शुरुआती के लिए रणनीतियाँ

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति
ऑस्ट्रेलियाई बैंक वेस्टपैक में बाजार रणनीति के वैश्विक प्रमुख रॉबर्ट रेनी भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर कहते हैं, 'इस प्रतिबंध से विशेष रूप से विकासशील देशों के लोगों के लिए भोजन की कमी का जोखिम बढ़ जाएगा.'

2030 Strategy

यह बेहतर के लिए बदलाव के लिए बेटर कॉटन का एजेंडा है। 2030 की रणनीति कपास का उत्पादन करने वाले किसानों और इस क्षेत्र के भविष्य में हिस्सेदारी रखने बाजार के लिए वैश्विक रणनीति वाले सभी लोगों के लिए कपास को बेहतर बनाने की हमारी दस वर्षीय योजना की दिशा निर्धारित करती है।

आज दुनिया के लगभग एक चौथाई कपास का उत्पादन बेटर कॉटन स्टैंडर्ड के तहत किया जाता है, और 2.4 लाख कपास किसानों को स्थायी कृषि पद्धतियों में प्रशिक्षित किया गया है और उन्हें बेहतर कपास उगाने के लिए लाइसेंस दिया गया है। एक स्थायी दुनिया बाजार के लिए वैश्विक रणनीति की हमारी दृष्टि, जहां कपास किसानों और श्रमिकों को पता है कि कैसे सामना करना है - जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के लिए खतरों और यहां तक ​​​​कि बाजार के लिए वैश्विक रणनीति वैश्विक महामारियों से भी - पहुंच के भीतर है। कपास की खेती करने वाले समुदायों की एक नई पीढ़ी एक सभ्य जीवन जीने में सक्षम होगी, आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत आवाज होगी और अधिक टिकाऊ कपास की बढ़ती उपभोक्ता मांग को पूरा करेगी। दिसंबर 2021 में, हमने अपनी महत्वाकांक्षी 2030 रणनीति को पांच प्रभाव लक्ष्यों में से पहले के साथ लॉन्च किया।

रणनीति: पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार करेगी रिजर्व कच्चे तेल का इस्तेमाल, सस्ता होगा ईंधन

पेट्रोल-डीजल

देश के कई राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने रिजर्व कच्चे तेल के इस्तेमाल की रणनीति बनाई है। इससे वैश्विक बाजार में महंगे क्रूड के आयात से बचने के साथ घरेलू बाजार में भी ईंधन सस्ता करने में मदद मिलेगी।

सरकारी सूत्रों बाजार के लिए वैश्विक रणनीति के अनुसार, भारत अपने कुल तेल भंडार का 50% वाणिज्यिक इस्तेमाल करेगा। इसके तहत 3.65 करोड़ बैरल क्रूड (50 लाख टन) तेल शोधन कंपनियों को कम कीमत पर दिया जाएगा। तेल की बिक्री से मिले फंड का इस्तेमाल और रिजर्व टैंक बनाने में होगा। साथ ही कंपनियों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार का दबाव भी घटेगा और क्रूड के सस्ता होने पर वे दोबारा बड़ी मात्रा में आयात करेंगी।

विस्तार

देश के कई राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने रिजर्व बाजार के लिए वैश्विक रणनीति कच्चे तेल के इस्तेमाल की रणनीति बनाई है। इससे वैश्विक बाजार में महंगे क्रूड के आयात से बचने के साथ घरेलू बाजार में भी ईंधन सस्ता करने में मदद मिलेगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अपने कुल तेल भंडार का 50% वाणिज्यिक इस्तेमाल करेगा। इसके तहत 3.65 करोड़ बैरल क्रूड (50 लाख टन) तेल शोधन कंपनियों को कम कीमत पर दिया जाएगा। तेल की बिक्री से मिले फंड का इस्तेमाल और रिजर्व टैंक बनाने में होगा। साथ ही कंपनियों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार का दबाव भी घटेगा और क्रूड के सस्ता होने पर वे दोबारा बड़ी मात्रा में आयात करेंगी।

गौरतलब है कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) व अन्य सहयोगी देशों की ओर से क्रूड उत्पादन में प्रतिदिन 70 लाख बैरल कटौती किए जाने के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 77.84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। इसके बाद चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे बड़े आयातक देशों ने अपने भंडार का बाजार के लिए वैश्विक रणनीति इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अब भारत भी इसमें शामिल हो रहा है।

वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों बाजार के लिए वैश्विक रणनीति में भारी उछाल, पढ़ें पूरी जानकरी

नई दिल्ली: भारत ने गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया जिसके बाद बाजार के लिए वैश्विक रणनीति अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतों में बड़ा उछाल आया है. वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति बाधित होने बाजार के लिए वैश्विक रणनीति से खाद्य संकट गहराता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलने वाले एक बुशल (1 Bushel- 27.216 KG) गेहूं की कीमत शिकागो में 5.9 फीसदी तक बढ़कर 12.47 डॉलर हो गई है. भारत की तरफ से निर्यात प्रतिबंध के बाद वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में लगभग 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

रूस और यूक्रेन वैश्विक बाजार में गेहूं के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक हैं. दोनों देश मिलकर दुनिया के गेहूं निर्यात जरूरत के एक तिहाई हिस्से की पूर्ति करते हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण इस वर्ष गेहूं की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.

मार्केट आउटलुक

हमारे विचार से इक्विटी बाजार लंबी अवधि तक बेहतर काम कर सकता है, लेकिन मध्यावधि के पहलुओं के हिसाब से हम सावधानी बरत रहे हैं. घरेलू और वैश्विक बाजारों में गतिशील वातावरण को देखते हुए हमारा मानना है कि मौजूदा परिदृश्य सक्रिय निवेश प्रबंधन और मल्टी असेट रणनीतियों का माहौल बना रहा है, जिससे कम अवधि के हिसाब से निवेशकों को बेहतर नतीजे मिल सकते हैं.

इस साल के दौरान बिना कमाई के आईपीओ के विकल्प, डेरिवेटिव सेग्मेंट के माध्यम से ज्यादा लिवरेज और केवल इक्विटी में निेवेश कर संपत्ति के आवंटन की उपेक्षा (डेट, गोल्ड व नकदी की उपेक्षा) करने जैसे कदमों से निवेशकों को निवेश का नकारात्मक अनुभव हो सकता है. अगर आपके पोर्टफोलियो में जोखिम वाली संपत्तियों में ज्यादा निवेश है तो यह उचित समय नजर आता है जब आप जोखिम में कमी कर दें.

एकल संपत्ति वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बाजार के लिए वैश्विक रणनीति ऐसी रणनीति अपनाना उचित रहेगा, जो निवेशक को विभिन्न संपत्ति वर्ग में निवेश की अनुमति प्रदान करे. अगर आप इक्विटी संबंधी निवेश पर विचार कर रहे है बाजार के लिए वैश्विक रणनीति तो ऐसी श्रेणी की योजना का विकल्प चुनें, जिसमें बाजार पूंजीकरण और थीमों में निवेश को लेकर लचीलापन हो.

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