व्यापारियों की राय

कोरोना के चलते फिर बंद होंगे दिल्ली के बाजार? CAIT ने व्यापारियों से मांगा सुझाव
दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने अब हर किसी की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में एक बार फिर दिल्ली के बाजार बंद हो सकते हैं, इसको लेकर CAIT ने सभी व्यापारियों से राय मांगी है.
स्नेहांशु शेखर/रोहित मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 12 जून 2020,
- (अपडेटेड 12 जून 2020, 4:09 PM IST)
- क्या दिल्ली में फिर बंद होंगे बाजार?
- CAIT ने व्यापारियों से राय मांगी
दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बेकाबू होने लगे हैं और हर रोज अब रिकॉर्ड टूट रहा है. ऐसे में एक बार फिर चिंता बढ़ना शुरू हो गया है. इस बीच व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने दिल्ली की ट्रेडर्स बॉडी को एक ऑनलाइन सर्वे भेजा है. इसमें सुझाव मांगा गया है कि क्या दिल्ली के बाजारों को एक बार फिर बंद करना चाहिए.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली में कोरोना के हालात को देखते हुए सर्वे के जरिये दिल्ली के व्यापारिक संगठनों की राय जानने की कोशिश की गई है. उसी आधार पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उपराजयपाल अनिल बैजल एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कैट इस मामले को बेहद गंभीरता के साथ विचार करेगा.
उन्होंने कहा कि कैट दिल्ली में कोरोना के मामलों पर सरकार द्वारा लगाम लगाए जाने के प्रयासों पर अपना सहयोग देगा. मौजूदा हालात में सरकार सहित अन्य सभी वर्गों द्वारा आगे आकर दिल्ली को कोरोना संक्रमण और उसके भय से मुक्त करने की आवश्यकता है.
दिल्ली में कोरोना के मामले जिस तरह से बढ़े हैं, ये संख्या डराने वाली है. और अनलॉक होने के बाद ही मामलों में तेजी आई है. ऐसे में अब व्यापारियों की राय व्यापारियों की राय ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से दिल्ली के व्यापारियों से बाजार बंद करने को लेकर सुझाव मांगे गए हैं. आज शाम तक ही इसपर व्यापारियों की ओर से राय भेज दी जाएगी, जिसपर कल यानी शनिवार तक फैसला लिया जा सकता है.
गौरतलब है कि आज ही दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मीडिया को कहा था कि दिल्ली में लॉकडाउन को फिर से लागू नहीं किया जाएगा. बढ़ते मामलों के बीच इस तरह की अटकलें थी कि दिल्ली में लॉकडाउन लौट सकता है. लेकिन सत्येंद्र जैन ने इन अटकलों को खारिज कर दिया.
बता दें कि पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में रोज एक हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, गुरुवार को तो 1800 से ज्यादा रिकॉर्ड केस आए.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय शुक्रवार सुबह जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कुल मामलों की संख्या 34 हजार से अधिक है. अबतक 1085 लोगों की मौत हो चुकी है, पिछले दिन ही 1877 नए मामले सामने आए थे. दिल्ली सरकार के अनुमान के मुताबिक, इसी रफ्तार से राजधानी में जुलाई व्यापारियों की राय तक पांच लाख केस होंगे.
GST बिल पर अलग-अलग है व्यापारियों की राय, कोई समर्थन में तो कोई टालने के पक्ष में
उत्तर प्रदेश के साथ 1 जुलाई से पूरे देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अधिनियम 2017 लागू होने जा रहा है. जीएसटी को लेकर तमाम व्यापारी संगठनों में अलग-अलग राय है.
- News18Hindi
- Last Updated : June 30, 2017, 09:00 IST
उत्तर प्रदेश के साथ 1 जुलाई से पूरे देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अधिनियम 2017 लागू होने जा रहा है. जीएसटी को लेकर तमाम व्यापारी संगठनों में अलग-अलग राय है. कुछ संगठनों ने तो 30 जून को जीएसटी के विरोध में बंद का भी आह्वान किया है. इतना ही नहीं प्रदेश के कई जिलों में जीएसटी के विरोध व्यापारियों की राय में प्रदर्शन भी हो चुका.
इन सब के बीच मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में योगी सरकार ने भी जीएसटी अधिनियम 2017 को मंजूरी दे दी. इसी क्रम में बुधवार को डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के साथ जीएसटी के मुद्दे व्यापारियों ने बैठक की. इस बैठक के बाद व्यापारियों ने जीएसटी को लेकर अपनी अलग-अलग राय रखी. कुछ ने समर्थन किया तो, कुछ व्यापारी कई मुद्दों पर असहमत दिखे.
यही नहीं व्यापारियों द्वारा 30 जून को बुलाए गए बंद पर भी सबकी अलग-अलग राय रही.
जीएसटी पर क्या है व्यापारियों की राय
व्यापारी नेता संदीप बंसल ने कहा, “ मैं उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के प्रयास के लिए उन्हें धन्यवाद दूंगा. लेकिन यह निर्णय भारत सरकार का है. देश भर का व्यापारी आंदोलित है. कपड़ा व्यापारी आंदोलित है. आज भी पूरे देश की कपड़ा मंडी बंद है. जीएसटी पर आज भी व्यापारी अनजान है. जब वह जनता ही नहीं की टैक्स लगेगा कैसे तो वह टैक्स कैसे लेगा?”
बंसल ने कहा कि सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़कर व्यापारी को तीन महीने का समय इसे समझने के लिए देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को कानून तैयार करना चाहिए. अगर सरकार कानून नहीं तैयार कर पाई है तो तैयार करे और व्यापारी को समझाए उसके बाद इसे लागू करे. जबरदस्ती जीएसटी लागू करने से सरकार कोई लाभ नहीं मिलेगा. बंसल ने कहा कि देश भर के व्यापारी 30 जून को भारत बंद में शामिल हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश भी इस दिन बंद रहेगा.
उन्होंने कहा कि उनकी सबसे महत्वपूर्ण मांग है ई-बिलिंग का प्रावधान. हर व्यापारी के पास कंप्यूटर नहीं है.इसलिए ई-बिलिंग में हर व्यापारी नहीं आ सकता. इसलिए व्यापारी जैसे व्यापार कर रहा था वैसे ही उसे व्यपार करने दिया जाए. किसी भी प्रकार की सजा उस व्यापारी को न दी जाए.
एक अन्य व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल ने बताया कि उपमुख्यमंत्री ने हमारी बातों को सुनकर आश्वासन दिया है कि वे उनकी मांगों को जीएसटी कौंसिल की समक्ष रखेंगे और उसका समाधान निकालेंगे. कंछल ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी और रास्ता निकालेगी. 30 जून को होने वाले बंद पर उन्होंने कहा कि फिलहाल यह यथावत है. इस बंद में शामिल होना है कि नहीं इस पर फैसला गुरुवार को लिया जाएगा.
व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने कहा कि उपमुख्यमंत्री से मुलाकात के बात उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापर मंडल ने निर्णय लिया है कि वह जीएसटी का पूरी तरह से समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि जीएसटी एक अच्छी व्यवस्था है. प्रारंभिक स्तर पर जो भी कमियां हैं उनके बारे में सरकार को अवगत करा दिया गया है उम्मीद है वह दूर हो जाएगी. गुप्ता ने कहा कि अद्रश व्यापर मंडल 30 जून को बंद में शामिल नहीं है.
छेड़खानी की घटना पर व्यापारियों की राय
पहला कदम युवा उठाएं : बिकास सिंहचैंबर अध्यक्ष बिकास सिंह ने कहा कि इस मामले में समाज के साथ-साथ युवा भी चुप बैठे हैं। पहली आवाज उनकी ओर से उठनी चाहिए। यह उनकी ऐसी हरकत की स्वीकार्यता को इंगति करता.
पहला कदम युवा उठाएं : बिकास सिंहचैंबर अध्यक्ष बिकास सिंह ने कहा कि इस मामले में समाज के साथ-साथ युवा भी चुप बैठे हैं। पहली आवाज उनकी ओर से उठनी चाहिए। यह उनकी ऐसी हरकत की स्वीकार्यता को इंगति करता है। उनके उठ खड़े होने पर कोई भविष्य में इस तरह की घृणित काम करने का दु:साहस नहीं कर पाएगा। संवेदनशील बनाना होगा : सज्जन सर्राफपूर्व चैंबर अध्यक्ष सज्जन सर्राफ ने कहा कि इस मामले में समाज को संवेदनशील होना होगा।
सरकार के भरोसे रहने से बहुत कुछ नहीं हो सकता है। उद्दंडता का बढ़ना अच्छा संकेत नहीं है। इससे छवि धूमिल हो रही है। राजनीतिक पार्टियों को भी दलगत भावना से उपर उठकर विरोध के लिए आगे आना चाहिए। एकजुट होकर विरोध करें : राखी जैनजूनियर चैंबर रांची उड़ान की अध्यक्ष राखी जैन ने कहा कि वर्तमान में सभी अपने में सिमटकर रह गए हैं। समाज को एकजुट होकर ऐसी घटना का पूरजोर विरोध करना चाहिए। तब प्रशासन हरकत में आएगा।
दोषियों को कड़ी सजा दी जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा करने से पहले हजार बार सोचे। चुप रहना ठीक नहीं : शालिनी मुरारकाजूनियर चैंबर की महिला विंग की अध्यक्ष शालिनी मुरारका ने कहा कि ऐसे मामलों में समाज का चुप रहना ठीक नहीं है। इसका विरोध हर स्तर पर होना चाहिए। दोषी को भी ऐसी सजा मिले कि वह समाज के लिए मिसाल बनें। इस तरह का घिनौना काम करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाए। फोटो : नाम से।
मंडी शुल्क लगाकर व्यापारियों को उत्पीड़ित कर रही है सरकार, तत्काल प्रभाव से इसे ले वापस- अजय राय
वाराणसी। मंडी शुल्क के खिलाफ वाराणसी में विभिन्न व्यपारी संगठनों ने दुकान बंदी की गई। व्यपारियों के मांग और इस बंद का कांग्रेस पार्टी ने समर्थन किया। इसी क्रम में कांग्रेस नेता सरकार अजय राय ने कहा की यह जनविरोधी सरकार मंडी शुल्क लगाकर व्यापारियों को उत्पीड़ित कर रही है व व्यापार को खत्म करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि व्यपारियों की मांग पूर्ण रूप से जायज व उचित है। इस सरकार को तत्काल प्रभाव से मंडी शुल्क वापस लेना चाहिए। मंडी शुल्क से व्यापारियों को दिक्कत होगी। कोरोना की वजह से पहले ही व्यापार चौपट है। अब डेढ़ फीसदी शुल्क लगाकर उन्हें और परेशान किया जा रहा है।
यह सरकार सिर्फ चंद उद्योगपतियों की सरकार है यह सरकार नही चाहती है कि छोटे, मध्यमवर्गीय, खुदरा व्यपारी व्यपार करें। मंडी शुल्क आखिर क्यों ? इस सरकार में तानाशाही का बोलबाला है जब जो मन हो सरकार कर रही है व्यपारियों द्वारा बंदी का कांग्रेस पार्टी पूर्ण समर्थन करती है। हम हर व्यापारी संग खड़े है व हम सरकार से मांग करते है कि मंडी शुल्क को खत्म किया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि व्यापारियों संग हम सब कांग्रेसी उनके हर संघर्ष में खड़े है। किराना, गल्ला, दाल, दलहन, तम्बाकू, सुपारी व लकड़ी व्यवसाइयों समेत मंडी शुल्क से प्रभावित हर व्यपारियो के संघर्ष में हम कांग्रेसजन खड़े है। व्यापारिक संगठनों की काशी व्यापार प्रतिनिधिमंडल, काशी किराना व्यापार मंडल,वाराणसी किराना व्यापार समिति, विशेश्वरगंज व्यापार मंडल सहित गल्ला व्यवसाय, टिम्बर व्यवसाय व तम्बाकू व्यवसाय से संबंधित व्यापारिक संगठनों के साथ,व्यपारी बन्धुओं के साथ हम कांग्रेसी खड़े है।
महानगर कांग्रेस कमेटी के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा की मंडी समिति शुल्क हटाए जाने की अनेक वर्षों की मांग के बाद पिछले वर्ष सरकार ने मंडी शुल्क हटाए जाने के बाद अब अचानक मंडी शुल्क दोबारा लगाना सरकार के कुनीति को प्रदर्शित करता है। व्यपारियो संग इस प्रकार का छल अनुचित है। व्यपारियों को बढ़ावा देने के बजाय व्यपारियों को परेशान करना यह उचित नहीं है। व्यपारियो संग पूरी कांग्रेस पार्टी खड़ी है। उनके हर आंदोलन, हर संघर्ष में हम व्यपारियों के साथ है। इस जनविरोधी निकम्मी सरकार को मंडी शुल्क वापस लेना होगा।
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उपज की कम बोली लगाने पर नई गल्ला मंडी में किसान एवं व्यापारियों में हुआ विवाद, मारपीट के लागए आरोप
अशोकनगर, हितेंद्र बुधौलिया। नवीन कृषि उपज मंडी में धान की डाक बोली के दौरान किसानों और व्यापारियों (farmers and traders) में विवाद हो गया। धान की कम बोली से किसान उग्र हो गये। व्यापारियों का आरोप है की किसानों नें एक व्यापारी के साथ मारपीट कर दी, इसके बाद में मंडी सचिव के साथ व्यापारी सिटी कोतवाली पहुंचे और इसकी शिकायत की, लेकिन फिर बाद मेें एफआईआर दर्ज नही कराई गई। विवाद के कारण हजारों क्विंटल उपज की डाक बोली नहीं हो पाई। किसानों का आरोप है कि व्यापारी एक राय होकर धान की कम बोली लगा रहे हैं। दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि मंडी में 2700 से 2950 तक धान खरीदा जा रहा है जिस धान की क्वालिटी खराब है उसके दाम कम मिलते ही हैं।
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बता दें कि नवीन गल्ला मंडी में दोपहर 1 बजे डाक बोली शुरू हुई। 15 मिनिट बाद ही विवाद के दौरान कुछ किसानों ने व्यापारी मनोज जैन के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए मारपीट कर दी। नाराज व्यापारियों ने डाक बोली बंद कर दी। डाक बोली बोल रहे मंडी कर्मचारी ने इसकी सूचना मंडी सचिव को दी, जिसके बाद मंडी सचिव भागीरथ प्रसाद मंडी में पहुंचे और विवाद सुलझाने की कोशिश की लेकिन किसान अधिक दाम लगाने को लेकर अड़े हुए थे, जिससे डाक बोली शुरू नहीं हो पाई। कृषक जसवंत सिंह ने बताया कि जिस धान की कीमत दो हजार, तीन हजार है उसकी रेट व्यापारी 1200 लगा रहे हैं। कोटा मंडी में 3300 रुपये प्रति क्विंटल में धान बिक रहा है। आज गल्ला मंडी में धान की सबसे ज्यादा रेट 2700 रुपये रही है। जिस धान को आज व्यापारी 1200 में खरीदते हैं उसी को एक दिन पहले 1500 रुपये में भी खरीद रहे हैं वहीं कृषक प्रदीप रघुवंशी ने बताया कि व्यापारी मन के भाव लगा रहे हैं। व्यापारी मंडी में नहीं आते हैं बाहर के बाहर माल खरीद लेते हैं। दूसरी मंडियों की अपेक्षा या 1200 से 1300 रुपये कम लगाए जा रहे हैं। ऐसे में किसानों के सामने कोटा या दूसरी मंडियों में धान बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। डाक बोली भी 1 बजे से होती है इससे किसान घर नहीं जा व्यापारियों की राय पाते हैं न ही खाद आदि खरीद पा रहे हैं।
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जिस व्यापारी के साथ हुई अभद्रता उन्होंने बताई आपबीती
बुधवार को जिस व्यापारी के साथ अभद्रता की घटना हुई है, उन्होंने बताया कि मैं खड़ा था उसी दौरान एक किसान आए और कहने लगे कि आप मेरे धान का भाव लगाओ, मैंने मना किया लेकिन वह जबर्दस्ती करने लगे। इसी दौरान सैकड़ों किसान आ गए, इस कारण मुझे अभद्रता करने वाले किसान का पता नहीं है। ट्राली का माल भी गीला था इसलिए मैंने कुछ भी भाव बताने से इनकार कर दिया लेकिन वह जबरन भाव लगाने को लेकर विवाद करने लगा। अच्छा धान 2900 रुपये में भी खरीदा गया है। यहां किसान क्वालिटी बनाकर धान नहीं ला पा रहे हैं न तो धान को साफ करके ला रहे हैं और न ही सुखाकर।
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मंडी सचिव भागीरथ प्रसाद ने बताया कि सूचना मिलने के बाद मैं नई गल्ला मंडी पहुंचा, मैंने देखा कि किसानों ने डाक बोली रोक रखी है और कह रहे थे कि व्यापारी हमारा माल कम कीमत में खरीद रहे हैं। इसके बाद मैंने खुद ने तीन-चार ट्राली की बोली लगवाई। इस दौरान 2900 रुपये भी डाक बोली लगी। इसके बाद भी किसान कहने लगे कि हमारा धान कोटा से कम दाम में खरीदा जा रहा है, इस कारण हम डाक बोली नहीं होने देंगे और इसका विरोध करेंगे। मैंने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माने। किसानों ने व्यापारी को मारा जिसका बचाव कर उसे सुपरवाइजर के माध्यम से सुरक्षित ऑफिस में पहुंचाया। किसानों का यह आरोप भी गलत है कि भाव में कोई कमी है। जैसी धान की क्वालिटी होती है वैसा ही कृषक को भाव मिल रहा है।
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पुरानी मंडी में भी रुकी डाक बोली, किसानों ने दिया धरना
नई मंडी में विवाद की सूचना मिलने के बाद पुरानी गल्ला मंडी में भी व्यापारियों ने डाक बोली रोक दी। व्यापारियों का कहना है कि सुरक्षा के इंतजाम न होने से डाक बोली रोकी गई है। जब तक व्यापारियों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं होते तब तक डाक बोली संभव नहीं है। दूसरी ओर डाक बोली रुकने से परेशान किसानों ने पुरानी गल्ला मंडी के गेट पर धरना दिया। विवाद के कारण दोनों मंडियों में हजारों क्विंटल उपज की डाक बोली प्रभावित हुई।