अपने दलाल दर

शिकायत में दलाली की दरों का भी उल्लेख
- कोतवाली में दलाली की दरें
- 3500 रुपए अगर केस बिना लिंक का हो व बैनामा हाल ही का हो तो
- कार्यावाधि-15 दिन, भले ही लोकसेवा में प्रकरण एक महीने में हो
- 6500 रुपए केस में लिंक हो तो
- 10 हजार रुपए अगर लिंक बैनामा 3 से ज्यादा व 5 साल से कम का हो
- 1 से 5 लाख रुपए लिंक बैनामा नहीं होने पर
संपत्ति के दौरे के दौरान दलालों की 7 सामान्य गलतियाँ जो खरीदारों को परेशान करती हैं
कोरोनावायरस महामारी के बावजूद, भारत में खरीदार अभी भी संपत्ति की तलाश कर रहे हैं। सितंबर 2020 में घरों की मांग, वास्तव में, अपने पूर्व-सीओवीआईडी -19 स्तर पर पहुंच गई है, रियल इनसाइट Q3 2020 दिखाती है, PropTiger.com द्वारा भारत के आठ प्रमुख आवासीय बाजारों का त्रैमासिक कवरेज। इसके वर्चुअल रेजिडेंशियल डिमांड इंडेक्स के अनुसार, एक अपने दलाल दर निश्चित अवधि के भीतर आवासीय संपत्तियों को खरीदने के लिए ऑनलाइन उपभोक्ता हित को मापने के लिए एक बैरोमीटर, अधिक लोग संपत्ति खरीद के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि सरकार ने मार्च 2020 से भारत में चरणबद्ध लॉकडाउन लागू किया है। पूछताछ के बावजूद वॉल्यूम में वृद्धि हुई है, वे हमेशा वास्तविक लेनदेन में परिणत नहीं होते हैं, क्योंकि जॉब मार्केट में मौजूदा अनिश्चितता है। इसका मतलब है, दलाल जो अपने ग्राहकों को साइट पर जाने के लिए सहमत होने में सक्षम हैं, लेनदेन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गए हैं। ऐसे में संपत्ति की खरीद को सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। यह रियल्टीर्स के लिए ग्राहकों को संपत्ति दिखाते समय सामान्य गलतियों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है जो खरीदारों को रोक सकता है और इन गलतियों से बचने के लिए। संपत्ति के दौरे के दौरान दलालों की गलतियाँ जो खरीदारों को बंद कर देती हैं" चौड़ाई = "780" ऊंचाई = "197" />
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Collectorate- तहसीलदार न्यायालयों में खुलेआम आसंदी पर बैठते हैं दलाल, करते हैं मोटी कमाई
जबलपुर। साहब के डायस में निजी कर्मचारी का कब्जा, आलमारियों में रखी महत्वपूर्ण फाइलों तक उनकी पहुंच और न्यायालय कक्ष के बाहर हर प्रकरण में कमाई के लिए रायशुमारी, राजस्व न्यायालयों में ये नजारा आम हो गया है। तहसीलदार न्यायालयों कों निजी कर्मचारियों से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। कोतवाली से लेकर गोहलपुर, गोरखपुर, केंट न्यायालय कक्ष में एेसी घुसपैठ है कि उनकी मर्जी के बगैर एक भी फाइल आगे नहीं बढ़ती है।
सीएस ने दिया था आदेश
मुख्य सचिव सीएस बीपी सिंह ने जबलपुर दौरे पर आदेशित किया था कि राजस्व न्यायालयों से आउट सोर्सेस का दखल खत्म होना चाहिए। लेकिन अब तक उन्हें नहीं हटाया गया। इसे लेकर कलेक्टर के पास पहुंची एक गुप्त शिकायत से समूचे कलेक्ट्रेट में हड़कं प मच गया है। शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत पत्र में बाकायदा हर निजी कर्मचारी व दलालों के कृत्य को फोटोग्राफ के जरिए दर्शाया है।
सीमांकन, नामांकरण सभी की दलाली दर तय
तहसीलदारों ने अपनी सुविधा के लिए निजी खर्चे पर इन कर्मचारियों को रखा है। सूत्रों के अनुसार वे इसका भरपूर लाभ उठाते हैं। बंटवारा, सीमांकन, नामांतरण के हर प्रकरण पर दलाली की दर तय हैं। हर प्रकरण पर होने वाली कमाई का हिस्सा संबंधित पीठासीन अधिकारी से लेकर अपने दलाल दर अपने दलाल दर निजी कर्मचारी, लिपिक व कम्प्यूटर ऑपरेटर के बीच बांटा जाता है।
दस्तावेज में हेराफेरी, मनमानी
सूत्रों के अनुसार राजस्व न्यायालयों में कार्यरत ये निजी कर्मचारी दस्तावेजों में हेर-फे र कर आवेदकों को भी भटकने पर मजबूर कर देते हैं। खास बात तो ये कि इन निजी कर्मचारियों की कोई जवाबदेही नहीं होती इसके कारण वे मनमानी करते हैं।
निजी कर्मचारी हटाएं जाएंगे
कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी के अनुसार सभी न्यायालयों में कार्यरत निजी कर्मचारियों की जानकारी लेकर उन्हें हटाया जाएगा। न्यायालय कक्ष में किसी भी बाहरी व्यक्ति का दखल न हो ये सुनिश्चित कराएंगे।
ऐसा था नजारा
- कोतवाली तहसीलदार के न्यायालय कक्ष का नजारा हैरान करने वाला है। यहां निजी कर्मचारी एडी सोनी तहसीलदार के डायस पर चढ़ जाता है। फाइलों को अपने हिसाब से क्रम देता है।
- वीरू कुमार प्राइवेट कर्मचारी हैं। नामांतरण होने के बाद केस की नस्ती बनाते हैं और नए केस में ऑर्डर **** व्यवस्थित करने व नोटिस काटने का काम करते हैं।
- गोहलपुर तहसीलदार के न्यायालय कक्ष में प्राइवेट कर्मचारी राजेंद्र परिहार सालों से कार्यरत है। सूत्रों के अनुसार अक्सर प्रकरण मूल अपने दलाल दर आर्डर छुपा देते हैं।
- बी शाह नाम के व्यक्ति को नामांतरण कराने का उस्ताद बताया जाता है। वो दिनभर कोतवाली, गोहलपुर तहसीलदार के डायस में घंटों बैठा रहता है, लेकिन उसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।
- अंजुम चाचा की सभी एसडीएम न्यायालयों की आलामारियों तक पहुंच है। वे खुद किसी भी आलमारी को खोलकर किसी भी प्रक रण अपने दलाल दर की फाइल निकाल लेते हैं।
सूरत : जमीन दलाल से 55 लाख के सामने फाइनेंसरों ने 1 करोड़ रुपये वसूली कर धमकी दी
सूरत के मोटा वराछा में रहने वाले एक जमीन दलाल ने अमरोली पुलिस में एक फाइनेंसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसने 2 फीसदी ब्याज पर 55 लाख रुपये का भुगतान करने के बावजूद 3 फीसदी जुर्माना के साथ 1 करोड़ रुपये वसूल किए। चार माह में ब्याज सहित 60 लाख रुपए देने के बावजूद फाइनेंसर उसे परेशान कर रहा था।
जमीन दलाल राजू बालाभाई इटालिया ( उम्र 40 मूल रूप से वाडिया, ता. पलिताना, जिला भावनगर में रहते हैं) ने वर्ष 2019 में घंघाकीय हेतू के लिए मार्च 2019 में मोटा वराछा रॉयल स्कवेर में ऑफिस रखने वाले फायनान्सर जगदीश कानाभाई राठोड उर्फ जे.के. राजपूत से 2 प्रतिशत ब्याज पर 55 लाख रुपये लिए थे। जुलाई 2019 में, राजू ने जे.के. को ब्याज सहित 60 लाख रुपये का भुगतान किया। हालांकि, फाइनेंसर ने 3% के जुर्माने के साथ 1 करोड़ रुपये उघराणी करना शुरू कर दिया और फरवरी 2021 में, उन्होंने राजू के आवासीय फ्लैट की डीड अपने नाम कर ली।
सूरत : विधानसभा चुनाव-2022 के दौरान 1 दिसंबर को मतदान के लिए कामदारों तथा श्रमिकों को सवेतन अवकाश
छुट्टी की घोषणा के कारण संबंधित श्रमिकों/कर्मचारियों अपने दलाल दर के वेतन से कोई कटौती नहीं की जायेगी
बारकोड स्कैन कर देख सकते हैं मतदाता विवरण, मतदाता पर्ची के पीछे मतदान केंद्र का गूगल मैप भी दिया है
सूरत : सरकारी कर्मचारियों ने किया मतदान के अधिकार का प्रयोग, पोस्टल बैलेटसे वोट डाला
शहर जिले के पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट पेपर से मतदान किया
सूरत से दुकान बंद कर फरार होकर अपने दलाल दर वतन से भागे पिता-पुत्र खेतिहर मजदूर बन गए, फोटो अपलोड करने पर पता चला
ईश्वर के दलाल / विनोद दास
क्या ईश्वर के पास सीधी सुनवाई नहीं है
क्या वहाँ भी प्रवेश निषिद्ध की तख्ती बाहर टँगी हुई है
हमारे यहाँ के दफ़्तरो की तरह
जहाँ चपरासी के हाथ गर्म किए बिना
अपारदर्शी दरवाज़ों को पारकर
कोई जल्दी नहीं पहुँच पाता है
अफ़सर के पास
मद्धिम प्रकाश से दीप्त
आधुनिक आश्रम में
कोई चुपके से
उसके कान में आकर धीरे से फुसफुसाता है
कि बाबा के आप्त वचनों में
संसार के सभी मर्ज़ों का इलाज़ है
हालाँकि हकीक़त यह है
कि बाबा के निजी वैद्य
और उनके अन्तर्वस्त्र के सिवा
यह राज़ कोई नहीं जानता
कि बाबा ख़ुद बवासीर के रोगी हैं
उनकी गुदा के मस्सों से फूटता है रक्त
शायद ईश्वर बेरोज़गार होता
और ऐसी विभूतियाँ भी
यदि हमारा घर, पास-पड़ोस प्यार से भरा होता
हमने दुखियों की भाषा पढ़ ली होती
अपने दलाल दर
अस्वीकरण :
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