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IPO क्या होता है?

IPO क्या होता है?
आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

LIC IPO में निवेश: पैसे लगाएं या नहीं और क्या सभी को शेयर अलॉट होंगे? जानिए LIC IPO से जुड़े हर सवाल का जवाब

लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) का भारत का सबसे बड़ा इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) बुधवार को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने वाला है। कंपनी इसके जरिए 3.5% हिस्सेदारी बेचकर करीब 21,000 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।

ये IPO 9 मई तक खुला रहेगा और प्राइस बैंड 902-949 रुपए प्रति शेयर तय किया गया है। IPO में पॉलिसीधारकों को 60 रुपए और रिटेल निवेशकों को 45 रुपए प्रति शेयर की छूट मिलेगी। न्यूनतम बोली 1 लॉट (15 शेयर) और उसके बाद 15 शेयरों के मल्टीपल में है।

ऐसे में यहां हम इस IPO से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दे रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल की इस IPO में पैसे लगाए या नहीं? मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं? डिस्काउंट कब मिलेगा, IPO IPO क्या होता है? अप्लाई करते समय या बाद में?

डिस्काउंट के लिए पॉलिसी कितनी पुरानी होनी चाहिए? किस प्राइस पर IPO अप्लाई करना चाहिए? क्या IPO भरने वाले सभी लोगों को शेयर मिलेंगे? IPO के लिए अप्लाई कैसे करना है? तो चलिए एक-एक कर इन सवालों को लेते हैं और जानते हैं इनके जवाब.

किस भाव पर पैसा लगाए और डिस्काउंट?
LIC के IPO का प्राइस बैंड 902-949 रुपए का है। ऐसे में निवेशकों को हायर बैंड 949 रुपए पर पैसे लगाना चाहिए। निवेशकों को कट ऑफ प्राइस सिलेक्ट करना चाहिए। इससे शेयर अलॉटमेंट की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। IPO की सबसे खास बात ये है कि आपको डिस्काउंट IPO अप्लाई करते समय ही मिल जाएगा।

रिटेल निवेशकों के लिए LIC ने 45 रुपए का डिस्काउंट रखा है। अगर आप अपर बैंड पर शेयर के एक लॉट के अप्लाई करते हैं तो फिर 949 रुपए प्रति शेयर की जगह आपको 904 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से पेमेंट करना होगा। यानी एक लॉट के लिए आपको 14,235 की जगह केवल 13,560 रुपए देने होंगे।

अगर आपके पास LIC की पॉलिसी है तो आपको 60 रुपए का डिस्काउंट मिलेगा। आप पॉलिसी होल्डर कोटे से अपर बैंड पर शेयर के एक लॉट के अप्लाई करते हैं तो आपको 889 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से पेमेंट करना होगा। यानी एक लॉट के लिए आपको 14,235 की जगह 13,335 रुपए देने होंगे।

मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं?
रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 15 शेयरों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इस हिसाब से रिटेल निवेशकों को 45 रुपए के डिस्काउंट के बाद मिनिमम 13,560 रुपए लगाने होंगे। मैक्सिमम लिमिट 14 लॉट है, यानी 210 शेयर। निवेशक मैक्सिमम 1,89,840 रुपए लगा सकते हैं। इसी तरह पॉलिसी होल्डर्स 60 रुपए के डिस्काउंट के बाद मिनिमम 13,335 रुपए और मैक्सिमम 1,86,690 का निवेश कर सकते हैं। हालांकि, पॉलिसी होल्डर्स और एम्प्लॉई के पास एक एडिशनल बेनिफिट भी है।

पेटीएम मनी के CEO वरुण श्रीधर ने कहा, पॉलिसी होल्डर्स दो अलग-अलग कैटेगरी के तहत IPO के लिए आवेदन कर सकते हैं। रिटेल कैटेगरी और पॉलिसी होल्डर कैटेगरी। यानी वो दोनों कैटेगरी में 14-14 लॉट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति पॉलिसी होल्डर होने के साथ LIC का कर्मचारी है, तो वो एम्प्लॉई कैटेगरी के तहत और 14 लॉट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। यानी एम्प्लॉई कुल 42 लॉट के लिए बिड लगा सकते हैं। एम्पलॉई कैटेगरी में भी प्रति शेयर 45 रुपए की छूट मिल रही है।

पॉलिसी कितनी पुरानी होनी चाहिए?
DRHP और इश्यू खुलने के दिन निवेशकों के पास वैलिड पॉलिसी होनी चाहिए। LIC ने DRHP 13 फरवरी को फाइल किया था और इश्यू 4 मई को खुलेगा। यानी पॉलिसी 13 फरवरी से पहले की होनी चाहिए और 4 मई को ये बंद नहीं होनी चाहिए। दूसरी शर्त ये है कि 28 फरवरी तक आपका पैन पॉलिसी से लिंक होना चाहिए। अगर आप इन शर्तों को पूरा करते हैं तभी आपको पॉलिसी होल्डर कोटे में डिस्काउंट मिलेगा। अगर पॉलिसी माइनर के नाम पर है तो माइनर के नाम पर ही डीमैट अकाउंट भी होना चाहिए।

क्या सभी डिस्काउंट एक साथ मिल सकते हैं?
अगर आप रिटेल इन्वेस्टर का 45 रुपए का डिस्काउंट और पॉलिसी होल्डर का 60 रुपए का डिस्काउंट एक साथ लेना चाहते हैं तो ये संभव नहीं है। आपको डिस्काउंट केवल एक ही कोटे में मिलेगा। या तो आप रिटेल इन्वेस्टर का 45 रुपए का डिस्काउंट ले सकते हैं या फिर पॉलिसी होल्डर का 60 रुपए का डिस्काउंट।

क्या सभी को शेयर मिलेंगे और अप्लाई कैसे करें?
LIC का इश्यू साइज 21 हजार करोड़ रुपए का है। ये भारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO है। इसलिए IPO के लिए अप्लाई करने वाले ज्यादातर लोगों को शेयर मिलने की संभावना काफी ज्यादा है। यानी आप कह सकते हैं कि IPO भरने वाले सभी लोगों को शेयर मिलेंगे। वहीं अप्लाई करने की बात करें तो आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए। LIC IPO एप्लिकेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से कर सकते हैं। हालांकि पैसा ऑनलाइन ही देना होगा।

LIC के IPO में पैसे लगाए या नहीं?
ज्यादातर मार्केट एनालिस्ट इसमें पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं। IPO में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों में पैसा बन सकता है। हालांकि, एनालिस्ट इसमें लॉन्ग टर्म तक बने रहने की सलाह दे रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियों का बिजनेस मॉडल लॉन्ग टर्म का होता है। अगर आप पॉलिसी धारक कोटे में अप्लाई करते हैं और आपको पहले ही 60 रुपए का डिस्काउंट मिल जाएगा और अगर शेयर 949 रुपए पर भी IPO क्या होता है? लिस्ट होता है तब भी आपको प्रति शेयर 60 रुपए का फायदा मिलेगा।

वहीं निगेटिव की बात करें तो LIC के लिए चिंता का विषय उसका मार्केट शेयर कम होना है। पिछले 8 सालों में LIC का मार्केट शेयर 8-10% गिरा है। इससे रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है। भारत में इंश्योरेंस इंडस्ट्री 17% के रेट से ग्रोथ कर रही है, जबकि LIC की ग्रोथ 7% के रेट से है। यानी LIC इंडस्ट्री की ग्रोथ से करीब 10% पीछे है। LIC का एक्सपेक्टेड फ्यूचर प्रॉफिट 10% का है, जबकि प्राइवेट कंपनीज का एक्सपेक्टेड प्रॉफिट 20% का है।

LIC IPO में एंकर इन्वेस्टर्स का रिस्पॉन्स कैसा रहा?
एंकर इन्वेस्टर्स के लिए IPO 2 मई यानी कल खुला था। पहले ही दिन ये फुली सब्सक्राइब हो गया। एंकर इन्वेस्टर्स के हिस्से के तहत 5,92,96,853 शेयरों को ₹949 प्रति शेयर पर सब्सक्राइब किया गया है। ग्रे मार्केट में भी IPO को अच्छा रिस्पॉन्स है। ग्रे मार्केट में LIC का प्रीमियम 85 रुपए है।

IPO क्या होता है?

IPO का पूरा नाम है इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग ( Initial Public Offering ) कहते हैं। इसका मतलब यह है की जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो इसी को आईपीओ कहते हैं। इस प्रक्रिया में कंपनी आम व्यक्तिओं को ऑफर करती हैं और आईपीओ प्राइमरी मार्किट के अंतर्गत होती हैं।

आईपीओ के जरिये कंपनी पैसे (फंड) इकठा करती है और वह उस फंड को कंपनी के लिए खर्च करती हैं। पर आईपीओ खरीदने वाले व्यक्ति को उन पेसो के बदले उसको कंपनी की हिस्सेदारी मिल जाती हैं। जब आप किसी भी कंपनी के शेयर या आईपीओ खररदते हो तो आप उस हिस्से के मालिक हो जाते हो। कंपनी एक से ज्यादा बार आईपीओ जारी कर सकती हैं। आईपीओ ज्यादातर छोटी ,नै कंपनियों द्वारा किये जाते हैं जो अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए capital चाहती हैं। यह प्राइवेट कम्पनियो द्वारा भी जारी किये जा सकते है जो की पब्लिक्ली बिज़नेस करना चाहती हो।

वैसे तो बड़ी आईपीओ की हामीदारी निवेश बैंको के किसी संघठन द्वारा की आती हैं ,जिसकी जांच एक या अधिक निवेश बैंक कर रहे होते हैं। शेयर के बिकने पर हमीदारियों को कमीशन मिलता है जो बेचे गए शेयर के मूल्य पर आधारित होती है। प्रमुख हामीदार मतलब वह हामीदार जिन्होंने आईपीओ के सबसे बड़े हिस्से बेचे हो वो ही सबसे ज्यादा कमीशन पाते हैं।

IPO के कितने प्रकार होते हैं :-

आईपीओ दो प्रकार के होते हैं

  1. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ ( Fixed Price IPO )
  2. बुक बिल्डिंग आईपीओ ( Book Building IPO )
  1. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ ( Fixed Price IPO ) – फिक्स्ड प्राइस आईपीओ को इशू प्राइस के रूप में सन्दर्भित किया जा सकता है। जो कुछ कम्पनिया अपने शेयर की शुरूआती बिक्री के लिए निर्धारित करती है। खरीदारों को शेयर के प्राइस के बारे में पता चलता है। जिन्हे कंपनी सार्वजानिक करने का फैसला करती हैं। इशू बंद होने के बाद बाजार में शेयर की मांग का पता लगाया जा सकता हैं। यदि खरीदार इस आईपीओ में हिस्सा लेते है ,तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा की वे आवेदन करते समय शेयर की पूरी कीमत का भुगतान करें।
  2. बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)– इसमें कंपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर आईपीओ का एक प्राइस बैंड का निर्णय करती है जब आईपीओ की प्राइस बैंड डीडे हो जाता है उसके बाद उससे जारी कर दिया जाता है। इसके बाद डीडे किये गए प्राइस बैंड में से इन्वेस्टर अपनी बिड सब्सक्राइब करते हैं बुक बिल्डिंग आईपीओ के प्राइस में 2 तरह के होते हैं :-
  1. प्राइस बंद में अगर आईपीओ का प्राइस काम है तो उसे फ्लोर प्राइस (Floor Price) कहते हैं
  2. अगर आईपीओ का प्राइस ज्यादा हो तो उसे कैप प्राइस (Cap Price) कहते हैं

IPO कैसे काम करता हैं ?

आईपीओ से पहले, एक कंपनी को निजी माना जाता हैं। एक निजी कंपनी के रूप में व्यवसाय किसी की तुलना में काम संख्या में शेयर धारक के साथ विकसित हुआ है जिनमे शुरूआती निवेशक जैसे संस्थापक परिवार और दोस्तों के साथ साथ पेशेवर निवेशक जैसे की उद्यम पूंजीपति या पारी निवेशक शामिल है। जब कोई कंपनी अपनी विकास प्रक्रिया में एक चरण में पहुँचती है है ,जहा यह विश्वास करती है की यह एसईसी नियमों की कठोरता के साथ-साथ सार्वजानिक शेयरहोल्डर को लाभ और जिम्मेदारियों के लिए पर्याप्त परिपक्व है तो यह सार्वजानिक होने में अपनी रूचि का विज्ञापन करना शुरू कर देगा।

वैसे तो विकास का यह चरण तब होगा जब एक कंपनी लगभग 1 बिलियन डॉलर के निजी मूल्याङ्कन तक पहुँच गयी है जिसे यूनिकॉर्न का दर्जा भी कहा जाता है। हालाँकि, मजबूत मूल सिद्धांतो और लाभप्रदता क्षमता के साथ विभिन्न मूल्यांकन वाली निजी कम्पनिया भी बाजार की प्रतिस्पर्धा आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता के आधार पर आईपीओ के लिए अर्हता प्राप्त कर सकती हैं।

आईपीओ एक कंपनी के लिए बड़ा कदम हैं। यह कंपनी को बहुत सारा पैसा इकट्ठा करने की सुविधा प्रदशान करती हैं। इससे कंपनी का विकास भी होता हैं। बढ़ी हुई पारदर्शिता लिस्टिंग की विश्वसनीयता उधार लेने वाले फंडो के साथ-साथ बेहतर शर्तों को प्राप्त करने भी मदद करती हैं।

आईपीओ में इन्वेस्ट कैसे करें :-

अगर आप आईपीओ में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको एक डीमैट अकाउंट खोलना होगा, ये एक्सेंट आप एचडीएफसी सिक्योरिटीज आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहते है उसमे आवेदन करें। इन्वेस्ट करने के लिए आपके डीमैट अकाउंट में पैसे होने चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके अकाउंट से नहीं कटती जब तक आपके शेयर आल्लोट नहीं हो जाते।

जब कोई कंपनी आईपीओ निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता हैं जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का आईपीओ खुला रहता हैं। जैसे शेयर मार्किट से हम एक ,दो या अपने मन से शेयर खरीदते है है यहाँ ऐसा नहीं होता यहाँ पर आपको कंपनी द्वारा अलॉट किये गए शेयर खरीदने होते हैं। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10 ,20,50,100 ,150,200 या ज्यादा भी हो सकती हैं वह पर आपको 1 शेयर की कीमत भी बताई जायेगी।

इन एप से करें IPO में इन्वेस्ट

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IPO Full Form FAQ’s

IPO की फुल फॉर्म इनिशियल पब्लिक ऑफर है

केंद्र सर्कार ने डिसइनवेस्टमेंट के बड़े टार्गेट्स रखे हैं। एलआईसी का आईपीओ लॉन्च करना इसी का एक हिस्सा है इसके जरिये सर्कार एलआईसी की 3.5%हिस्सेदारी बेच रही है। इससे 21000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।

इसके लिए आपके पास डीमैट एक्सेंट होना आवश्यक है। सेबी के नियमो के मुताबिक़ किसी भी कंपनी के इक्विटी शेयर केवल डीमैट रूप में जारी होते है। इसलिए कोई भी चाहे या पालिसी होल्डर हो या रिटेल निवेशक उसके पास डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है।

आईपीओ के दो प्रकार होते हैं
1.फिक्स्ड प्राइस आईपीओ
2.बुक बिल्डिंग आईपीओ

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.

IPO में निवेश करने जा रहे हैं? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान

आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे IPO क्या होता है? निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

IPO: भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की बाढ़ आई हुई है. स्टॉक इंडेक्स अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बाजार की इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अभी और ज्यादा आईपीओ के आने की उम्मीद है. निवेशक भी इन आईपीओ के ज़रिए पैसा कमाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं, हालांकि नए निवेशकों को इन आईपीओ में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. नए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे आईपीओ में निवेश करते समय पर्याप्त सावधानी बरतें, क्योंकि कई बार ऐसे निवेश में आपके अनुमान से ज्यादा जोखिम हो सकता है.

क्या है IPO

इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.

यह ध्यान रखना अहम है कि सभी आईपीओ को उनके मन मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. अतीत में IPO क्या होता है? ऐसे कई आईपीओ रहे हैं जो सफल नहीं हो सके जबकि कई अन्य ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों की संपत्ति में इजाफा किया. इसलिए, निवेशकों को किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है. आईपीओ में पैसा लगाते समय निवेशकों के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है.

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DRHP को ध्यान से पढ़ें

किसी कंपनी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस या DRHP के ज़रिए उस कंपनी को समझा जा सकता है. इस दस्तावेज को बाजार नियामक सेबी के सामने प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें कंपनी से संबंधित अहम जानकारियां होती हैं. इसमें कंपनी के बिजनेस, पास्ट परफॉरमेंस, संपत्ति और देनदारियां, आईपीओ के ज़रिए प्राप्त फंड के इस्तेमाल से संबंधित डिटेल और संभावित रिस्क फैक्टर्स जो कंपनी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं, आदि जानकारियां होती हैं. निवेश करने का निर्णय लेने से पहले आपको इसे अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए. DRHP कई अहम जानकारी प्रदान करता है, जिसकी मदद से आप कंपनी के व्यवसाय को बेहतर ढंग से समझने और इस आधार पर निवेश का निर्णय ले सकते हैं.

जुटाई गई पूंजी का उद्देश्य

इस बात पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कहां किया जाना है. अगर कंपनी कर्ज के बोझ से दबी है और डीआरएचपी में उल्लेख करती है कि आय का इस्तेमाल मौजूदा कर्ज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा, तो निवेशकों को इसमें निवेश करने में ज्यादा सावधानी बरतनी IPO क्या होता है? चाहिए. हालांकि, अगर फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने के साथ-साथ कंपनी की तरक्की के मिश्रित उद्देश्य के लिए किया जाना है, तो निवेश करने पर विचार किया जा सकता है. अगर कंपनी पहले ही अच्छा परफॉर्म कर रही है और आईपीओ से प्राप्त फंड का इस्तेमाल कंपनी की तरक्की के लिए करना चाहती है तो ऐसे में इसमें निवेश करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

प्रमोटरों को जानें

जो लोग कंपनी को चला रहे हैं, उन पर नजर रखनी चाहिए. इसमें फर्म के प्रमोटर और प्रबंधन के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल हैं. कंपनी ग्रोथ करेगी या नहीं, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रमोटर और प्रमुख अधिकारी कौन हैं. कंपनी के सभी तरह के व्यावसायिक निर्णय इन्हीं के द्वारा लिए जाते हैं. एक निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रमुख प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनी के साथ कितने साल बिताए हैं.

कंपनी के कारोबार और इसके विस्तार के बारे में जानें

कंपनी जिस सेक्टर से संबंधित है, उसमें कंपनी की स्थिति, उसकी बाजार हिस्सेदारी, उसके उत्पादों की पहुंच, भौगोलिक प्रसार, विस्तार योजनाएं, अनुमानित लाभ, सप्लाई चैन, संकट से निपटने की क्षमता जैसे फैक्टर्स पर ध्यान देना जरूरी है. इन सभी जीचों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कंपनी भविष्य में ग्रोथ करेगी या नहीं.

रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानें

कंपनी अपने DRHP में रिस्क फैक्टर्स के बारे में बताती है. एक निवेशक को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए. ये ऐसी चीजें हैं जिन पर निर्भर करता है कि इस आईपीओ में निवेश से फायदा होगा या नुकसान. कानूनी मुकदमों, पॉलिसी से संबंधित परिवर्तनों और ब्याज दरों समेत कई तरह के रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं. यह कंपनी की भविष्य की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

किसी भी अन्य निवेश की तरह, निवेश करने से पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करना चाहिए. अगर बिजनेस बाजार सहभागियों की सलाह के अनुसार बहुत जोखिम भरा दिखता है और आपकी जोखिम लेने की क्षमता से मेल नहीं IPO क्या होता है? खाता है, तो आईपीओ में निवेश से बचना बेहतर है.

(Article: Adhil Shetty)

(इस आर्टिकल को BankBazaar.com के CEO ने लिखा है.)

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क्या है IPO, जिसमें निवेश कर पा सकते हैं मल्टीबैगर रिटर्न

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर, मार्केट में लाती है तो इस प्रक्रिया को IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में निवेशक सीधे कंपनी से शेयर्स खरीदते हैं। जिसके बाद ये शेयर्स बाजार में आ जाते हैं जहां पर निवेशक दूसरे निवेशकों से इन्हें खरीदते व बेचते हैं। किसी निवेशक के लिए IPO काफी फायदे का सौदा हो सकते हैं, लेकिन उससे पहले IPO की पूरी प्रक्रिया को जानना बेहद आवश्यक है।

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चलिए जानते हैं IPO क्या है?

जिस तरह मार्केट में विभिन्न प्रोडक्ट को लॉन्च किया जाता है, उसी तरह स्टॉक्स भी लॉन्च होते हैं, जहां कंपनी पहली बार अपना नाम स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाती है, जिससे रिटेल इंनवेस्टर्स के लिए कंपनी में निवेश करने का रास्ता खुल जाता है। इसी प्रक्रिया को IPO यानी Initial Public Offering कहते हैं।

कोई कंपनी IPO लेकर क्यों आती है?

जब कंपनी को ग्रोथ के लिए या यूं कहें कंपनी के विस्तार के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है, तब वह पहली बार स्टॉक मार्केट में इंटर करती है और पब्लिक से पैसा रेज करती है और बदले में वह पब्लिक के लिए शेयर जारी करती है।

आपके दिमाग में सवाल आएगा कि अगर कंपनी को पैसे की जरूरत है, तो वो बैंक से भी लोन ले सकती है। तो इसका जवाब है कि बैंक लोन का ब्याज दर आमतौर पर अधिक होता है। दूसरी ओर अगर कंपनी IPO लेकर आती है तो इससे उसे एक लम्पसम फंड प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग IPO क्या होता है? कामों के लिए किया जा सकता है जैसे कम्पनी का कर्ज चुकाना, रिसर्च ऐंड डेवलेपमेंट, बिजनेस को आगे बढ़ाना आदि।

IPO में निवेश करने के फायदे

IPO में निवेश करना अक्सर कई निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद रहता है। इसमें रिटेल निवेशकों को शुरुआत में high growth potential वाली कंपनी में निवेश करने की सुविधा मिलती है। इसके जरिए आप कम दाम में शेयर खरीद सकते हैं और बड़े रिटर्न कमा सकते हैं। अगर कोई रिटेल निवेशक का स्टॉक मार्केट में नॉन-लिस्टेड किसी कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ पर पूरा भरोसा है और वह उसमें निवेश करना चाहता है, तो वह जरूर उसके IPO का इंतजार करेगा।

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