एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?

इस बार शिवराज सरकार ने चना, सरसों, मसूर और गेहूं की फसल की खरीदी एक साथ करने का फैसला किया है। जिसके चलते 1 फरवरी से फसलों की खरीदी के लिए पंजीयन भी शुरू हो चुके हंै, जो अब 25 फरवरी तक किए जाएंगे। सरकार अब तक गेहूं की फसल खरीदी का काम पहले करती थी। उसके बाद दूसरी फसलों की खरीदी शुरू होती एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? थी, लेकिन इस बार सरकार ने एक साथ सभी फसलों को खरीदने का फैसला किया है। फसलों की खरीद को लेकर पिछले दिनों कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना था कि अब तक मार्च के महीने में केवल गेहूं की फसल खरीदी होती थी। जबकि चना, सरसों और मसूर की फसल मई-जून के महीने में खरीदी जाती थी। लेकिन देखने में आ रहा है कि एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? चने की फसल भी अब गेहूं के साथ ही आ जाती र्है। इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि किसानों को फसल बेचने के लिए मई-जून तक का इंतजार न करना पड़े।
एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है?
किसी भिन्न का अंश दो संख्याओं .
किसी भिन्न का अंश दो संख्याओं का गुणज है। एक संख्या दूसरे से 2 अंक बड़ी है तथा बड़ी संख्या हर से 4 अंक छोटी है। यदि हर `7+ C(Cgt-7)` नियत है, तो भिन्न का न्यूनतम मूल्य क्या होगा?
Updated On: 27-06-2022
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Solution : According to the given condition
`Denominotor =7+C[Cgt7]`
Numerator `=` Greater no., Smaller no.
`(7+C-4) xx(7+C-4-2)`
`=` Equation `=((3+C)(1+C))/(7+C)`
By putting value according to option
`C=-2` for minimum value
`=-1//5`
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Aap ko kya acha nahi laga
वाले किसी भिन्न का अंश 2 अंकों का गुण आज है एक संख्या दूसरी से दो बड़ी है बड़ी संख्या हार से चारण छोटी है यदि हार 7 प्लस सी है तो भिन्न का न्यूनतम मूल्य क्या होगा ठीक है हर आपको कितने 7 प्लस सी है ठीक तो अंश क्या हो जाएगा बड़ी संख्या कोई छोटी संख्या दे रखा है ठीक है दो का गुण आ जाए और बड़ी संख्या जो है वह हार से चार छोटी एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? है यार के साथ कुल 80 - 4 और याद रखने की चीज छोटी संख्या है एक संख्या दूसरी से दो बढ़िया ठीक है एक छोटी संख्या किसे दोष कम होगा तो 7 प्लस 4 माइनस बी एक विकल्प का न्यूनतम मूल्य क्या है? माइनस 2 किया गया सी प्लस 3 गुने सी प्लस एक भी अपना क्या जाएगा आंसर व्हाट आर सी प्लस 3 को नसीब प्लस 2 बटा 7 प्लस 3 ठीक है तो अब हमें यहां से क्या करना है न्यूनतम निकालना है टिकट तो हम विकल्प के अनुसार ठीक है समान रखेंगे और न्यूनतम मूल्य के लिए सी = - 10 - 2 पेज का न्यूनतम मूल्य आएगा
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की निर्भरता क्यों?
जब भी किसानों की आय की बात होती है, सबसे पहले स्वामीनाथन आयोग का ज़िक्र होता है। उन्होंने कृषि सुधारों के लिये 201 बिंदुओं की अपनी रिपोर्ट यूपीए सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) के लिये जिस फॉर्मूले का ज़िक्र किया, उसके अनुसार लागत का कम से कम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य होना चाहिये।
खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 के लिये छत्तीसगढ़ सरकार ने लगभग 92 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया है, यह छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद सर्वाधिक है। द वॉइसेज़ ने जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ की वेबसाइट से धान खरीदी के संदर्भ में प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया। यह पता लगाने की कोशिश की धान के मूल्य में वृद्धि से किसानों के रूख में क्या परिवर्तन आया।
एमएसपी में वृद्धि से बढ़ा किसानों का रूझान
इस तस्वीर में वर्षवार एमएसपी के आंकड़े हैं, जो कि बढ़ते क्रम में है। खरीफ़ विपणन वर्ष 2017-18 में, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को बोनस भुगतान की अनुमति प्रदान की। एमएसपी मिलाकर किसानों को प्रति क्विंटल धान के लगभग 2100 रूपये मिले। अगले वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने धान की कीमत प्रति क्विंटल 2500 रूपए की दर से अदा की। इसमें केंद्र सरकार द्वारा तय एमएसपी के अतिरिक्त राशि राज्य सरकार ने अपने मद से दी ।
छत्तीसगढ़ के सीमांत किसान नीलम दीक्षित से जब द वॉइसेज़ ने बात की तो ज्ञात हुआ कि धान की कीमत बेहतर मिल रही है, इसलिये किसान उत्साहित हैं। इतना ही नहीं, मौसम का भी साथ मिला, जिस कारण उन्होंने धान पर ज्यादा ध्यान दिया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों की आय
उपरोक्त आँकड़े सिर्फ एक ही पहलू दिखाते हैं। इससे यह पुष्टि नहीं होती कि सीमांत किसान कितना कमा रहे हैं, जिनकी संख्या छत्तीसगढ़ में सबसे ज़्यादा है।
द वॉइसेज़ के साथ बातचीत में नीलम दीक्षित ने बताया कि उनके पास तीन एकड़ खेत है। इस वर्ष उसमें धान की पैदावार 38 क्विटंल हुई यानि लगभग 13 क्विंटल प्रति एकड़। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य व राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत दी जाने वाली राशि मिलाकर लगभग 95 हज़ार रुपये मिले। उनका कहना है कि कई किसान 17 क्विंटल प्रति एकड़ तक भी धान की उपजा लेते हैं। हालांकि सरकार प्रति एकड़ 15 क्विंटल की दर से धान उपार्जित करती है।
एक अन्य किसान अमित वर्मा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि उनके यहाँ लगभग 17 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान की पैदावार हुई है। इसमें से प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खरीदा गया। सरकार से उन्हें जो राशि प्राप्त हुई वो लगभग 2500 रूपये प्रति क्विंटल के बराबर है। दोनों किसानों का कहना है कि वे खरीफ सीज़न में धान उगाते हैं। साल में एक ही बार धान की फसल लेने के कारण इनकी कृषि आय लगभग 8000 और 10000 प्रति माह रहती है। यह स्थिति कमोबेश छत्तीसगढ़ के हर सीमांत किसान की है।