सर्वोत्तम उदाहरण और सुझाव

चलती औसत तुलना

चलती औसत तुलना
ऋषभ पंत के परफॉर्मेन्स में लगातार गिरावट दिख रही है और यही वजह है कि उन पर सवाल उठ रहे हैं. वो अच्छा खेलें इसके क्राइस्टचर्च में उन्हें प्रमोट कर नंबर 4 पर उतारा गया. लेकिन बल्लेबाजी की रामकहानी नहीं बदली. ये तब था जब इस मैच से पहले कोच वीवीएस लक्ष्मण ने कहा था कि उन्होंने नंबर 4 पर अच्छा परफॉर्म किया है और टीम उन्हें पूरा सपोर्ट करेगी.

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महिलाओं को पुरुषों से कम सैलरी देने का ट्रेंड कब खत्म होगा?

BCCI पुरुषों और महिलाओं को एक समान मैच फीस देगा, इस फैसले से महिलाओं के साथ सैलरी को लेकर भेदभाव पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है.

हाल ही में BCCI के एक फैसले ने जैसे ठहरे हुए पानी में कंकड़ मार दिया. लहर उठी, तो फिर से सवाल उठने लगे कि एक ही तरह के काम के लिए महिलाओं की सैलरी पुरुषों से कम क्यों? हर जगह महिलाओं के काम को आंख मूंदकर कमतर क्यों मान लिया गया? इस पर भी विचार करने की जरूरत है कि क्यों इस तरह का भेदभाव खत्म होना ही चाहिए.

काम करने में कौन आगे?

कोई भी इंसान बचपन से ही इस बात को अच्छी तरह महसूस कर सकता है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा काम करती आई हैं. ये और बात है कि महिलाओं के कामों की लिस्ट में कई एकदम घरेलू होते हैं. जाहिर है, वैसे कामों के बदले में उन्हें कोई मेहनताना नहीं मिलता. यह बात नीचे दिए गए सर्वे में भी देखी जा सकती है.

राष्ट्रीय सैंपल चलती औसत तुलना सर्वेक्षण (NSS) की 2019 की रिपोर्ट गौर करने लायक है. रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं हर दिन औसतन 299 मिनट उन घरेलू कामकाज में खपा देती हैं, जिनके लिए उन्हें किसी तरह का भुगतान नहीं किया जाता. पुरुष भी इस तरह के घरेलू काम करते हैं, लेकिन वे इस पर औसतन 97 मिनट ही खर्च करते हैं.

सर्वे चलती औसत तुलना के अनुसार, 15-59 आयु-वर्ग की केवल 22% महिलाएं ही रोजगार या इससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहीं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 71% है.

ग्लोबल है भेदभाव की समस्या (Salary Discrimination is Global)

ये अकेले भारत की बात नहीं है. भेदभाव दुनिया के हर कोने में है. दुनिया का अगुआ माने जाने वाले अमेरिका के फेडरल डेटा के अनुसार, साल 2021 में पूर्णकालिक महिला कर्मचारियों का औसत वेतन पुरुषों के वेतन का लगभग 83 फीसदी था. साथ ही महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं.

हालांकि, अमेरिका में भी सैलरी में लिंग आधारित भेदभाव पाटने की कोशिश चल रही है. अमेरिका के कुछ राज्यों और नगरों में समान वेतन चलती औसत तुलना वाले कानून को अपनाया जा रहा है. इस कड़ी में न्यूयॉर्क सिटी का भी नाम जुड़ गया है, जहां नवंबर, 2022 के बाद से नियोक्ताओं के लिए सैलरी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों का खुलासा करना जरूरी हो जाएगा.

भारत के स्टार्टअप की स्थिति

बेंगलुरु स्थित फिनटेक कंपनी रेजरपे (Razorpay) की हाल ही में एक रिपोर्ट आई. रिपोर्ट बताती है कि देश के स्टार्टअप ईकोसिस्टम में लिंग के आधार पर सैलरी में भेदभाव बढ़ रहा है. इसके आंकड़े अक्टूबर, 2021 से सितंबर, 2022 तक करीब 20 सेक्टर के 1000 से ज्यादा भारतीय स्टार्टअप में 25,000 कर्मचारियों के पेरोल डेटा पर आधारित हैं.

रिपोर्ट से पता चलता है कि देश के स्टार्टअप में महिलाओं की सैलरी बढ़ने की रफ्तार पुरुषों के मुकाबले कम है. पुरुषों द्वारा अर्जित वेतन में वृद्धि 29 फीसदी है, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 22 फीसदी है. सैलरी ब्रैकेट बढ़ते जाने पर यह गैप और बढ़ता जाता है.

बड़े भाई, होशियार?

अध्ययन, जो पत्रिका में प्रकाशित हुआ था विज्ञान, यह बताता है कि अध्ययन किए गए बड़े भाई-बहनों का औसत बौद्धिक भागफल छोटे भाई-बहनों की तुलना में थोड़ा अधिक था। नतीजों से पता चला कि मेजर ने औसतन 103'2 का आईक्यू लिया, दूसरे भाई ने 100'4 का औसत स्कोर प्राप्त किया, और तीसरा 99 के आंकड़े तक गिर गया.

नॉर्वेजियन अध्ययन से पहले, बर्नार्ड डिवालिन द्वारा स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड साइकेट्री में पिटबर्गबर्ग विश्वविद्यालय में एक शोध किया गया था। एलअकेले जीन के 48% के लिए जीन जिम्मेदार हैं एक व्यक्ति की, जबकि 52% तक यह जन्मपूर्व देखभाल, पर्यावरणीय संदर्भ और प्राप्त शिक्षा का परिणाम है.

नॉर्वेजियन सशस्त्र बलों के सदस्यों का अध्ययन करने वाली चलती औसत तुलना जांच से पता चला है कि जन्म के समय आदेश परिणामों को समझाने में प्राथमिक कारक नहीं है, क्योंकि यह पर्याप्त है कि सबसे बड़ी बुद्धि वाले भाई ने बड़े भाई की भूमिका निभाई है, हालाँकि उनका जन्म दूसरी (या तीसरी) जगह पर चलती औसत तुलना हुआ होगा.

खुफिया: स्थायी विवाद में एक अवधारणा

बेशक, अगर कोई अवधारणा है जो विशेषज्ञों और सामान्य रूप से आबादी दोनों में राय की विसंगति उत्पन्न करती है, तो यह एक है बुद्धि. कारणों और जिस तरह से लोग इस गुणवत्ता को व्यक्त करते हैं, उसे समझाने के लिए विभिन्न मॉडल हैं.

बुद्धि के लिए शास्त्रीय दृष्टिकोण वह है जो अध्ययन में प्रश्न में नियोजित किया गया है। यह दृष्टिकोण व्यर्थ में नहीं, गणना और मौखिक तर्क की क्षमता को एक बड़ा महत्व देता है वे अधिक आसानी से मापने योग्य पहलू भी हैं, और इसलिए परिणाम एक पैमाने पर मानकीकृत होते हैं जहां औसत मूल्य होता है 100.

दूसरी ओर, अन्य मॉडलों का प्रस्ताव है यासबसे समग्र बुद्धि की दृष्टि नहीं, उन पहलुओं पर भी जोर देना, जिन्हें आसानी से नहीं मापा जा सकता है: बुद्धि इंट्रा और पारस्परिक, दैहिक, संगीत.

सब कुछ आनुवंशिक नहीं है

भाइयों में बुद्धि पर किए गए अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि बड़े भाई-बहनों की इस बुद्धिमत्ता को समझाने के लिए एक निर्णायक कारक है, और वह यह है कि अपने छोटे भाई-बहनों के लिए ट्यूटर के रूप में अभिनय की जिम्मेदारी उनके संज्ञान की गुणवत्ता में पुरस्कार ला सकती है, इस प्रकार आपके आईक्यू में सुधार होता है.

किसी भी मामले में, यह अध्ययन इस दिलचस्प सवाल का केवल एक अनुमान है, और जांच जारी रखना आवश्यक होगा.

50. एक ट्रेन की गति अपनी यात्रा के पहले घंटे के दौरान दूसरे घंटे
की तुलना में आधी है। इसके अलावा तीसरे घंटे के दौरान
इसकी गति, पहले दो घंटे के दौरान इसकी गति के योग को
दो-तिहाई है। यदि ट्रेन तीन घंटे के लिए उसी गति पर चलती
है जो गति से वह पहले घंटे के दौरान चली थी, तो वो
180 किमी कम चलती।
पहले तीन घंटे के लिए ट्रेन की औसत गति का पता लगाएं?
(a) 120 किमी/घंटा (b) 160 किमी/घंटा
(c) 180 किमी/घंटा
(d) 150 किमी/घंटा

anjukrishusachin

Certain number of people works in retail, online and door to door stores. There are only three type stores and each people works in one or more store … .72% of people were in retail store and 1th of people working in retail store. Number of people working in only door to door store was people working in both door to door store and online store but not in retail store are 55. People working in only online store are 65 more than the people working in only door to door store. 160% more than number ofpeople working in Number of peopleworking in only retail store is online store?​

कैसे जीतेंगे दूसरा मैच? ‘पावरप्ले' में रन बन नहीं रहे, धवन के सामने है बड़ी चुनाैती

Sports

हैमिल्टन : भारतीय टीम जब रविवार को ‘करो या मरो' के दूसरे वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो उम्मीद करेगी कि कप्तान शिखर धवन और युवा शुभमन गिल ‘पावरप्ले' ओवरों में बेहतर रवैया अपनाएं। धवन को सीरीज बचाने की चुनाैती है। अगर मैच हारे तो सीरीज भी गई। सेडोन पार्क तीनों ओर से खुला मैदान है लेकिन न्यूजीलैंउ में बल्लेबाजों के लिए सबसे मददगार मैदानों में से एक के रूप में मशहूर है जिसमें बल्लेबाजों को अपने शॉट के लिए उचित रन मिलेंगे। पहले वनडे में धवन (77 गेंद में 72 रन) और गिल (65 गेंद में 50 रन) ने पहले विकेट के लिये 123 रन की भागीदारी निभाई थी, लेकिन ईडन पार्क जैसे छोटे मैदान पर सात विकेट पर 306 रन का स्कोर कम से कम 40 रन से कम रहा। गेंदबाजों ने महज 47 ओवर में ये रन गंवा दिए जिससे जिम्मेदारी मुख्य बल्लेबाजों पर ही आ जाती है क्योंकि अगर वाशिंगटन सुंदर ने शानदार योगदान नहीं दिया होता तो चलती औसत तुलना भारत 300 रन के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाता।

ऐसे खेल रहे फिर भी टिके हैं पंत

ऋषभ पंत के सिर्फ इस साल का रिकॉर्ड देखेंगे तो वनडे क्रिकेट की चलती औसत तुलना 10 पारियों में उनके नाम 1 शतक और केवल 2 अर्धशतक हैं. वहीं 2 बार वो जीरो पर आउट हुए जबकि 5 बार 20 रन का स्कोर पार करने में नाकाम. उनका बैटिंग औसत भी पिछले साल की तुलना में गिरा है.

ऋषभ पंत की दो टूक, वनडे-T20I रिकॉर्ड खराब नहीं, अभी तो बस 24 साल का हूं

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इंडिया Vs न्यूजीलैंड, 3rd ODI, Highlights: तीसरा वनडे रद्द, भारत ने वनडे सीरीज गंवाई

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