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निवेश उत्पाद

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Photo:AP निर्यात

अच्छी खबर: बैंक आपको झांसा देकर गलत फंड या पॉलिसी नहीं बेच सकते, जबरिया निवेश उत्पाद से ऐसे बचें

म्यूचुअल फंड में निवेश करने या बीमा पॉलिसी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। बैंक आपको झांसा देकर गलत फंड या पॉलिसी नहीं बेच सकते। बाजार नियामक सेबी ने इसके लिए बैंकों पर सख्ती बढ़ा दी है। बाजार नियामक से बैंकों से उनके म्यूचुअल फंड और बीमा उत्पादों की बिक्री का आंकड़ा मांगा है।

शिकायतें मिलने के बाद उठाया यह कदम

बाजार नियामक ने कई तरह का शिकायतें मिलने के बाद यह कदम उठाया है। दरअसल कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की अपनी म्यूचुअल फंड परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) हैं उनमें बहुमत हिस्सेदारी है। सेबी की जानकारी में यह बात आई है कि बैंक अपनी सहायक कंपनियों की म्यूचुअल फंड योजनाओं को ग्राहकों को गलत जानकारी देकर बेचते हैं। इसके मद्देनजर सेबी ने बैंकों से कई तरह के आंकड़े मांगे हैं।

ग्राहकों को बेचते हैं जबरिया निवेश उत्पाद

वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि सेबी की ओर से बैंकों से उनके अपने म्यूचु्अल फंड और बीमा उत्पाद से होने वाला बिक्री का आंकड़ा मांगा है। बैंक अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी या साझेदार कंपनी के उत्पाद को बेहतर बताकर अपने ग्राहकों को बेचते हैं तो बिक्री के आंकड़े से उसकी पूरी पोल खुल जाएगा। यदि उस म्यूचुअल फंड के दूसरे ऑफिस की बजाय बैंकों की बिक्री ज्यादा रहती है तो इसका मतलब है कि बैंक ग्राहकों को झांसा देकर उसे बेचते हैं। यह सेबी के नियमों के खिलाफ है।

शुल्क और कमीशन का ब्योरा भी मांगा

म्यूचुअल फंड में अधिकतम 2.25 फीसदी शुल्क का प्रावधान सेबी की ओर से किया गया है। इसमें एजेंट का कमीशन भी शामिल होता है। कई बार देखा गया है कि मोटे कमीशन के लालच में बैंक के संबंधित कर्मचारी अपने ग्राहकों को बैंक से जुड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी या बीमा कंपनी के उत्पाद बेचते हैं। जबकि वह ग्राहकों को लिए नुकसान वाली होती हैं।

क्या है झांसा देकर उत्पादन बेचना

ग्राहक या निवेशक के लिए नुकसान वाले उत्पाद को फायदेमंद बताकर बेचने की प्रक्रिया को वित्तीय भाषा झांसा देकर उत्पादन बेचना (मिस सेलिंग) कहा जाता है। शेयर लंबी अवधि के निवेश माने जाते हैं और इसमें जोखिम अधिक होता है, लेकिन इसे एजेंट या बैंक कर्मचारी छोटी अवधि में ऊंचा रिटर्न के नाम पर बेचते हैं तो यह मिस सेलिंग कही जाती है।

इसी तरह एफडी की बजाय शेयर या निवेश उत्पाद म्यूचुअल फंड में ऊंचे रिटर्न का लालच देकर ग्राहकों को उसमें पैसा लगाने के लिए कहा जाता है तो यह भी मिस सेलिंग होती है क्योंकि एफडी सुरक्षित श्रेणी निवेश उत्पाद है और शेयर बहुत अधिक जोखिम वाला। इन दोनों में तुलना नहीं हो सकती है।

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

New Fund Offer: यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है और इस स्कीम के तहत मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश किया जा जाएगा.

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने 'न्यू फंड ऑफर' (NFO) का एलान किया है.

Mahindra Manulife Small Cap निवेश उत्पाद Fund: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने ‘न्यू फंड ऑफर’ (NFO) का एलान किया है. इस स्कीम को महिंद्रा मनुलाइफ स्मॉल कैप फंड नाम दिया गया है और यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है. इस स्कीम के तहत मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश किया जा जाएगा. यह स्कीम उन निवेशकों के लिए सही है जो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न हासिल करना चाहते हैं और मुख्य रूप से स्मॉल कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश करना चाहते हैं. बता दें कि महिंद्रा मनुलाइफ MF, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड (महिंद्रा फाइनेंस) और मनुलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट (सिंगापुर) की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है.

स्मॉल कैप म्युचुअल फंड में संपत्ति बनाने और लंबी अवधि में रिटर्न जनरेट करने की क्षमता होती है, क्योंकि वे उन कंपनियों को एक्सपोजर प्रदान करते हैं जो उन उद्योगों में संभावित मार्केट लीडर हैं. इन कंपनियों में भविष्य में मिडकैप बनने की संभावना होती है. ये कंपनियां आम तौर पर कम शोधित और कम स्वामित्व वाले होते हैं, इस तरह उचित वैल्यूएशन पर स्टॉक चुनने का अवसर प्रदान करते हैं.

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फंड से जुड़ी जरूरी बातें

  • यह एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है जो मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करती है
  • एसेट एलोकेशन का न्यूनतम 65% स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी संबंधित साधनों के लिए होगा.
  • स्कीम को एसएंडपी बीएसई 250 स्मॉल कैप टीआरआई के साथ बेंचमार्क किया जाएगा.
  • यह स्कीम 21 नवंबर 2022 को निवेश के लिए खुल गई है और 5 दिसंबर 2022 को बंद हो जाएगी. 14 दिसंबर, 2022 से लगातार बिक्री और पुनर्खरीद के लिए फिर से खुलेगी.

कंपनी का बयान

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ एंथनी हेरेडिया ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी. यह समय के साथ बहुत बड़ी बनने की संभावना का उपयोग करने वाली कई छोटी कंपनियों के साथ, क्षेत्रों और व्यवसायों में अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर सकता है. स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा होगा जो इस बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं और उन्हें निवेशक पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनना चाहिए. हमारे विविध फंड रेंज में इन कंपनियों को देखने के हमारे पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, हमें लगता है कि इस उत्पाद को बाजार में लाने का यह सही समय है, और हमारे निवेशकों को उनकी लंबी अवधि के धन सृजन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है.

कृष्णा सांघवी, मुख्य निवेश अधिकारी – इक्विटी, महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने कहा, “फंड का निवेश उद्देश्य स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज के विविध पोर्टफोलियो में निवेश करना है. अर्थव्यवस्था भविष्य में मिड कैप कंपनियों के रूप में विकसित होने के लिए कई स्मॉल कैप कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करती है, एक सेगमेंट के रूप में स्मॉल कैप भी क्षेत्र आवंटन में व्यापक विकल्प की अनुमति देता है. वैल्यूएशन के लिहाज से, स्मॉल कैप्स वर्तमान में उन निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं जो एक लंबी अवधि के इक्विटी पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहते हैं.

कॉरपोरेट जगत में गूंजा UP का नाम, नई कंपनियां खोलने में मिला दूसरा स्थान

कॉरपोरेट व उद्योग जगत में इन दिनों यूपी यानि उत्तर प्रदेश का नाम बड़ा जोरशोर से लिया जा रहा है। दरअसल, नई कंपनियां खोलने के मामले में यह राज्य देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। जी हां, यूपी ने कोविड महामारी के पश्चात मजज तीन साल में 30,000 नई कंपनियां राज्य के साथ जोड़कर ये मुकाम हासिल किया है।

तीन साल की कड़ी मेहनत लाई रंग

उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद से यूपी ने महाराष्ट्र के बाद निवेश उत्पाद सबसे अधिक नई कंपनियों को जोड़ने के क्रम में कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों को भी पीछे छोड़ दिया है। यह केंद्र व यूपी सरकार की कड़ी मेहनत का ही फल है जो आज यूपी में इतने बड़े स्केल पर कंपनियां निवेश कर चुकी हैं। यह सिलसिला यहीं नहीं थमने वाला क्योंकि जल्द ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों के साथ विदेश यात्रा पर जाने वाले हैं। यह यात्रा राज्य में और अधिक कंपनियों के निवेश की आगे की राह तय करने वाली है। सोशल मीडिया और तमाम साइटों पर इस संबंध में खबरें भी जारी हुई हैं जिसमें दावा किया जा रहा है कि करीब 20 देशों के 26 शहरों में ‘यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ के लिए रोड शो किया जाएगा।

तीन साल में जोड़ी 30,000 नई कंपनियां

गौरतलब हो, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) द्वारा जुटाए गया डेटा बताता है कि यूपी ने पिछले तीन साल में लगभग 30,000 नई कंपनियों को अपने साथ जोड़ा। इसने महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद सक्रिय कंपनियों की संख्या के मामले में तीसरे राज्य के रूप में उभरने में मदद की। वहीं यूपी ने महामारी के बाद के चरण में कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना को भी पीछे छोड़ दिया।

यूपी में 1.08 लाख सक्रिय कंपनियां

आंकड़ों के मुताबिक सितंबर अंत तक यूपी में 1.08 लाख सक्रिय कंपनियां हैं, जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली में क्रमश: 3 लाख और 2.2 लाख सक्रिय कंपनियां हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु क्रमशः 1.04 लाख और 99,038 सक्रिय कंपनियों के साथ चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।

दिल्ली में घटा कंपनियों को जोड़ने का स्केल

2017 के बाद से दिल्ली ने केवल 20,000 कंपनियों को जोड़ा है और कुल सक्रिय कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2017 में लगभग 20 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 15 प्रतिशत हो गई है। यूपी का उदय काफी हद तक इसी तथ्य से मेल खाता है। सितंबर 2017 तक, उत्तर प्रदेश तमिलनाडु, तेलंगाना और गुजरात के बाद सातवें स्थान पर था। यूपी में नोएडा-मथुरा बेल्ट शामिल है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अंतर्गत आता है।

वहीं दूसरी ओर निवेश उत्पाद महाराष्ट्र ने पिछले तीन वर्षों में 60,000 नई कंपनियां जोड़ीं और लगातार अग्रणी बना हुआ है। इस मामले में महाराष्ट्र का प्रभुत्व काफी हद तक इसी तथ्य से आता है कि इसकी राजधानी, मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है। इसलिए कई मध्यम आकार और बड़ी कंपनियों के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करती है।

निवेश और रोजगार सृजित करने की नीतियों में बदलाव

लखनऊ में 10 से 12 फरवरी तक होने वाले ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023’ के मद्देनजर राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने वाली 4 नीतियों को मंजूरी प्रदान की। इन नीतियों में उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति, उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति, उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं आई.टी. समर्थित सेवा नीति तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति शामिल है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य मंत्रिमंडल निवेश उत्पाद निवेश उत्पाद की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें 5 दिसंबर से राज्य विधानमंडल का एक संक्षिप्त शीतकालीन सत्र बुलाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। इसमें राज्य सरकार 2022-23 के लिए पूरक बजट पेश करेगी और राज्य में विधायी कामकाज करेगी। राज्य सरकार को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017 में संशोधन से 40,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित कर सकती है। इसमें तीन इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर, तीन उत्कृष्टता केंद्र, ईएसडीएस पार्क की स्थापना, सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना के लिए निवेश आकर्षित करने और चार लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की परिकल्पना की गई है।

घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने की गारंटी नहीं है FTA, निर्यात बढ़ाने के लिए भी कारगर नहीं

दुनियाभर के देश एफटीए करने को बेताब हैं और इन समझौतों से निवेश बढ़ता है, ऐसा मानना गलत है।

Alok Kumar

Written By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 20, 2022 15:08 IST

निर्यात - India TV Hindi News

Photo:AP निर्यात

मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की चर्चा इन दिनों खूब सुनाई दे रही है। अब इसको लेकर शोध एवं रणनीति परामर्श कंपनी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) से जुड़े कुछ मिथकों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा अभी माना जा रहा है कि एफटीए से निर्यात में तेजी से वृद्धि होती है। घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलता है। हालांकि, ये सही नहीं है। ये सब मिथक हैं: एफटीए से विश्व व्यापार संगठन कमजोर होता है, दुनियाभर के देश एफटीए करने को बेताब हैं और इन समझौतों से निवेश बढ़ता है, ऐसा मानना गलत है कि विश्व का ज्यादातर व्यापार एफटीए मार्ग से होते हैं बल्कि वास्तविकता यह है कि 20 प्रतिशत से भी कम विश्व व्यापार इस रास्ते से होता है।

एफटीए से निर्यात में बढ़ोतरी भी नहीं

रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात में कोई सचाई नहीं है कि दुनियाभर के देश एफटीए करने को उत्सुक हैं बल्कि वास्तविकता में इन समझौतों में मुख्य रूप से पूर्वी-एशियाई देशों की अधिक दिलचस्पी है जिन्होंने उत्पाद शुल्क में कमी की है या यह शुल्क खत्म ही कर दिया है। इसके मुताबिक, ‘‘प्रमुख औद्योगिक देश या क्षेत्र एफटीए बहुत ही चुनिंदा तरीके से करते हैं। मसलन अमेरिका ने यूरोपीय संघ, चीन, जापान, आसियान या भारत जैसी महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं किया है। यूरोपीय संघ ने 41 व्यापार समझौते किए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर छोटे देशों और कच्ची सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं के साथ है।’’ विश्व निवेश उत्पाद व्यापार में 83-85 प्रतिशत इन समझौतों से हटकर और डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक होता है। एक मिथक यह है कि एफटीए से निर्यात में वृद्धि होती है।

एफटीए से हट कर रणनीति बनाने की जरूरत

रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि 20 प्रतिश्त से भी कम विश्व व्यापार रियायती उत्पाद शुल्क पर हो रहा है ऐसे में भारत को 80 प्रतिशत व्यापार को इस मार्ग से हटकर बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त रणनीति की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘एफटीए पर हस्ताक्षर करने भर से निर्यात में वृद्धि की गारंटी नहीं मिल जाती। एफटीए के जरिये निर्यात में वृद्धि की संभावना तब कम हो जाती है जब साझेदार देश में आयात शुल्क कम होता है। इस लिहाज से देखा जाए तो सिंगापुर या हांगकांग में निर्यात बढ़ाने के लिए एफटीए विशेष लाभदायक नहीं होगा क्योंकि वहां आयात शुल्क है ही नहीं। वहीं मलेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रुनेई के साथ व्यापार समझौते का लाभ चुनिंदा उत्पाद समूहों को ही मिलेगा क्योंकि इन देशों में ज्यादातर आयात पर शुल्क नहीं लगता।

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

New Fund Offer: यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है और इस स्कीम के तहत मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश किया जा जाएगा.

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने 'न्यू फंड ऑफर' (NFO) का एलान किया है.

Mahindra Manulife Small Cap Fund: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने ‘न्यू फंड ऑफर’ (NFO) का एलान किया है. इस स्कीम को महिंद्रा मनुलाइफ स्मॉल कैप फंड नाम दिया गया है और यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है. इस स्कीम के तहत मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश किया जा जाएगा. यह स्कीम उन निवेशकों के लिए सही है जो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न हासिल करना चाहते हैं और मुख्य रूप से स्मॉल कैप कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश करना चाहते हैं. बता दें कि महिंद्रा मनुलाइफ MF, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड (महिंद्रा फाइनेंस) और मनुलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट (सिंगापुर) की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है.

स्मॉल कैप म्युचुअल फंड में संपत्ति बनाने और लंबी अवधि में रिटर्न जनरेट करने की क्षमता होती है, क्योंकि वे उन कंपनियों को एक्सपोजर प्रदान करते हैं जो उन उद्योगों में संभावित मार्केट लीडर हैं. इन कंपनियों में भविष्य में मिडकैप बनने की संभावना होती है. ये कंपनियां आम तौर पर कम शोधित और कम स्वामित्व वाले होते हैं, इस तरह उचित वैल्यूएशन पर स्टॉक चुनने का अवसर प्रदान करते निवेश उत्पाद हैं.

PM Kisan: खेती करने के बाद भी नहीं मिल रही किस्‍त, ये हो सकती हैं 12 बड़ी वजह, गलत जानकारी दी तो फंसेंगे

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फंड से जुड़ी जरूरी बातें

  • यह एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है जो मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करती है
  • एसेट एलोकेशन का न्यूनतम 65% स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी संबंधित साधनों के लिए होगा.
  • स्कीम को एसएंडपी बीएसई 250 स्मॉल कैप टीआरआई के साथ बेंचमार्क किया जाएगा.
  • यह स्कीम 21 नवंबर 2022 को निवेश के लिए खुल गई है और 5 दिसंबर 2022 को बंद हो जाएगी. 14 दिसंबर, 2022 से लगातार बिक्री और पुनर्खरीद के लिए फिर से खुलेगी.

कंपनी का बयान

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ एंथनी हेरेडिया ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी. यह समय के साथ बहुत बड़ी बनने की संभावना का उपयोग करने वाली कई छोटी कंपनियों के साथ, क्षेत्रों और व्यवसायों में अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर सकता है. स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा होगा जो इस बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं और उन्हें निवेशक पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनना चाहिए. हमारे विविध फंड रेंज में इन कंपनियों को देखने के हमारे पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, हमें लगता है कि इस उत्पाद को बाजार में लाने का यह सही समय है, और हमारे निवेशकों को उनकी लंबी अवधि के धन सृजन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है.

कृष्णा सांघवी, मुख्य निवेश अधिकारी – इक्विटी, महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने कहा, “फंड का निवेश उद्देश्य स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज के विविध पोर्टफोलियो में निवेश करना है. अर्थव्यवस्था भविष्य में मिड कैप कंपनियों के रूप में विकसित होने के लिए कई स्मॉल कैप कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करती है, एक सेगमेंट के रूप में स्मॉल कैप भी क्षेत्र आवंटन में व्यापक विकल्प की अनुमति देता है. वैल्यूएशन के लिहाज से, स्मॉल कैप्स वर्तमान में उन निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं जो एक लंबी अवधि के इक्विटी पोर्टफोलियो का निर्माण करना चाहते हैं.

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