मिड कैप फंड्स क्या हैं?

मिड कैप शेयर क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमिड-कैप बाजार कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर 101 वीं से 250 वीं कंपनी को रेफर करता है (बाजार कैपिटलाइज़ेशन = सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों की संख्या * हर शेयर की कीमत), जबकि बाजार कैपिटलाइज़ेशन में 251 वीं कंपनी से लेकर आगे तक की कंपनियों को स्मॉल कैप कहा जाता है।
मिड कैप फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?
सेबी के मानदंडों के अनुसार, मिड कैप योजनाओं को उन कंपनियों में निवेश करना अनिवार्य है जो बाजार पूंजीकरण में 101 से 250 के बीच हैं । ये कंपनियां कल की लीडर हो सकती हैं। यही उन्हें बेहतरीन दांव बनाता है। अगर ये कंपनियां वादे पर खरी उतरती हैं, तो बाजार निवेशकों को अच्छा इनाम देगा।
व्हाट इस मिड एंड स्मॉल कैप इन म्यूचुअल फंड
मिड कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जिनका बाजार पूंजीकरण (MC = कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या X बाजार मूल्य प्रति शेयर) INR 500 Cr से INR 1000 Cr है। और, स्मॉल कैप को आमतौर पर लगभग 500 करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाली फर्मों के रूप में परिभाषित किया जाता है।
भारत में मिड कैप फंड क्या है?
मिड कैप फंड एक प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं जो मध्यम आकार की कंपनियों के स्टॉक में निवेश करते हैं । मानदंडों के अनुसार, जो कंपनियां अपने बाजार पूंजीकरण के आधार पर 101 से 250 तक रैंक करती हैं, उन्हें मिड कैप कंपनियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
लार्ज कैप मिडकैप और स्मॉलकैप में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंलार्जकैप – इन कम्पनी का कैपिटलिज़ेशन 20,000 Cr से ज़्यादा होता हैं। मिडकैप – कम्पनी जिनका कैपिटलिज़ेशन 5000- 20,000 Cr के बीच में होता हैं। स्मॉलकैप- जिनका कैपिटलिज़ेशन 5000 Cr से कम होता हैं। इनको वर्गीकृत करने का कारण – कम्पनी के कैपिटलिज़ेशन के अनुसार इन पर नियम लागु होते हैं।
स्मॉल कैप फंड क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंफंड हाउस स्मालकैप फंड के जरिए छोटी साइज की कंपनियों में पैसे लगाते हैं. लार्जकैप या लार्ज एंड मिडकैप की तुलना में यह कटेगिरी कुछ रिस्की जरूर है, लेकिन सही स्कीम में पैसे लगाएं तो शानदार रिटर्न हासिल हो सकता है. Smallcap Mutual Funds: इक्विटी म्यूचुअल फंड में आने वाली अलग अलग कटेगिरी के तहत स्मालकैप फंड भी शामिल है.
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निवेश के मंत्र 51: क्या हैं इक्विटी म्यूचुअल फंड, निवेश के लिए क्यों है बेहतर विकल्प?
इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.
मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश मिड कैप फंड्स क्या हैं? करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।
लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।
लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।
मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।
स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।
डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।
वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।
फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.
मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।
लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।
लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।
मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।
स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।
डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।
वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 मिड कैप फंड्स क्या हैं? फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।
फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।
निवेश के मंत्र 51: क्या हैं इक्विटी म्यूचुअल फंड, निवेश के लिए क्यों है बेहतर विकल्प?
इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.
मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।
लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।
लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।
मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।
स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।
डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।
वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।
फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड ज्यादातर इक्विटी या स्टॉक्स में अपना पैसा मिड कैप फंड्स क्या हैं? लगाते हैं। भारत में एक म्यूचुअल फंड स्कीम अपने कॉर्पस का 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी, भारतीय स्टॉक्स, टैक्सेशन के लक्ष्य से इक्विटी म्यूचुअल फंड से संबंधित निवेश में लगाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय फंड के स्टॉक में पैसा लगाने के बाद भी उन्हें इक्विटी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय फंड भारतीय स्टॉक में निवेश नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें डेट स्कीम की तरह पेश किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक देश में इक्विटी म्यूचुअल फंड को दस श्रेणी में बांटा गया है, जो इस तरह हैं.
मल्टीकैप इक्विटी फंड
जैसा कि नाम से ही साफ हो रहा है, मल्टीकैप इक्विटी फंड वो स्कीम है जो सभी तरह के सेक्टर में निवेश करती है। इसमें लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और तमाम तरह के सेक्टर शामिल होते हैं।
लार्जकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने कॉर्पस का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप कंपनियों में निवेश करता है, फंड के लिए ऐसा करना जरूरी है। बाजार पूंजीकरण के आधार पर देश की टॉप 100 कंपनियों में लार्जकैप फंड निवेश करता है।
लार्ज और मिडकैप इक्विटी फंड
इस स्कीम के तहत अपनी मिड कैप फंड्स क्या हैं? संपत्ति का 35 फीसदी लार्जकैप कंपनियों और 35 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में निवेश करना जरूरी होता है।
मिडकैप इक्विटी फंड
ये फंड्स अपनी एसेट यानि संपत्ति का 65 फीसदी मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करते हैं। मिडकैप कंपनियां वो होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण के आधार पर रैंक 101-250 के बीच में होती है।
स्मॉलकैप इक्विटी फंड
ये फंड अपने नाम की तरह अपनी संपत्ति या एसेट का 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करती हैं। स्मॉलकैप कंपनियों में उन कंपनियों को शामिल किया गया है, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर 251 पायदान से नीचे आती हैं।
डिविडेंड यील्ड फंड
इस तरह के फंड्स को अपने एसेट का 65 फीसदी डिविडेंड यील्ड स्टॉक में निवेश करना जरूरी होता है।
वैल्यू इक्विटी फंड
ये फंड स्कीम अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा ऐसे स्टॉक में निवेश करते हैं जो वैल्यू निवेश के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
कॉन्ट्रा इक्विटी फंड
इस तरह के फंड्स विपरीत निवेश की रणनीति का पालन करते हैं और अपने एसेट का 65 फीसदी हिस्सा उसी रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं।
फोक्स्ड इक्विटी फंड
ये फंड ज्यादा से ज्यादा 30 स्टॉक के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। ज्यादातर फोक्स्ड फंड मल्टीकैप रणनीति का पालन करते हैं।
सेक्टोरल और थीमैटिक फंड
इस तरह के फंड अपने एसेट या संपत्ति का 80 फीसदी हिस्सा किसी विशेष सेक्टर और थीम में निवेश करते हैं।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम फंड (ईएलएसएस)
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम और टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी होता है। इस तरह के निवेश में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है।
म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट कैसे करे | Mutual Fund in Hindi
दोस्तों, आज के लेख में हम आपको Mutual Funds kya hai in Hindi, Mutual Fund in Hindi के बारे मे पूरी जानकारी देंगे. इस म्यूच्यूअल फण्ड से भी मुनाफा कमाया जा सकता है. इस बजह से बहुत से निवेशक म्यूच्यूअल फाउंड में निवेश करने लगे है.
SIP फुल फॉर्म हिंदी में “सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान” है. जिसके जरिये निवेश करने वालों की जनसंख्या बढती जा रही है. जिन लोगों को शेयर मार्केट के बारे में पूरी जानकारी नही है और सीखना भी नहीं चाहते है तो उन लोगों के लिए म्यूच्यूअल फण्ड बेहतरीन तरीका है. इसमें कम रिस्क में कम मुनाफा और नुक्सान होता है.
इसके जरिये आप बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी निवेश कर सकते है. म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के बारे में अधिक जानकारी ना होने पर किसी अच्छे एक्सपर्ट की मदद ले सकते है. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए बेहतर शेयर को चुनना होता है.
Mutual Fund क्या है | Mutual Funds Kya Hai in Hindi
म्यूच्यूअल फण्ड सामूहिक निवेश होता है. कई निवेशकों का एक समूह मिलकर स्टॉक में निवेश करते है. म्यूच्यूअल फण्ड में निवेशकों के फण्ड के फायदा और नुक्सान का हिसाब रखने के लिए एक फंड मैनेजर होता है. (1)
इस तरह से निवेश में जो भी नुक्सान या फायदा होता है वह निवेशकों में बांट दिया जाता है. म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी में उन सभी निवशकों के निवेश पैसों को इकट्ठे करती है. ऐसा करने पर कंपनी थोड़ा सर्विस चार्ज काटती है.
और म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के द्वारा इकट्ठा किया गया पैसा शेयर मार्किट में निवेश करती है. म्यूच्यूअल फण्ड में एक काफी बड़ा फायदा है की उसमे यह सोचने की जरूरत नहीं होती है की कब शेयर को खरीदना और बेचना होता है, क्योकि ये सारा काम फण्ड मैनेजर का होता है.
म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने के फायदा यह है की आप इसमें 500, 1000 रूपए से निवेश करना सुरु कर सकते है. मासिक निवेश के लिए SIP लेना होता है. इसका मतलब होता है की आपके द्वारा तय की गई राशी अपने आप प्रतेक महीने खाते से से कटकर सीधे फण्ड में ट्रान्सफर होती रहगी. (2)
भारत की सबसे बड़ी और पुरानी UTI Mutual Fund Company है. म्यूचुअल फंड की इक्विटी योजना में आपको मिड-कैप स्कीम, इंडेक्स फंड, लार्ज-कैप फंड, डायवर्सिफाइड फंड और टैक्स सेविंग स्कीम आदि इस तरह के विकल्प होते हैं.
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से पहले ये जान लें की इसमें अपने टारगेट को हासिल करने के लिए लम्बे समय ले लिए निवेश करना होगा. बेहतर मुनाफा कमाने के लिए अधिक पैसा निवेशा करना होगा. 1 या 2 वर्ष के निवेशकों को कोई ज्यादा लाभ नहीं होगा. Mutual Fund in Hindi के बारे में समझे.
Mutual Fund कितने प्रकार के होते है?
- इक्विटी फण्ड
- लार्ज कैप फण्ड
- डेट फण्ड
- गिल्ट फण्ड
इक्विटी फण्ड (Equity Fund) Mutual Fund in Hindi
इक्विटी फण्ड काफी महसूर फण्ड है. इसमें बेहतरीन निवेशक अधिक रिस्क लेकर अधिक मुनाफा भी लेते है. ऐसा इसलिए होता है क्योकि इस इक्विटी म्यूचुअल फंड के मैनेजर सभी पैसा स्टॉक मार्किट में निवेश करता है.
इस इक्विटी म्यूचुअल फंड को मल्टी कैपिटल, लार्ज कैपिटल, स्मॉल कैपिटल, मिड कैपिटल में बांटा गया है.
लार्ज कैप फण्ड | Large Cap Funds
लार्ज कैप फण्ड mutual fund वह होते है जो आपकी राशी को बड़ी कैपिटल वाली कंपनी में निवेश करते है. लार्ज कैप कंपनी की काफी ग्रोथ है. इसलिए return तो कम मिलता है लेकिन लगातर मिलता है. लार्ज कैप फण्ड के मुकालबे स्माल और मिडकैप में अधिक रिस्क होता है.
डेट फण्ड | Debts Funds
ये ऐसे फण्ड है जिनको कमर्शियल पेपर, कॉर्पोरेट बांड्स, ट्रेजरी बिल और कई तरह के मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में भी निवेश करते हैं. जो निश्चित ही अच्छा रिटर्न देते हैं.
गिल्ट फण्ड | Gilt Fund
इसमें निवेश किया गया पैसा सिर्फ गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में जाता है. सरकार को पैसे देने की बजह से डेब्ट फंड में कम मात्रा में रिस्क होता है.
लिक्विड फंड्स | Liquid Funds
लिक्विड फंड ऐसे होते है जिसे कभी भी रीडीम करवा सकते है. आवेदन करते ही 24 घंटे के अन्दर आपके खाते में पैसे आ जाते है. लेकिन लिक्विड फंड में सबसे कम return मिलता है.
इसमें आप 3 या 4 दिन के लिए भी निवेश कर सकते है. ये उन सिक्योरिटीज में निवेश होते है जिनकी मैच्योरिटी 91 दिन तक की होती है. इसलिए लिक्विड फंड बैंक एफडी और सेविंग अकाउंट में निवेश करने का अच्छा विकल्प होता है.
मिड कैप फण्डस | Mid Cap Fund
यह वह कंपनिया होती है जिन्होंने अपना बिज़नस स्थापित कर दिया है. लेकिन अब ये तरक्की कर रही है. इतना ही नहीं बल्कि ये मिड कैप फंड और लार्ज कैप फंड से ज्यादा return देती है.
स्मॉल कैप फंड्स | Small Cap Fund
स्माल कैपिटल फण्ड कंपनियां वह होती है जो अपना कारोबार मार्किट में स्थापित करने का प्रयास करती है. इसमें जितना ज्यादा return मिलता है उतना ही ज्यादा रिस्क भी होता है. Mutual Funds Kya Hai in Hindi, Mutual Fund in Hindi
मल्टी कैप फंड्स | Multi Cap Funds
म्यूच्यूअल फण्ड की ये सबसे पॉपुलर है क्योकि इसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में तय किये गय रेश्यो में करना होता है. इसमें आपको हाईब्रिड फंड्स, फ्लैक्सी कैप फंड्स और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम आदि शामिल है.
इस लेख मैंने आपको म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट कैसे करे, Mutual Fund in Hindi,Mutual Fund कितने प्रकार के होते है आदि के बारे में अच्छे से बताया है. यदि इस पोस्ट से सम्बंधित कोई आपका सवाल है तो हमें कमेंट के जरिये बताये हम आपके सवाल का उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे.
Large Cap Funds Kya Hai? | लार्ज कैप फंड्स में निवेश क्यों माना जाता है सबसे सुरक्षित? समझिए
Large Cap Funds in Hindi: स्टॉक मार्केट में सभी शेयरों को उनकी मार्केट पूंजी के आधार पर लार्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप में बांटा गया है। आज के इस लेख में हम बताएंगे कि Large Cap Funds Kya Hai? (What is Large Cap Funds in Hindi) और इसमें किसे निवेश करना चाहिए।
Large Cap Funds in Hindi: SEBI द्वारा कंपनियों को बाजार पूंजीकरण के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। SEBI के लिस्ट के अनुसार शुरुआत की 100 कंपनियां लार्ज कैप फंड (Large Cap Fund) होती है, इन्हें ब्लूचिप कंपनियां (Bluechip Companies) भी कहा जाता है। जबकि 101 से 250वीं तक की कंपनियां मिड-कैप कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। पूंजीकरण का आकार बदलता रहता है तदनुसार, कंपनियां विभिन्न श्रेणियों में आ सकती हैं।
आमतौर पर जिन कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Cap) 10000 करोड़ से ज्यादा होता है, वे सभी कंपनियां लार्ज कैप कंपनी की कैटेगरी में आती हैं। ऐसी कंपनियों को लार्ज कैप शेयर या लार्ज कैप कंपनी भी कहा जाता है। लार्ज कैप आर्गेनाइजेशन स्थापित होती हैं और उनके पास एक स्थिर कॉर्पोरेट प्रशासन है जो उन्हें भरोसेमंद बनाता है। तो चलिए विस्तार से समझते है कि Large Cap Fund Kya Hai? और इसमें किसे निवेश करना चाहिए।
Large Cap Funds Kya Hai? | What is Large Cap Funds in Hindi
लार्ज कैप फंड (Large Cap Fund) वे फंड हैं जो ब्रिटानिया, आईटीसी, एचयूएल, और अन्य जैसे बड़े मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के इक्विटी शेयरों में अपने एसेट का बड़ा हिस्सा निवेश करते हैं। इस कैप के अंतर्गत आने वाली ये कंपनियां बाजार में उच्च प्रतिष्ठा के लिए जानी जाती हैं। जितने भी सर्वश्रेष्ठ लार्ज कैप फंड है वह मध्यम से लंबी अवधि के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने का ट्रैक रिकॉर्ड रखते है।
जब स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंडों के साथ तुलना की जाती है तो Large Cap Fund फंड कम जोखिम वाले होते हैं और जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए एकदम सही हो सकते हैं।
लार्ज कैप फंड में किसे निवेश करना चाहिए? | Who should invest in Large Cap Funds
लार्ज कैप उन व्यक्तियों के लिए एक विकल्प होना चाहिए, जिन्हें इक्विटी निवेश का अच्छा उपयोग करने की आवश्यकता है, लेकिन समय के साथ उतार-चढ़ाव जारी रखने के लिए अपने रिटर्न की आवश्यकता नहीं है। चूंकि लार्ज कैप फंड को वित्तीय रूप से स्थिर माना जाता है, वे बियर मार्केट को झेलने में सक्षम हैं।
लार्ज कैप फंड आपके निवेश प्रोफाइल को एक तरह की अति आवश्यक स्थिरता प्रदान करते हैं, इतना अधिक कि आप अपने निवेश के फोकस को उनके आसपास एडजस्ट करने के बारे में भी सोच सकते हैं ताकि वे आपके निवेश का एक बड़ा हिस्सा बन सकें।
हालांकि सबसे अच्छे लार्ज कैप फंडों के साथ भी एक समस्या यह हो सकती है कि वे मिड-कैप या स्मॉल-कैप इक्विटी के विपरीत बाजार में रिटर्न की उम्मीदों को पूरा करने में विफल हो सकते हैं।
क्या लार्ज कैप फंड में निवेश करना अच्छा है? | Is it Good to Invest in Large Cap Funds?
लार्ज कैप फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं जो कम जोखिम के साथ स्थिर रिटर्न की तलाश में हैं। ये फंड आपके निवेश के दृष्टिकोण पर निर्भर करते हैं। इन फंडों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि आपको इनमें कम से कम पांच से सात वर्षों के लिए निवेश करना चाहिए। अधिक जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए मिड-कैप या स्मॉल-कैप फंड में निवेश करना बेहतर है।
लार्ज कैप फंड में निवेश करने से पहले ध्यान देने वाली बातें
Large Cap Equity Funds बाजार के साथ आने वाले कई जोखिमों के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। हालांकि ये जोखिम काफी मध्यम होते हैं। जब आप उनकी तुलना स्मॉल-कैप या मिड-कैप फंड से करते हैं, तो नेट एसेट वैल्यू (NAV) में उतार-चढ़ाव अपेक्षाकृत कम होता है।
एक्सपेंस रेश्यो
सभी म्यूचुअल फंडों की तरह, Large Cap Mutual Fund एक खर्च के साथ आते हैं ताकि आपका निवेश अच्छी तरह से मैनेज हो। इसे फंड का एक्सपेंस रेशियो कहा जाता है। कम एक्सपेंस रेशियो बैलेंस बनाने में मदद कर सकता है, जिसका मतलब है कि घर में ज्यादा मुनाफा लेना।
निवेश दृष्टिकोण
Large Cap Fund उन लोगों के लिए सबसे अच्छा काम करते हैं जो मध्यम से लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। जो लोग इन फंडों में निवेश करते हैं उन्हें कम से कम तीन से पांच साल के लिए इसमें निवेश किया जाना चाहिए ताकि ऑफर पर रिटर्न की संभावना देखी जा सके।
पूंजीगत लाभ पर टैक्स
Large Cap Fund पर भी अन्य इक्विटी एसेट के समान टैक्स लगता हैं। एक वर्ष तक की होल्डिंग अवधि पर अर्जित पूंजीगत लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहा जाता है। इन पर 15% टैक्स लगता है। दूसरी ओर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) की निवेश अवधि एक वर्ष से अधिक होती है। प्रचलित टैक्स दर के अनुसार 1 लाख रुपये से अधिक की गिरावट वाले एलटीसीजी पर बिना इंडेक्सेशन लाभ के 10% कर लगाया जाता है।