शेयर बाजार निष्कर्ष

शेयर बाजार के फायदे और नुकसान
इन दिनों शेयर मार्केट के बारे में हर कोई चर्चा कर रहा है, हो सकता है आप भी अपना पैसा स्टॉक मार्केट में लगाने के बारे में सोच रहे हों। आज हम शेयर बाजार के फायदे और नुकसान के बारे बात करने वाले हैं। शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ से आप अच्छा-ख़ासा पैसा कमा सकते हैं लेकिन इसके विपरीत भी हो सकता है यानी आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
ताजा उदाहरण देखें तो हाल ही में आये कोरोना महामारी की वजह से स्टॉक मार्केट बुरी तरह से गिर गया था सभी निवेशकों के पोर्टफोलियो में 80-90% तक का नुकसान दिखाई दे रहा था इस स्थिति में जिन लोगों ने घबराहट में अपने स्टॉक्स बेच दिए उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।
लेकिन यह महामारी शेयर बाजार के जानकारों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया था। बड़े निवेशकों को ऐसे मौके का इंतजार होता है और इस मौके पर अच्छी कंपनियों के स्टॉक्स को बहुत कम भाव में खरीद पाते हैं। कोरोनाकाल के बाद मार्केट बड़ी तेजी से ऊपर जाता हुआ दिखा और अपने उच्चतम स्तर को भी तोड़कर आगे बढ़ चुका है। इस प्रकार से स्टॉक मार्केट के अपने फायदे भी है और नुकसान भी आइये शेयर बाजार के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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शेयर बाजार के फायदे
कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने की संभावना: शेयर बाजार निवेश का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कम समय के निवेश में भी अधिक लाभ कमाए जा सकते हैं। यदि हम बैंक एफडी, बचत खाते आदि की बात करें तो ये सभी लम्बे अवधि के निवेश में एक निर्धारित रिटर्न दे पाते हैं लेकिन स्टॉक मार्केट में कम अवधि में अच्छा मुनाफा मिल सकता है यह पूरी तरह से निवेश किये गये कम्पनी के कामकाज और मार्केट के माहौल पर निर्भर करती है।
अधिक रिटर्न मिलने की संभावना: चूंकि अधिकांश सूचीबद्ध शेयर इक्विटी शेयर हैं, उनका मूल्य सीधे कंपनी के मूल्य से संबंधित है, इस प्रकार जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो कंपनी के शेयरों के मूल्य में पर्याप्त वृद्धि होती है जो अच्छा रिटर्न प्रदान करती है।
कंपनी में हिस्सेदारी मिलती है: जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। चाहे आपके पास कितने भी शेयर क्यों न हो आप कंपनी के ग्रोथ में भागीदार होते हैं और बदले में आपको वोटिंग अधिकार, लाभांश, बोनस आदि प्राप्त हो सकते हैं।
कभी भी शेयर खरीद और बेच सकते हैं: स्टॉक मार्केट पैसा लगाना और निकालना बहुत आसान है। आप कभी भी किसी भी लिक्विड स्टॉक को शेयर बाजार निष्कर्ष खरीद और बेच सकते हैं। आप कभी भी फायदे या नुकसान में अपना पैसा बाहर निकाल सकते हैं। बैंक एफडी या सरकारी बॉन्ड की तरह यहाँ कोई निर्धारित निवेश अवधि नहीं होती है।
महंगाई से बचने का उपाय: मुद्रास्फीति से बचने के लिए शेयर बाजार में निवेश एक अच्छा उपाय है, क्योंकि शेयर बाजार में निवेश थोड़े समय के दौरान उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में सामान्य पूंजी वृद्धि के कारण शेयर का मूल्य महंगाई दर से अधिक बढ़ता है। उदाहरण के लिए, जून 2020 में महंगाई की दर 6% शेयर बाजार निष्कर्ष है और स्टॉक मार्केट निवेश पर औसत रिटर्न दर 16% रही है।
डिविडेंड आय: कंपनियां शेयरधारकों को लाभांश के रूप में प्रति वर्ष आय भी प्रदान करती हैं जो की सीधे उनके बैंक खाते में ट्रान्सफर हो जाते हैं। हालांकि यह राशि हर वर्ष अलग-अलग हो सकती है, कंपनी के मुनाफे के अनुसार यह कम या अधिक हो सकता है। जहां कंपनी को कोई लाभ नहीं तो डिविडेंट नहीं मिल सकता है।
डायवर्सिफिकेशन: शेयर बाजार के फायदे की लिस्ट में डायवर्सिफिकेशन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसका मतलब यह है की निवेशक अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग सेक्टर और उद्योग के अनुसार अलग-अलग कंपनी के स्टॉक में निवेश कर सकता है। डायवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करता है और मुनाफे की संभावना को बढ़ाता है।
निवेश करना आसन और सुविधाजन है: शेयर बाजार में निवेश करना सबसे अधिक सुविधाजन निवेशों में से एक है। आप बड़ी आसानी से ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं और अपने कंप्यूटर या मोबाइल से ऑनलाइन शेयर खरीद सकते है।
शेयर बाजार के नुकसान
अस्थिर निवेश: शेयर बाजार अत्यंत अस्थिर (volatile) है इसमें लगातार उतार-चढाव होते रहते हैं। शेयर का भाव कभी भी बढ़ सकता है या घट सकता है। शेयरों के मूल्य को प्रभावित करने वाले कोई एक नही बल्कि कई सारे कारक हैं जैसे: बजट, सरकारी नीतियां, क्षेत्रीय घटनाएँ, महामारी या आपदाएं, कंपनी के लाभ-हानि, कंपनी के प्रबंधन में परिवर्तन आदि।
जानकारी का आभाव: स्टॉक मार्केट में ज्यादातर निवेशक किसी ब्रोकर या अन्य व्यक्ति की राय से अपना पैसा निवेश कर देते हैं जो शेयर बाजार निष्कर्ष की सही नही है। निवेश करने से पहले निवेशक को स्वयं शेयर बाजार का ज्ञान लेना जरुरी है। हालांकि सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों के द्वारा कंपनियों को निवेशकों के लाभ के लिए सम्बंधित जानकारी का खुलासा करने का निर्देश होता है। लेकिन इसके बावजूद अधिकांश निवेशक अपने लाभ के लिए इस जानकारी का विश्लेषण और उपयोग करने में असमर्थ हैं। निवेशकों को इसके लिए प्रशिक्षण और अभ्यास की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।
समय लग सकता है: निवेश करने के लिए हमें अच्छे स्टॉक्स की जरुरत होती है। एक अच्छे स्टॉक को सही समय पर खरीदना जरुरी है इसके लिए हमें एनालिसिस करना आना चाहिए। आपको शेयर बाजार पर भी नजर रखनी होगी, क्योंकि बाजार के गिरावट में सबसे अच्छी कंपनी की कीमत भी गिर सकती है। सही शेयर को ढूंढना, सही भाव का इंतजार करना और उसमे निवेशित रहना इसमें काफी समय लग सकता है।
निवेशक को अंतिम में भुगतान किये जाते हैं: जैसे किसी बिज़नेस के मालिक को अंत में पैसे मिलते हैं ठीक उसी तरह निवेशको को अंतिम में भुगतान किये जाते हैं क्योंकि स्टॉक एक व्यवसाय के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक कंपनी को पहले अपने कर्मचारियों, आपूर्तिकर्ताओं, लेनदारों को भुगतान करना होता है। इसके अलावा व्यवसाय को चलाने के लिए जरुरी सुविधाओं और टैक्स के लिए भुगतान करना पड़ता है। फिर बचा हुआ कोई भी पैसा उसके मालिकों के बीच वितरित किया जाता है।
टैक्स: शेयर बाजार में निवेश करने पर आपको स्टॉक की खरीदी-बिक्री और इनकम पर टैक्स देना पड़ता है। यहाँ तक की यदि आप अपने निवेश किये गये शेयर को नुकसान में भी बेचते हैं तो भी आपको टैक्स देने पड़ सकते हैं।
ब्रोकरेज: जब कोई निवेशक शेयर खरीदता या बेचता है तो उसे ब्रोकर को ब्रोकरेज शुल्क के रूप में एक निश्चित अनुपात का भुगतान करना होता है। चाहे आप लाभ में हो या घाटे में आपको ब्रोकरेज फीस देनी ही पड़ती है।
भावनाओं को काबू में रखना जरुरी है: स्टॉक की कीमतें लगातार हर सेकंड बढ़ती और गिरती हैं। लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित नही कर पाते हैं और स्टॉक को बढ़ता हुआ देख लालच के कारण अधिक मात्रा में खरीदते हैं, और गिरने पर डर के कारण बेच देते हैं। सबसे अच्छा तरीका है कि निवेश करने से पहले शेयर बाजार निष्कर्ष जोखिम को ध्यान में रख कर निवेश करें और शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को लगातार न देखें।
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निष्कर्ष
शेयर बाज़ार में निवेश करना फायदेमंद तो है ही लेकिन इसमें जोखिम भी शामिल हैं। आप अपना पैसा किसी स्टॉक क्यों निवेश कर रहे हैं यह आपको पता होना चाहिए। नये लोगों को हमेशा निवेश करने से पहले शेयर बाजार के बारे में सीखने की सलाह दी जाती है। यदि आप पहली बार शेयर बाजार में निवेश करने का निर्णय लेते हैं, तो केवल वही राशि निवेश करें जिसे आप नुकसान के रूप में शेयर बाजार निष्कर्ष देख पायें। जोखिम और लाभ दोनों को समझने के लिए आपको अपना शोध ठीक से करने की भी आवश्यकता है। हमेशा एक रणनीति या योजना बनाकर ही निवेश करे जिससे आप शेयर बाजार में खुश और समृद्ध रहेंगे।
पुरानी पेंशन होगी बहाल तो अर्थव्यवस्था होगी खस्ताहाल
अल्पकालिक राजनीति और चुनावी लाभ को देखते हुए राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को खत्म करके पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू कर दिया है। इन राज्यों के अलावा अब तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनावी राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी सत्ता में वापसी पर OPS लाने का वादा किया है। दीर्घकालिक प्रभावों और राजकोषीय विवेक को ध्यान में न रखते हुए मतदाताओं के एक छोटे से वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों के द्वारा ऐसे कदम उठाए जाते हैं। राज्यों को बार-बार ऐसी राजनीतिक भावनाओं से प्रेरित कदमों को उठाने के लिए आगाह किया जाता है। कल्याणकारी राज्य में इन कदमों के विनाशकारी परिणाम होते हैं, क्योंकि उन्हें योजनाओं के लिए धन देने और विकास के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि देश के राज्य माइक्रोइकोनॉमिक्स और अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका को समझने में कहां तक सक्षम हैं? पेंशन सुधार उस अभूतपूर्व वित्तीय संकट का उप-उत्पाद था, जिसका भारत ने 1980 के दशक के अंत और 1990 के शुरुआती वर्षों में सामना किया था। इस सुधार को देश के दोनों मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वाली एनडीए सरकार ने 2004 में OPS को बंद कर दिया था, जिसे कांग्रेस ने 2004 में सत्ता में आने के बाद समर्थन दिया था। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों के द्वारा महज सत्ता हासिल करने के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की जगह पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू किया जा रहा है।
राजनीतिक दलों के द्वारा पेंशन को अपने चुनाव अभियान का मुख्य मुद्दा बनाकर इससे फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। सवाल उठता है कि व्यापक आर्थिक विवेक और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन के मामले में भारतीय राज्य कैसा प्रदर्शन शेयर बाजार निष्कर्ष करते हैं? RBI की हालिया रिपोर्ट बताती है कि राज्य कर्ज के पहाड़ तले नीचे दबे हैं। कई राज्य राजकोषीय घाटे से बुरी तरह से प्रभावित हैं। Loan-to-GDP (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) अनुपात यह दर्शाता है कि कोई राज्य भविष्य में ऋण लिए बिना अपने व्यय के वित्तपोषण के मामले में कितना स्वस्थ है। RBI ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सितंबर 2021 को समाप्त हुए पिछले 10 वर्षों में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ऋण-जीएसडीपी अनुपात 22.6% से बढ़कर 31.2% हो गया है। ये उच्च अनुपात वाले राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य के खिलाफ है। अनुशंसित ऋण-जीएसडीपी अनुपात केवल 20% है, जिसे उन्हें 2022-23 तक प्राप्त करने की सलाह दी गई है। लेकिन राज्यों का जो नजरिया है, उससे यह लक्ष्य हासिल होता नहीं नजर आ रहा है। मार्च 2022 तक राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का बाजार उधार 63.6% तक पहुंच गया है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में उच्चतम ऋण-से-जीएसडीपी अनुपात वाले राज्यों में 53.3% के साथ पंजाब, 39.8% के साथ राजस्थान, 38.8% के साथ पश्चिम बंगाल शामिल पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़ा केरल में 38.3% और आंध्र प्रदेश में 32.4% के बराबर है।
राज्यों ने अपने वित्तीय स्वास्थ्य को कैसे बदहाल बना दिया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आप ने पंजाब में लोगों से वादा किया था- हर घर में हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। इसके अलावा राज्य की हर महिला को 1,000 रुपये महीना दिया जाएगा। इससे अनुमान के मुताबिक सरकारी खजाने पर सालाना 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा। इस तरह के फैसले तब लिए जा रहे हैं, जब पंजाब का बकाया कर्ज पहले ही बढ़कर 2.82 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आंध्र प्रदेश का भी यही हाल है, जिसका बकाया कर्ज वित्त वर्ष 2021-22 में 3.89 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
पंजाब पर पिछले 16 वर्षों में 7 गुना से अधिक पेंशन का बोझ बढ़ा है जिसका भुगतान करने में राज्य के 30% फिसदी कर खत्म हो जाता है। इसी तरह राजस्थान का पेंशन बिल लगभग 16 गुना बढ़ गया है, जिससे राजस्व का 28% खर्च होता है। वहीं छत्तीसगढ़ में यह 12 गुना से अधिक बढ़ा है, जिससे राज्य को अपने राजस्व का 25.66% खर्च करना पड़ता है। नि:संदेह पुरानी पेंशन व्यवस्था की ओर लौटना न केवल अर्थव्यवस्था की हालत को खराब करेगा, बल्कि यह खराब राजनीति का उदाहरण भी सेट करेगा। इस तरह के फैसलों से जरूरतमंदों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने और युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने की राज्यों की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होगी। सबसे बुरा प्रभाव तो यह पड़ेगा कि इन बिलों के वित्त पोषण का बोझ आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। इसलिए राजनीतिक दलों को एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और इस तरह के आर्थिक रूप से अत्यधिक अतार्किक कदमों को उठाने से बचना चाहिए।
भारतीय शेयर बाजार की मूल बातें
सभी कंपनियों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए धन की जरूरत होती है। कभी-कभी माल या सेवाओं की बिक्री से प्राप्त लाभ कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है । इसलिए कंपनिया आप और मेरे जैसे सामान्य लोगों को अपनी कम्पनी में कुछ पैसा लगाने के लिए आमंत्रित करती है ताकि वे इसे कुशलता से चला सकें और बदले में निवेशकों को जो लाभ होता है उसका हिस्सा मिलता है । दरअसल इसे ही शेयर बोलते हैं, चलो इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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शेयर क्या होते है?
शेयर कम्पनी के मूल्य के एक हिस्से के मालिक होने का एक तरीका है । आपके द्वारा निवेश की गई पूंजी के अनुपात में आप कंपनी में एक निश्चित प्रतिशत के स्वामित्व अधिकार प्राप्त करते हैं । मान ले कि आपके पास कंपनी में में निवेश किए जा रहे 5% शेयर या हिस्सा है , तो आप कह सकते हैं कि कंपनी में आपका 5% स्वामित्व है।
शेयरों को stocks , equity , स्क्रिप्स आदि नामों के रूप में भी जाना जाता है । उन्हें खरीदने के बाद आप कंपनी के शेयरधारक के रूप में जाने जाएंगे।
कंपनियों को शेयरों की जरूरत क्यों हैं?
जब किसी कंपनी को अपने व्यवसाय का विस्तार करना होता है तो उसे धन की जरूरत पड़ती हैं , ऐसे समय के दौरान , एक कंपनी शेयर बाजार में टैप कर सकती है और अपने बाजार मूल्य के आधार पर एक निश्चित संख्या में शेयरों की पेशकश कर सकती है जिसे निवेशक खरीद सकते हैं।
निवेशक कंपनी को कुछ पैसा दे रहे होंगे और बदले में कंपनी के हिस्से के मालिक बनेंगे। इसलिए जब शेयरों का मूल्य बढ़ता है , तो निवेशक के शेयर का मूल्य बढ़ जाता है । हालांकि निवेशक कंपनी को पैसा उधार नहीं दे रहे हैं इसलिए वे लेनदार नहीं है
एक कंपनी अपने शेयरों को बाजार में कैसे सूचीबद्ध करती है ?
जब कोई कंपनी धन जुटाने के लिए पहली बार अपने शेयरों को बाजार में लिस्टेड करवाती है तो उसको IPO ( इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) बोलते है । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) हमारे बाजार नियामक, ने एक कंपनी के लिए अपने आईपीओ को एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने के लिए कुछ नियम और विनियम निर्धारित किए हैं जिनका उन्हें लिस्टिंग के लिए पात्र होने से पहले पालन करना होगा।
SEBI क्या है?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) किसी भी पक्ष द्वारा किए गए किसी भी धोखाधड़ी लेनदेन और गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रतिभूति बाजार नियामक है , सेबी कंपनियों , बड़े स्पेक्युलेटर , व्यापारियों , दलालों पर पूर्ण नियंत्रण रखती हैं जिससे छोटे निवेशक किसी धोखाधड़ी का शिकार न हो।
स्टॉक्स एक्सचेंज क्या होते हैं और भारत में मुख्यत: कितने शेयर बाजार निष्कर्ष स्टॉक्स एक्सचेंज है
स्टॉक्स एक्सचेंज एक ऐसा स्थान या मंच है जहां व्यापारी और खरीदार स्टॉक्स (शेयर) खरीदने और बेचने के लिए एक साथ आते हैं । यानि वह जगह जहां से क्रेता और विक्रेता किसी शेयर को आपस में एक्सचेंज कर सकें।
देश में दो प्राथमिक स्टॉक्स एक्सचेंज है; नेशनल स्टॉक्स एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक्स एक्सचेंज (BSE)
nifty और sensex क्या हैं?
ये दोनों इंडेक्स है. सेंसेक्स दो शब्दों सेंसटिव और इंडेक्स से मिलकर बना है. हिंदी में इसे संवेदी सूचकांक कहते हैं. देश की टॉप 30 कंपनियों के शेयरों को इसें शामिल किया जाता है. इन 30 कंपनियों की movment से ही सेंसेक्स की चाल तय होती है. अगर सरल शब्दों में कहें तो सेंसेक्स इन कंपनियों की वित्तीय सेहत शेयर बाजार निष्कर्ष का पैमाना है. ठीक, इसी तरह निफ्टी है, ये नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसमें देश की टॉप-50 कंपनियां शामिल है l
निफ्टी नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना शब्द है. इसमें 22 अलग-अलग सेक्टरों की 50 कंपनियां लिस्टेड होती हैं. इन 50 कंपनियों की वित्तीय सेहत से निफ्टी सूचकांक तय होता है. सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा भी कई सारे इंडेक्स होते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यही दो हैंl
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरा यह आर्टिकल भारतीय शेयर बाजार की मूल बातें जरूर पसंद आया होगा , मेने यह लेख आसान ओर व्यावहारिक भाषा मे पब्लिश किया है ताकि हर कोई इससे आसानी से समझ सके । मेरी हमेशा से यही कोशिश रहेगी कि मे पाठकों तक सरल ओर व्यावहारिक ज्ञान उपलब्ध करवाऊ शेयर बाजार निष्कर्ष ।
यदि आपको इस लेख मे कोई त्रुटि नजर आई है तो आप बेशक कमेन्ट बॉक्स मे बता सकते है , जिसका समाधान करने कि कोशिश करूंगा ।
Bullish Stock: आज बुलिश हो सकते हैं यह 7 बड़े शेयर, भविष्य में निवेशकों को दिलाएंगे तगड़ा रिटर्न
नई दिल्ली, Bullish Stock | यदि आप भी शेयर बाजार में पैसा इनवेस्ट करते हैं तो आज की यह खबर आपके लिए काफी अहम होने वाली है. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहता है. निवेशकों का ध्यान इस तरफ विशेष होता है कि किस शेयर की कीमत ऊपर जाएंगी और कौन से शेयरों की कीमतों में कमी आ रही है. वही किसी भी शेयर के लिए पहले से ही राय बना पाना काफी मुश्किल होता है.
इन्वेस्टमेंट से पहले इस प्रकार करें मार्केट की स्टडी
आप फंडामेंटल और चार्ट आदि की स्टडी करके एक निष्कर्ष पर अवश्य पहुंच सकते हैं. आने वाले दिनों में कौन से स्टॉक बुलिश रहने वाले हैं, इसको लेकर भी आप चार्ट की सहायता से निष्कर्ष पर जा सकते हैं. चार्ट में ऐसे 7 शेयर मौजूद है जो आज को बुलिश हो सकते हैं. इन 7 शेयरों में बैंकिंग और फाइनेंस के शेयर भी शामिल है .
आज बुलिश हो सकते हैं यह 7 शेयर
चार्ट एनालिसिस के अनुसार, आज जो भी शेयर बुलिश रह सकते हैं उनमें The Indian Hotels Company Limited, Aditya Birla Fashion And Retail Limited, Bank Of Baroda, Punjab National Bank, Mahindra & Mahindra Financial Services, Grasim Industries Limited, Bharat Electronics Limited शामिल हैं.
वही शुक्रवार को इन शेयरों शेयर बाजार निष्कर्ष ने बाजार में हरें निशान पर क्लोज़िंग दी थी. इनमें M&MFIN 3.95%, GRASIM 3.1%, BEL 2.92%, INDHOTEL 2.72%, ABFRL 2.23%, BANKBARODA 1.91% और PNB 1.28% उछाल के साथ बंद हुए थे.
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