सर्वोत्तम उदाहरण और सुझाव

स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है

स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है
Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म. पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

क्या होता है जब एक स्टॉक.

निवेशकों को कभी-कभी उन सवालों का सामना करना पड़ता है जिनके बारे में वे निश्चित नहीं हैं कि कैसे जवाब दिया जाए। यदि आप कभी नहीं जानते थे कि क्या होता है जब एक शेयर बंट जाता है, या इसे क्यों डिलीट किया जाता है, तो हमने एक त्वरित और आसान धोखा-शीट तैयार की जिसका उपयोग आप अपने लिए, या दूसरों को शिक्षित करने के लिए कर सकते हैं।

तो, क्या होता है जब एक शेयर

स्प्लिट्स या रिवर्स स्प्लिट्स

स्टॉक विभाजन तब होता है जब कोई कंपनी अपने शेयरों के मूल्य का बहुत अधिक मूल्य तय करती है, और वे चाहते हैं कि वे अधिक सस्ती महसूस करें, स्टॉक की मांग को बढ़ाएं (और अक्सर समग्र मूल्य बढ़ाएं)।

10 रुपये से कम के इन छोटे शेयरों का बड़ा कमाल, एक हफ्ते में ही कर दिए मालामाल

10 रुपये से कम के इन छोटे शेयरों का बड़ा कमाल, एक हफ्ते में ही कर दिए मालामाल

शेयर बाजार में आज बड़े शेयरों में गिरावट के बीच छोटे शेयर कमाल का रिटर्न दे रहे हैं। गुरुवार दोपहर दो बजे तक सेंसेक्स 443 अंक टूट कर 59167 के स्तर पर आ गया था। टाइटन, एचडीएफसी, विप्रो, एलएंडटी, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज स्टॉक जहां लाल निशान पर थे तो 10 रुपये से कम के कुछ शेयर 9 से 10 फीसद की उछाल के साथ कारोबार कर रहे थे।आज ऐसे 10 स्टाक्स के बारे जानें, जिन्होंने अपने निवेशकों को तगड़ा मुनाफा कमवा रहे हैं.

1. दोपहर दो बजे तक Excel Realty N Infr दस फीसद की उछाल के साथ 8.25 रुपये पर कारोबार कर रहा था। यह स्टॉक पिछले एक हफ्ते में 22.22 फीसद का रिटर्न दे चुका है।

Stock Exchange: जाने, शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट और लोअर सर्किट?

शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट

शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट

  • भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी दिखी
  • इस दिन कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई
  • कुछ बैंकों के कारोबार पर सर्किट ब्रेकर भी लगा
  • आपको मालूम है कि क्या होता है सर्किट ब्रेकर
  1. क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?
    सामान्य निवेशक इस बात को लेकर कभी कभी बहुत हैरान रहते हैं कि शेयर का मूल्य किस हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है। शेयर का मूल्य दो कारणों से बढ़ता या घटता रहता है। पहला कारण शेयर की सप्लाई और डिमांड और दूसरा कारण कंपनी द्वारा मुनाफा कमाना या कंपनी का घाटा। लेकिन, अगर हम स्टॉक ट्रेडिंग में देखें तो शेयर की सप्लाई और डिमांड की वजह से अधिकतर शेयर का मूल्य घटता बढ़ता रहता है। जब भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी ज्यादा लोग खरीदते हैं तो उसका दाम बढ़ जाता है। और, जब लोग शेयर को बेचना स्टार्ट कर देते हैं तब शेयर का मूल्य घटने लगता है यह इस तरह से काम करता है।
  2. क्या है लोअर सर्किट?
    मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का शेयर हैं। किसी वर्ष के दौरान उस कंपनी को किसी कारणवश घाटा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में आप उस कंपनी का शेयर बेचने लगेंगे। ऐसे ही बहुत से लोग जो उस कंपनी के शेयर को लिए होंगे वह भी बेचना शुरू कर देंगे। जब सब बेचना शुरू कर देंगे तो एक ही दिन में उस कंपनी का शेयर शून्य तक पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित सीमा तक गिरे इसके लिए NSE तथा BSE स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ नियम बनाए हैं। जिनके अंतर्गत जब किसी कंपनी में अचानक सब लोग शेयर बेचना शुरू कर दें तो एक निश्चित सीमा तक ही उस शेयर का मूल्य घटेगा। उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। यह जो मूल्य घटने की सीमा है, उसे ही लोअर सर्किट कहते हैं।
  3. लोअर सर्किट का इस्तेमाल कब होता है?
    लोअर सर्किट के तीन चरण होते हैं। यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है। यदि 10 फीसदी की गिरावट दिन में 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 10 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुक जाता है। इसमें शुरुआती 15 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार सत्र के अंत तक यानी 03.30 बजे तक जारी रहता है।
  4. क्या है 15 फीसदी का सर्किट नियम?
    यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है।
  5. क्या है अपर सर्किट
    अपर सर्किट को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं। उस कंपनी को खूब मुनाफा होता है या किसी कारणवश उस कंपनी में निवेशकों की रूचि बढ़ जाती है। ऐसे में उस कंपनी के शेयर का दाम खूब चढ़ने लगता है। ऐसे में किसी कंपनी के शेयर का मूल्य एक ही दिन में आसमान में पहुंच जाएगा। इसी हालत से बचने के लिए शेयर बाजार में अपर सर्किट का प्रावधान है। उस निश्चित मूल्य सीमा तक उस कंपनी के शेयर का दाम पहुंचते ही उसमें अपर सर्किट लग जाएगा और उसकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। जिस तरह से लोअर सर्किट पर 10, 15 और 20 फीसदी का नियम लागू होता है, वही नियम अपर सर्किट पर भी लागू होता है।
  6. कारोबार रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है?
    सर्किट लगने पर कारोबार रुक जाता है। जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है। इसके बाद सामान्य कारोबार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत (जो भी पहले हो) तक जारी रहता है।
  7. सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
    सर्किट के स्तर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा तय किए जाते हैं। इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर लगाया जाता है ताकि उन्हें बाजार के बड़े झटकों से बचाया जा सके। बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है। ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है।
  8. भारतीय शेयर बाजार में कब से हुआ सर्किट का प्रावधान?
    भारतीय शेयर बाजार में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का इतिहास 28 जून 2001 से शुरू होता है। उसी दिन बाजार नियामक सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद इसका पहली बार इस्तेमाल 17 मई 2004 को हुआ स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है था।

5paisa से समझें इंडेक्स कैसे कराएंगे शेयर बाजार में कमाई, समझ जाएंगे कहां जा रहा स्टॉक मार्केट

बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद करते हैं। 5paisa शेयर बाजार के सभी सेक्टर और इंडेक्स से जुड़ी जानकारियां देने के अलावा बेहद आसान तरीके से इंडेक्स की चाल को समझने में मदद करता है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या फिर करना चाहते हैं तो आपको एक बात हर हाल में पता होगी कि शेयर बाजार का गिरना या उसका चढ़ना ही तय करता है कि आपको बाजार में कमाई होगी या नुकसान होगा। अब सवाल उठता है कि किसी निवेशक या आम आदमी को कैसे पता चलता है कि किसी दिन शेयर बाजार गिरा है या चढ़ा है। इसी सवाल का स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है आसान जवाब देने के लिए शेयर बाजार ने सेंसेक्स और निफ्टी की शुरुआत हुई थी जो कि अब भारतीय शेयर बाजार का चेहरा बन गए हैं। बाजार पर हल्की नजर रखने वाले भी जानते हैं कि जब सेंसेक्स और निफ्टी गिरते हैं तो माना जाता है कि भारत का शेयर बाजार गिरा है, वहीं ये इंडेक्स अगर बढ़ते हैं तो माना जाता है कि घरेलू बाजार बढ़ रहा है। हालांकि इंडेक्स की दुनिया इतनी आसान और छोटी नहीं है। सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा बाजार में कई इंडेक्स मौजूद हैं जो न केवल बाजार के कई अलग अलग हिस्सों के प्रदर्शन की जानकारी देते हैं। साथ ही निवेशकों को निवेश के बेहतर फैसले लेने में मदद भी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं कि बाजार से आप ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें तो आपके लिए ये जानना जरूरी होगा आखिर ये इंडेक्स होते क्या हैं।

क्या होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार अपने तेजी से लिए जाने वाले फैसलों के लिए जाना जाता है। हालांकि फैसले लेने के लिए आपको पता होना चाहिए कि शेयर बाजार की दिशा क्या है। सभी जानते हैं कि किसी की भी दिशा जानने के लिए भले ही वो शेयर बाजार क्यों न हो आपके पास कम से कम दो रिफ्रेंस प्वाइंट होने जरूरी हैं। क्योंकि इसी से आप दोनों प्वाइंट की तुलना कर कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं। इसी नियम को देखते हुए शेयर बाजार में इंडेक्स की शुरुआत की गई है। ये इंडेक्स इस आधार पर डिजाइन किये गए हैं कि वो शेयर बाजार के अधिकांश हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हों और कई स्टॉक के प्रदर्शन के असर को किसी खास वक्त के लिए एक रिफ्रेंस प्वाइंट के रूप में दर्शा सकते हों। इसका फायदा ये है कि सूचकांक के पिछले रिफ्रेंस प्वाइंट्स की आपस में तुलना कर बाजार में निवेशक जान सकते हैं कि इस इंडेक्स में शामिल कंपनियों का कुल प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ या नीचे गिरा है। निवेशक ऐसे ही कई प्वाइंट की मदद से बाजार की चाल का अंदाजा भी लगाते हैं। यानि इंडेक्स बाजार में किसी एक खासियत के आधार पर चुनी गई कंपनियों का समूह होता है जिसका किसी खास वक्त पर मूल्य उन कंपनियों के उसी वक्त पर स्टॉक के प्रदर्शन के आधार पर तय होता है।

कितनी तरह के होते हैं इंडेक्स

शेयर बाजार में हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं, ये कंपनियां बाजार मूल्य के हिसाब से अलग अलग साइज और सेक्टर से आती है। शेयर बाजार के हर हिस्से की सही तस्वीर पाने के लिए अलग अलग साइज और सेक्टर के हिसाब से इंडेक्स बनाए गए हैं। आम तौर पर तीन तरह दो तरह के इंडेक्स होते हैं। पहला इंडेक्स कंपनियों के बाजार मूल्य के हिसाब से बनाया जाता है। इसमें सभी सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया जाता है। इसमें सेंसेक्स निफ्टी, निफ्टी नेकस्ट 50, लार्ज कैप, स्मॉल कैप और मिड कैप इंडेक्स आते हैं। वहीं दूसरे इंडेक्स सेक्टर पर आधारित होते हैं। जैसे बैंकिंग सेक्टर इंडेक्स, आईटी सेक्टर इंडेक्स, फार्मा सेक्टर इंडेक्स, रियल्टी सेक्टर इंडेक्स आदि।

Sensex और Nifty शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स हैं। दरअसल भारत के बाजार की चाल इन दो Index से पता चलती है। सेंसेक्स में देश की सबसे बड़ी 30 कंपनियों और निफ्टी में 50 कंपनियों को शामिल किया गया है। ये कंपनियां लगभग सभी प्रमुख sector का प्रतिनिधित्व करती हैं और घरेलू बाजार में कुल कारोबार का अधिकांश हिस्सा इन कंपनियों में होता है। यानि इन कंपनियों का प्रदर्शन तय करता है कि किसी खास दिन पूरे बाजार की चाल क्या होगी।

क्या शेयर की फेस वैल्यू चेंज हो सकती हैं?

आमतौर स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है पर कंपनी के शेयर की फेस वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता। परन्तु स्टॉक स्प्लिट के केस में स्टॉक स्प्लिट के अनुपात में शेयर की फेस वैल्यू भी बदल जाती हैं।

किसी कंपनी की बुक वैल्यू वो मूल्य होता हैं जो कंपनी के समापन (liquidation) पर शेयरहोल्डर्स को मिलता हैं। बुक वैल्यू को कंपनी की कुल एसेट में से कुल दायित्वों को निकालकर कुल आउटस्टैंडिंग शेयर्स का भाग लगाकर निकाला जाता हैं।

Book Value per share = Total Assets – ( Intangible Assets + Total Liabilities ) / Total Outstanding Shares

फेस वैल्यू एक शेयर का नाममात्र का मूल्य होता जो की फिक्स होता हैं। वहीँ बुक वैल्यू नियमित रूप से बदलने वाला मूल्य होता हैं।

बुक वैल्यू का वैल्यू इन्वेस्टर्स के लिए काफी महत्व होता हैं। बुक वैल्यू बताता हैं की कंपनी की शेयर प्राइस, कंपनी की बुक वैल्यू को जस्टिफाई करती हैं या नहीं।

Face Value कैसे चेक करें?

किसी भी शेयर की फेस वैल्यू को आप कंपनी के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स जैसे की बैलेंस शीट से चेक कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप moneycontrol, value research, finology जैसी वेबसाइट के माध्यम से भी शेयर की फेस वैल्यू चेक कर सकते हैं।

NSE की ऑफिसियल वेबसाइट पर भी कंपनियों की फेस वैल्यू की जानकारी मिल जाती हैं।

क्या फेस एक रूपये से कम हो सकती हैं?

स्टॉक मार्केट के रेगुलेटर सेबी ने किसी भी शेयर की फेस वैल्यू के लिए एक रुपये न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया हैं। इसका मतलब की फेस वैल्यू एक रुपये से कम नहीं हो सकती।

सारांश के रूप में बात की जाये तो फेस वैल्यू एक शेयर का अंकित मूल्य होता हैं जो की शेयर नाममात्र का मूल्य होता हैं। इसका उपयोग एकाउंटिंग, डिविडेंड और स्टॉक स्प्लिट के लिए किया जाता हैं।

अगर आप शेयर मार्केट में निवेश की शुरुवात करना चाह रहे हैं तो आपको इन सभी पॉइंट्स को पहले से समझ लेना चाहिए जिससे की आपको बाद में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े।

दोस्तों, अगर आपको Face value in Hindi, Face value meaning in Hindi के बारे में ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया नेटवर्क्स पर शेयर करना न भूलें।

रेटिंग: 4.59
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 496
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *