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उलटा निवेश

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महंगाई चरम स्तर पर हो तो इन टिप्स को अपनाकर राहत पा सकते हैं

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टीबी के कारण प्रतिदिन चार हज़ार से अधिक मौतें, संसाधनों में निवेश की पुकार

भारत में एक डॉक्टर अपने मरीज़ के एक्स-रे की जाँच कर रहा है, ताकि टीबी का पता लगाया जा सके.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तपेदिक (टीबी) के विरुद्ध लड़ाई में दर्ज प्रगति की दिशा उलटने पर चिन्ता जताते हुए, संसाधन, समर्थन, देखभाल और जानकारी सुनिश्चित करने के लिये तत्काल निवेश की पुकार लगाई है. यूएन एजेंसी के अनुसार, वर्ष 2000 के बाद से अब तक साढ़े छह करोड़ से अधिक ज़िन्दगियों की रक्षा करने में मदद मिली है, मगर कोविड-19 महामारी से उपजे व्यवधान के कारण जोखिम पैदा हो गया है.

यूएन एजेंसी ने गुरूवार, 24 मार्च, को ‘विश्व टीबी दिवस’ के अवसर पर आगाह किया है कि टीबी से होने वाली मौतों में वर्ष 2020 में वृद्धि हुई और पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है.

Today is #WorldTBDay.#Tuberculosis - also known as TB - remains one of the उलटा निवेश world’s deadliest infectious killers.Each day, over 4,100 people lose their lives to it & close to 28,000 people fall ill with this preventable & curable disease.More: https://t.co/KTLi8LOQHf pic.twitter.com/6zVueVLnZZ

टीबी की बीमारी ‘Mycobacterium tuberculosis’ नामक बैक्टीरिया से संक्रमित होने के कारण होती है, जिससे सबसे अधिक फेफड़े प्रभावित होते हैं.

टीबी अक्सर इसके मरीज़ों द्वारा खाँसने, छींकने या थूकने से निकलने वाली बैक्टीरिया के हवा में फैलने से होती है.

तपेदिक से हर साल बीमार पड़ने वाले अधिकाँश मरीज़ केवल 30 देशों से हैं, जिनमें भारत, इण्डोनेशिया, चीन, पाकिस्तान, फ़िलिपीन्स, तन्ज़ानिया, नाइजीरिया, केनया सहित अन्य देश हैं.

पूर्वी योरोप, अफ़्रीका और मध्य पूर्व में जारी हिंसक संघर्षों व टकरावों के कारण निर्बल आबादियों के लिये हालात और ख़राब होने की आशंका जताई गई है.

टीबी, दुनिया में सबसे जानलेवा बीमारियों में से है. हर दिन, चार हज़ार से अधिक लोगों की उलटा निवेश तपेदिक के कारण मौत होती है और 30 हज़ार से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं.

प्रगति की धीमी रफ़्तार

वर्ष 2018-2020 तक, दो करोड़ लोगों तक टीबी उपचार सेवाओं को पहुँचाया गया, मगर यह 2018-2022 के लिये स्थापित पाँच वर्षीय लक्ष्य (चार करोड़) की आधी संख्या है.

इसी अवधि में 87 लाख लोगों को टीबी की रोकथाम के लिये सेवाएँ मुहैया कराई गईं, जोकि 2018-2022 के लिये पाँच वर्षीय लक्ष्य (तीन करोड़) का 29 प्रतिशत है.

बच्चों और किशोरों के लिये हालात और भी ख़राब बताए गए हैं. वर्ष 2020 में, टीबी से ग्रस्त 15 वर्ष से कम उम्र के 63 प्रतिशत बच्चों और किशोरों तक, जीवनरक्षक टीबी निदान व उपचार सेवाओं को सुनिश्चित नहीं किया जा सका.

पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये यह आँकड़ा और भी अधिक चिन्ताजनक – 72 प्रतिशत है.

रोकथाम व इलाज सम्भव

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, टीबी की रोकथाम व पूर्ण रूप से इलाज सम्भव है, और इस चुनौती पर विराम लगाने के लिये सभी सैक्टरों द्वारा समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता होगी.

टीबी के निदान, उपचार और रोकथाम सेवाओं के लिये 2022 तक वार्षिक 13 अरब डॉलर के ख़र्च का लक्ष्य रखा गया है, मगर 2020 के दौरान, इस लक्षित व्यय की आधे से भी कम रक़म का इस्तेमाल हुआ है.

शोध और विकास कार्यों के लिये अतिरिक्त एक अरब 100 करोड़ डॉलर की आवश्यकता बताई गई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “टीबी की रोकथाम, पता लगाने, और उपचार के लिये सर्वाधिक नवाचारी सेवाओं व औज़ारों के विकास और उनकी सुलभता में विस्तार के लिये तत्काल निवेशों की आवश्यकता है.

"ताकि हर साल लाखों लोगों की जीवन रक्षा की जा सके, विषमताओं को कम किया जा सके और व्यापक आर्थिक हानि को टाला जा सके.”

तुवालु में टीबी से पीड़ित एक महिला का घर पर इलाज किया जा रहा है.

कोविड-19 से उत्पन्न व्यवधान

कोविड-19 महामारी का उन बच्चों और किशोरों पर विषमतापूर्ण व नकारात्मक प्रभाव हुआ है, जोकि या तो टीबी से पीड़ित हैं या फिर उसके जोखिम का सामना कर रहे हैं.

घर-परिवारों में टीबी का फैलाव बढ़ा है, जबकि देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता कम हुई है.

इसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने विश्व तपेदिक दिवस पर सदस्य देशों से टीबी सेवाओं की सुलभता फिर से बहाल करने, और वैश्विक महामारी के कारण आए व्यवधान से निपटने का आहवान किया है, विशेष रूप से बच्चों व किशोरों के लिये.

स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि टीबी कार्यक्रमों में निवेश का लाभ ना सिर्फ़ व्यक्तियों तक पहुँचता है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणालियाँ पुख़्ता होती हैं और महामारी की तैयारियों को भी मज़बूती मिलती है.

कोविड-19 महामारी से सबक़ लेते हुए, निवेश में स्फूर्ति लाने और नए औज़ारों, जैसेकि टीबी वैक्सीन, को विकसित करने की प्रक्रिया को अहम बताया गया है.

सरकारी कंपनियों में विनिवेश और निजीकरण में है फर्क, यहां समझिए

सरकारी कंपनियों में विनिवेश और निजीकरण में है फर्क, यहां समझिए

विनिवेश यानी निवेश का उलटा. जैसे निवेश का मतलब होता है किसी कारोबार में या कंपनी में पैसे लगाना, उसी तरह विनिवेश का मतलब है उस पैसे को वापस निकालना. जब सरकार विनिवेश शब्द का इस्तेमाल करती है तो इसका मतलब है सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया. विनिवेश की प्रक्रिया के तहत सरकार या तो अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच सकती है या फिर आंशिक हिस्सेदारी बेचकर कुछ पैसे जुटा सकती है.

विनिवेश के जरिए सरकार किसी भी कंपनी या संस्थान में अपने शेयर किसी और पक्ष को बेचकर दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए रकम की व्यवस्था करती है. विनिवेश को उदारीकरण का हिस्सा माना जाता है. विनिवेश या तो किसी प्राइवेट कंपनी के पक्ष में किया जा सकता है या फिर उनके शेयर पब्लिक को भी जारी किए जा सकते हैं.

बजट 2019: सस्ते हो सकते हैं इलेक्ट्रिक वाहन,टैक्स घटाने की तैयारी?

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विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के शासनकाल में आनी शुरू हुई थी, और तब से अब तक केंद्र सरकार इसके जरिए अच्छी-खासी रकम जुटा चुकी है. लेकिन पिछले एक दशक में विनिवेश को केंद्र सरकारों ने काफी गंभीरता से लिया है. वित्त वर्ष 2010 से लेकर 2019 तक सरकार ने विनिवेश के जरिए 3.8 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं, और इसमें से करीब 2.8 लाख करोड़ तो पिछले 5 साल में ही जुटाए गए हैं.

पिछले कारोबारी साल में सरकार ने बजट में विनिवेश के जरिए 80,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य घोषित किया था, लेकिन करीब 85,000 करोड़ रुपए जुटाकर लक्ष्य से ज्यादा हासिल किया. अब मौजूदा कारोबारी साल 2019-20 के लिए विनिवेश के जरिए 90,000 करोड़ रुपए की रकम जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. इसका एक बड़ा हिस्सा सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीएसई) के नॉन-कोर एसेट को बेचकर जुटाए जाने का लक्ष्य है. इन कंपनियों में एनटीपीसी, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, सेल और सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भी शामिल हैं.

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महंगाई जब छू रही हो आसमान, तो कैसे करें निवेश और बचत? इन 5 टिप्स से काम होगा आसान

एक्सपर्ट की मानें तो अभी कुछ दिनों तक महंगाई उच्च स्तर पर बनी रहेगी. ऐसे में निवेश करने से पहले देख लें कि कहां से आपको रियल रिटर्न की गारंटी मिल रही है.

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दुनियाभर में मंहगाई तेजी से बढ़ रही है इसकी वजह से महंगी हो रही चीजों का असर आप भी महसूस कर रहे होंगे. मंहगाई में हो रही वृद्धि से आपके बचत की वैल्यू लगातार घटती है. एवरेज कंज्यूमर इनफ्लेशन रेट 8% हो इसके मुकाबले आपकी परशनल इनफ्लेशन रेट इससे कही ज्यादा है. मध्यम स्तर की महंगाई इकोनॉमी के लिए फायदेमंद बताई जाती है. उच्च स्तर की महंगाई एक कंज्यूमर के रुप में आपके लिए और दूसरे निवेशक (इवेस्टर) दोनों के लिए काफी नुकसानदायक है. अर्थजगत के एक्सपर्ट की माने तो अभी कुछ दिनों तक महंगाई उच्च स्तर पर बनी रहेगी. ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में आपकी बचत पर उच्च स्तर के महंगाई का प्रभाव कैसे कम से कम हो उसके लिए यहां कुछ टिप्स बताए गए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद जरुरी है.

अपने ‘पर्सनल इनफ्लेशन रेट’ को कैलकुलेट करें

दो अलग-अलग दिनों में एक तरह के रोजमर्रा के जरुरी सामानों पर किए गए खर्चों की कीमतों का आपस में तुलना कर सकते हैं. इसके लिए आज के समय में आपके पास कई एडवांस मोबाइल एप्प या मैनेजमेंट टूल मौजूद हैं जिनकी मदद लेकर आप बहुत आसानी से अपने खर्चों को कैलकुलेट और पिछले दिन के मुकाबले आज हुए खर्चों की आपस में तुलना कर महंगाई के प्रभाव को समझ सकते हैं.

वहीं कंज्यूमर इनफ्लेशन परशनल इनफ्लेशन से बिल्कुल अलग है. कंज्यूमर इनफ्लेशन में खाने-पीने के चीजों की कीमतों में 11-14% की बढ़त और रेंट में गिरावट जैसे तमाम खर्चें शामिल होते हैं और इन सभी खर्चों में हुए वृद्धि को आप अच्छी तरीके से महसूस कर सकते हैं.

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खर्चों में कटौती करें

महंगाई अपने उच्च स्तर पर हो तो ऐसे में गैर जरुरी चीजों पर खर्च करने से बचना चाहिए. यही सबसे बढ़िया तरीका भी है. अगर आप इस चीज को बखूबी समझना चाहते हैं तो इसके लिए आप अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट को देख सकते हैं

महंगाई चरम उलटा निवेश पर हो तो खर्चों में कटौती के लिए आप काफी चर्चित 50:20:30 नियम भी अपना सकते हैं. इस नियम के तहत टैक्स देने के बाद बचे कुल कमाई का 50 फीसदी भाग जरुरी चीजों पर खर्च करने, 30 फीसदी भाग अपनी इच्छाओं को पूरा करने और 20 फीसदी हिस्सा बचाना चाहिए. इसके आलावा कई अहम नियम जिसे अपनाकर आप अपने खर्चों में कटौती कर सकते हैं.

रियल रिटर्न देने वाली स्कीम में निवेश करें

महंगाई चरम पर हो तो ऐसे समय में रियल रिटर्न तभी मिलता है जब आप अपनी बचत (सेविंग) से इनफ्लेशन रेट के प्रभाव में कटौती करते हैं. हालांकि आपको फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और इसके जैसी अन्य स्कीम पर बेहतर रिटर्न का लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में आपको उन्ही स्कीम पर अपनी सेविंग खर्च करनी चाहिए जो आपको रियल रिटर्न की गारंटी दें.

सभी तरह के निवेश भी महंगाई को प्रभावित नहीं करते हैं

महंगाई अपने चरम पर होती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उसे कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में फेरबदल करता है. जिससे बिजनेस और अन्य सेक्टर प्रभावित होते हैं. ऐसे में स्टॉक मार्केट / कंपनियों में अपने बचत को निवेश करने से पहले चेक कर लें कि कंपनी का कारोबार कैसा चल रहा है. कई बार महंगाई के कारण कुछ कंपनियां से निकले प्रोडक्ट या ब्रांड में गिरावट देखने को मिलती है.

सैलरी बढ़ाने की मांग करें

चीजें महंगी हो रही है सेवाएं महंगी हो रही हैं तो ऐसे में आपके खर्चें भी बढ़ ही जाएंगे. इस स्थिति में आपको अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग जरुर करना चाहिए.

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