में बाधा नहीं बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सर्वे को लेकर जगह रोक आदेश निचली अदालत में सुनवाई चल रही है। ऐसे में जिला अदालत के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कमेटी ने सर्वे कराए जाने के आदेश को चुनौती दी है।

जहांगीरपुरी में तोड़फोड़: रोक के आदेश के बाद भी चलता रहा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

Edited by: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 21, 2022 12:18 IST

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Image Source : PTI violence-hit Jahangirpuri area

नई दिल्ली: दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के बाद कल एमसीडी की तरफ से अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई शुरू हुई। हालांकि कुछ देर बाद ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक का आदेश दिया गया लेकिन इसके बावजूद बुलडोजर की कार्रवाई रुकी नहीं जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है। कोर्ट के आदेश के बाद भी लगातार इलाके में दुकानों से लेकर घरों पर बुलडोजर चलता दिखा। ये बुलडोजर मस्जिद के पास बनी दुकान पर भी आदेश के बाद चला।

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से किया इनकार, सुनवाई के अहम प्वाइंट पढ़िए

  • सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाली जगह को सुरक्षित रखने का आदेश बरकरार जगह रोक आदेश रखा
  • मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुसलमानों को ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति होगी

Gyanvapi Masjid verdict: ज्ञानवापी सर्वे. आखिर क्‍यों हटाए गए कोर्ट कमिश्‍नर अजय कुमार मिश्रा, क्‍या कहा अदालत ने
ध्यान रहे कि वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी ने वाराणसी कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफी से सर्वे करने का आदेश दिया। कमिटी की ओर से वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए जबकि यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। दिल का दौरान पड़ने के कारण वाराणसी कोर्ट में आवेदन दाखिल करने वाले एडवोकेट हरिशंकर जैन पेश नहीं हो पाए। वो अस्पताल में भर्ती हैं। आइए जानते हैं किस पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या-क्या दलीलें दीं.

वकील जगह रोक आदेश हुजैफा अहमदी: पहले पूजा के लिए वाराणसी कोर्ट में गुहार थी लेकिन बाद में कई गुहार और लगाई गई। वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया जो अयोध्या मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत है। पहले आदेश में सर्वे के लिए कोर्ट ने कमीश्नर नियुक्त कर दिया। इसके बाद काई बातें हो गईं। इसके बाद वादी ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा कि कमिश्नर ने सर्वे में शिवलिंग पाया है और ऐसे में उस जगह को सील किया जाए और उसे प्रोटेक्ट किया जाए, साथ ही मस्जिद में नमाज के लिए मुस्लिम को जाने पर रोक लगाई जाए। कमीश्नर की रिपोर्ट पर नहीं बल्कि वादी के आवेदन पर निचली अदालत ने उक्त आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में दिए फैसले में कहा था कि धार्मिक प्रकृति की जो भी जगह है, वह 15 अगस्त 1947 को जहां थी उसी रूप में उसे संरक्षित किया जाएगा। मौजूदा आदेश नुकसानदायक है। ऑर्डर संसद के नियम के खिलाफ है उस पर रोक लगाई जाए।

इंदौर में पंचायत चुनाव निरस्त हो गए तो इसकी वजह से जगह रोक आदेश किए स्थानांतरण निरस्त क्यों नहीं किए

इंदौर में पंचायत चुनाव निरस्त हो गए तो इसकी वजह से किए स्थानांतरण निरस्त क्यों नहीं किए

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। उच्च न्यायालय ने शासन जगह रोक आदेश से पूछा है कि जब पंचायत चुनाव ही निरस्त हो गए तो चुनाव के कारण किए गए स्थानांतरण आदेश निरस्त क्यों नहीं किए गए? जिला पंचायत आगर मालवा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा 24 दिसंबर 2021 को जारी पंचायत सचिवों के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाते हुए मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने शासन से यह सवाल पूछा है।

गौरतलब है कि पंचायत चुनाव को जगह रोक आदेश देखते हुए निर्वाचन आयोग ने शासन से कहा था कि ग्राम पंचायतों में तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह पदस्थ पंचायत सचिवों के स्थानांतरण किए जाएं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत आगर-मालवा ने इस संदर्भ में 24 दिसंबर 2021 को एक आदेश जारी किया था। इसमें जिले में तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह पदस्थ पंचायत सचिवों का स्थानांतरण कर दिया गया था, लेकिन 28 दिसंबर 2021 को राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव संबंधी संपूर्ण कार्रवाई को ही निरस्त कर दिया। मप्र पंचायत सचिव संगठन ने स्थानांतरण निरस्त करने के लिए अभ्यावेदन दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर ग्राम पंचायत तनोडिया के पंचायत सचिव लखन सिंह ने एडवोकेट प्रसन्नाा भटनाकर के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। इसमें कहा कि सचिवों के स्थानांतरण सिर्फ पंचायत चुनाव की वजह से किए गए थे। पंचायत चुनाव ही निरस्त हो गए तो फिर स्थानांतरण निरस्त किए जाने चाहिए। एडवोकेट भटनागर ने बताया कि कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थानांतरण जगह रोक आदेश आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए शासन से मामले में जवाब मांगा है।

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