तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है

सुरक्षा विश्लेषण व्यापार के कुल मूल्य का आकलन करने के लिए शेयरों और अन्य उपकरणों की तरह प्रतिभूतियों के मूल्य का विश्लेषण करने की विधि को संदर्भित करता है जो निवेशकों को निर्णय लेने के लिए उपयोगी होगा। प्रतिभूतियों के मूल्य का विश्लेषण करने के तीन तरीके हैं - मौलिक, तकनीकी और मात्रात्मक विश्लेषण।
हिन्दी; ई की जगह ऊ की मात्रा : हिंदी के हिन्दुत्वीकरण की साजिश
पूरे देश पर बलात् हिंदी थोपने का रास्ता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट (Report of the parliamentary committee headed by Amit Shah) ने भाषा के संबंध में अब तक की मान्य, स्वीकृत और संविधानसम्मत नीति को उलट कर पूरे देश पर जबरिया हिंदी थोपने का रास्ता खोलने की आशंका साफ़-साफ़ सामने ला दी है।
अमित शाह की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति की दो सिफारिशें इस इरादे को स्पष्ट करती हैं।
रिपोर्ट की एक सिफारिश कहती है कि “देश में तमाम तकनीकी तथा गैर तकनीकी संस्थानों में पढ़ाई तथा अन्य गतिविधियों का माध्यम हिंदी होनी चाहिए और अंगरेजी को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए।”
इसी रिपोर्ट की एक अन्य सिफारिश सरकारी विज्ञापनों के बजट का 50 प्रतिशत हिंदी भाषी विज्ञापनों के लिए आरक्षित करने की है। इस सिफारिश के ‘इंडिया दैट इज भारत’ पर क्या प्रभाव होंगे इन पर नजर डालने से पहले इसके असली मंतव्य को देखना सही होगा।
क्या यह वाकई गुजराती भाषी अमित शाह का हिन्दी प्रेम है ?
क्या यह गुजराती भाषी अमित शाह की अध्यक्षता वाली समिति की इस घोषणा के पीछे उछाल लेता हिन्दी प्रेम है ? नहीं।
यह मसला जितना दिखता है उतना भर नहीं है; इरादा हिंदी भाषा के सम्मान का बिलकुल नहीं है, बल्कि जैसा कि, इस राज में, अब तक तिरंगे सहित लगभग सारे स्थापित प्रतीकों और साझी विरासतों के साथ किया गया है वही हिंदी के साथ करने का है। उसमें ई की जगह ऊ की मात्रा लगाने का है; हिंदी के हिन्दुत्वीकरण का है। यह, जैसा कि दावा किया गया है, अंग्रेजी के वर्चस्व को खत्म करने के लिए नहीं है, उस बहाने, उसके नाम पर हिंदी के वर्चस्व को स्थापित करने की कोशिश है। जर्मनी के नाज़ियों और इटली के फासिस्टों से एक भाषा – एक नस्ल – एक संस्कृति – एक धर्म की भौंडी समझदारी के आरएसएस नजरिये को अमल में लाने की है।
हिंदी – या और किसी भी भाषा को – किसी धर्म विशेष से बांधना उसके धृतराष्ट्र-आलिंगन के सिवा और कुछ नहीं। ऐसे तत्वों की एक सार्वत्रिक विशेषता है; वे न हिंदी ठीक तरह से जानते हैं, न हिंदी के बारे में कुछ जानते हैं।
अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति को तो हिंदी के बारे में भी कुछ नहीं पता। इन्हें नहीं मालूम कि हिंदी एक ताज़ी ताज़ी आधुनिक भाषा है – अमीर खुसरो ने हिंदवी के रूप में इसकी शुरुआत की थी। उसके बाद के वर्षों में, अनेक सहयोगी भाषाओं, बोलियों के जीवंत मिलन से यह अपने मौजूदा रूप में आयी है। जब तक इसका यह अजस्र स्रोत बरकरार है, जब तक इसकी बांहें, जो भी श्रेष्ठ और उपयोगी है, का आलिंगन करने के लिए खुली हैं, जब तक इसकी सम्मिश्रण उत्सुकता बनी है, तब तक इसकी जीवंतता है।
हिंदी के कितने रूप?
हिंदी खुद बहुवचन – हिन्दियां – है। बिहार की हिंदी, मध्य प्रदेश की हिंदी नहीं हैं, उत्तर प्रदेश के अवध की हिंदी और बिहार के मगध की हिंदी ही नहीं खुद उप्र के बघेलखण्ड, ब्रज और रूहेलखंड की हिन्दियाँ अलग-अलग हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा और भिलाई की हिन्दियाँ भिन्न हैं। इसका संस्कृतीकरण करके इसे क्लिष्ट और समझ से परे बनाना खुद इस भाषा और इसे बोलने वालों के साथ मजाक है।
मध्य प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को हिंदी में दिए जाने की बेतुकी घोषणा और उसके लिए जारी की गयी कौतुकी भाषा में तैयार पाठ्यपुस्तकों ने खुद हिंदी को हास्यास्पद बनाया है। एक ऐसा विज्ञान जिसकी सारी तकनीकी जानकारियों का उद्गम और स्रोत हिंदी से बाहर का है, उसका जबरिया हिन्दीकरण कहीं नहीं ले जाने वाला। जो इस कोर्स में पढ़कर निकलेंगे, उन्हें कोई डॉक्टर नहीं मानने वाला। इसी तरह का एक मजाक यूपी में ए से अर्जुन और बी से बलराम पढ़ाने का हो रहा है।
इस गिरोह को नहीं पता कि भारत दुनिया का सबसे बहुभाषी देश है। यह वह देश तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है है जहां “कोस कोस में पानी बदले / चार कोस में वाणी” की लोकोक्तियाँ सिर्फ हिंदी में नहीं, सभी भाषाओं में मिलती हैं। अकेले संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषायें हैं। इस अनुसूची का प्रावधान करते हुए संविधान निर्माताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ये सभी भाषायें राष्ट्रभाषा – नेशनल लैंग्वेज – हैं। सब बराबर है।
भारत की भाषाओं के ताजे अध्ययन के अनुसार देश में 1652 मातृभाषाएं हैं। (इंडिया; ए कंट्री स्टडी बाय जेम्स हेल्टमैन और रॉबर्ट एल वोर्डेन (1995)।
1921 की जनगणना ने चार भाषा परिवारों की 188 भाषाओं को सूचीबद्ध किया था। इसके अलावा कोई 19500 बोलियां बोलियां हैं। दुनिया की, अब तक प्रचलित और व्यवहार में लाई जाने वाली प्राचीनतम भाषाओं में शामिल तमिल और संथाली भारत की ही भाषाएँ हैं।
भाषाओं को लेकर हुए सभी अध्ययन संख्या में कुछ फर्क के साथ इन्हें 200 से कम नहीं बताते। यह विविधता भारतीय भूखंड की समृद्धि और सामर्थ्य है।
भाषा कैसे बनती है?
भाषा रातोंरात नहीं बनती। भाषा का विकास हजारों वर्षों तक चली प्रक्रिया से होता है। भाषा सिर्फ संवाद, कम्युनिकेशन का माध्यम या कैरियर की सीढ़ी नहीं होती। भाषा व्यक्ति और मनुष्यता को संस्कारित करती है, परवरिश करती है। भाषा समाज के प्रति दृष्टिकोण को ढालती तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है है। भाषा एक तरह से एक टूल होती है, समझने बूझने का, विश्लेषण करने का और बाद में उसे संचित कर औरों तक पहुंचाने का। इस तरह भाषा व्यक्ति को लोक और समाज से जोड़ती है – जो फिर से उस लोक और समाज की चेतना में वृद्धि करता है।
मातृभाषा सर्वश्रेष्ठ भाषा क्यों मानी जाती है?
मातृभाषा इसीलिए सर्वश्रेष्ठ भाषा मानी जाती है। पढ़ाने, लिखाने के लिए भी और उस लोक के लायक इंसान बनाने के लिए भी। इसलिए नहीं कि वह उसे घुट्टी में मिली होती है, बल्कि यह उसे उस जगत से जोड़ती है – उस जगत की अब तक की संचित ज्ञान परंपरा से जोड़ती है, जहां उसकी उत्पत्ति हुई है और 99 % मामलों में जहां उसे जीवन गुजारना है। भाषा – मातृभाषा – सिर्फ शिल्प, व्याकरण में नहीं होती वह कहानियों में, लोरियों में, मुहावरों में, पहेलियों में भी होती है। वह व्यक्ति को बनाती है। उसका व्यक्तित्व संवारती है। उसे इंसान जैसा बनाती है।
हिंदी के आरम्भिक बड़े साहित्यकार भारतेन्दु हरिशचंद्र अपने काव्य “निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल'” कहते समय इसी के महत्त्व को बता रहे होते हैं। ध्यान रहे वे निज भाषा की बात कर रहे हैं – सिर्फ एक भाषा की नहीं।
हर भाषा का अपना उद्गम है, सौंदर्य है, आकर्षण है, उनकी मौलिक अंतर्निहित शक्ति है। बाकी को कमतर समझने की यह आत्ममुग्धता दास भाव भी जगाती है, संकीर्ण और विस्तारवादी भी तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है बनाती है। यह खुद हिंदी को अनेक समृद्ध बोलियों से अलग करता है। उसका तत्समीकरण कर उसे उसके स्वाभाविक गुण से वंचित कर खास तरह के सामाजिक राजनीतिक वर्चस्व का रास्ता तैयार करता है।
अंग्रेजी की जगह हिंदी का वर्चस्व कायम करना, भारत के नागरिकों की निज भाषा – मातृभाषा – का अधिकार उनसे छीनने जैसा है। यही “एक संस्कृति, एक अलां एक फलां” वाला वर्चस्वकारी सोच है जो एक भाषा से प्यार और उसके मान का मतलब बाकी भाषाओं का धिक्कार और तिरस्कार मानता है। किसी एक भाषा को उत्कृष्ट मानकर बाकी भाषाएँ निकृष्ट मानता है। श्रेष्ठता बोध दूसरे को निकृष्ट मानकर रखना एक तरह की हीन ग्रंथि है – मनोरोग है। आरएसएस का भारतीय भाषाओं के प्रति इसी तरह का रुख रहा है। यह उनकी उत्तरी भूभाग – मनुस्मृति में दर्ज आर्यावर्त – को ही भारत मानने की समझदारी है। यह विविधता में एकता के सार और राज्यों के संघ के रूप दोनों को नकारने के लिए हिंदी को सीढ़ी बनाने की कोशिश है – मगर यहीं तक रुकेगी नहीं।
संघ के हिसाब से उनके एक नस्ल और धर्म – आर्य – की भाषा संस्कृत है। वह देव भाषा जिसे पढ़ने लिखने बोलने का हक़ सिर्फ द्विजों, उनमे भी पुरुषों, का है। बाकी सब राक्षसी, असुर भाषाएँ हैं।
तात्कालिक रूप से अमित शाह समिति की सिफारिशें केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी जैसे उच्च तकनीकी संस्थानों के हिन्दीकरण के जरिये भारत की उस विराट आबादी को शिक्षा और इस तरह नौकरियों के अवसर और अधिकार से वंचित करने की हैं। मगर अपने अंतिम निष्कर्ष में यह एक ख़ास तरह के सामाजिक वर्चस्व की कायमी की है। इसलिए हिंदी भाषा भाषियों के लिए भी जरूरी हो जाता है कि वे संसदीय समिति के सुझाव के बाकी इरादों पर आने से पहले इसमें खुद हिंदी और हिन्दुस्तान के लिए निहित खतरों को ठीक ठीक तरह से समझें।
बादल सरोज
चार्ट किस बारे में बात करते हैं: तकनीकी विश्लेषण क्या है, और निवेशक इसका उपयोग क्यों करते हैं
एक्सचेंज पर कारोबार करने वाली परिसंपत्तियों का विश्लेषण करने के कई तरीके हैं। उदाहरण के लिए, कंपनियों और उनके शेयरों के मामले में, मौलिक विश्लेषण है जो निवेशकों को वर्तमान व्यापार मूल्यांकन और इसकी संभावनाओं की वैधता को समझने की अनुमति देता है। एक अन्य विधि तकनीकी विश्लेषण है, जिसमें ऐतिहासिक डेटा का अध्ययन करना शामिल है, जिसमें एक वित्तीय साधन की कीमत और व्यापारिक मात्रा में परिवर्तन शामिल हैं।
इन्वेस्टोपेडिया पोर्टल बताता है कि तकनीकी विश्लेषण क्या है, आप इस पर कितना भरोसा कर सकते हैं और आधुनिक निवेशक इस उपकरण का उपयोग कैसे करते हैं। हम आपके ध्यान में इस सामग्री के मुख्य विचार प्रस्तुत करते हैं।
नोट : संकेतक एक्सचेंज-ट्रेडेड एसेट्स के साथ काम करने के लिए सिर्फ एक सहायक उपकरण हैं, वे सकारात्मक ट्रेडिंग परिणामों तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है की गारंटी नहीं देते हैं। संकेतकों के उपयोग को समझने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग टर्मिनल (उदाहरण के लिए, SMARTx ), साथ ही साथ ब्रोकरेज खाते की आवश्यकता है - आप इसे ऑनलाइन खोल सकते हैं। आप आभासी पैसे के साथ एक परीक्षण खाते का उपयोग करके अभ्यास कर सकते हैं ।
तकनीकी विश्लेषण: एक संक्षिप्त इतिहास
शेयरों और रुझानों के तकनीकी विश्लेषण की अवधारणा सैकड़ों वर्षों से आसपास है। यूरोप में, व्यापारी जोसेफ डी ला वेगा ने 17 वीं शताब्दी में हॉलैंड में बाजारों के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए तकनीकी विश्लेषण प्रथाओं का उपयोग किया।
अपने आधुनिक रूप में, तकनीकी विश्लेषण का गठन चार्ल्स डॉव, विलियम पी। हैमिल्टन, रॉबर्ट रिया, डॉव सिद्धांत के लेखक और निकोलस डर्वस जैसे आम लोगों सहित अन्य तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है फाइनेंसरों द्वारा किया गया था।
इन लोगों ने एक बाजार की कल्पना की जिसमें लहरें शामिल हैं जो चार्ट पर किसी विशेष संपत्ति के मूल्य और ट्रेडिंग वॉल्यूम के उच्च और चढ़ाव के अनुरूप हैं। तकनीकी विश्लेषण की सभी अवधारणाओं को एक साथ लाया गया और 1948 में प्रकाशित स्टॉक मार्केट ट्रेंड्स की टेक्निकल एनालिसिस बुक में रॉबर्ट डी। एडवर्ड्स और जॉन मैगी द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत किया गया।
1990 के दशक में, जापानी कैंडलस्टिक्स के विश्लेषण पर आधारित एक तकनीक ने संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रियता हासिल की - इस विधि का उपयोग जापानी व्यापारियों द्वारा चावल के व्यापार में रुझान निर्धारित करने के लिए सैकड़ों साल पहले किया गया था। निवेशकों ने बाजार के उलटफेर की भविष्यवाणी करने के लिए मूल्य तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है आंदोलनों के नए पैटर्न को देखने के प्रयास में स्टॉक चार्ट का विश्लेषण किया।
के लिए तकनीकी विश्लेषण क्या है?
तकनीकी विश्लेषण, इसके मूल में, उन पर खेलने और पैसा कमाने के लिए भविष्य के मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी करने का एक प्रयास है। ट्रेडर्स स्टॉक और अन्य वित्तीय साधनों के चार्ट पर संकेतों की तलाश करते हैं जो रुझानों के उद्भव या इसके विपरीत, उनके अंत का संकेत दे सकते हैं।
सामान्य तौर पर, तकनीकी विश्लेषण शब्द मूल्य आंदोलनों की व्याख्या करने के लिए दर्जनों रणनीतियों को जोड़ता है। उनमें से अधिकांश यह निर्धारित करने के आसपास बनाए गए हैं कि क्या वर्तमान प्रवृत्ति पूरी होने के करीब है, और यदि नहीं, तो उलट की उम्मीद कैसे करें।
कुछ तकनीकी विश्लेषण संकेतक प्रवृत्ति तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है लाइनों का उपयोग करते हैं, अन्य जापानी कैंडलस्टिक्स का उपयोग करते हैं, और कुछ ऐसे हैं जहां एक व्यापारी गणितीय विज़ुअलाइज़ेशन का विश्लेषण करता है। चार्ट पर एक विशिष्ट पैटर्न व्यापार के लिए वांछित प्रविष्टि या निकास बिंदु का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
तकनीकी विश्लेषण के दो मुख्य प्रकार चार्ट पर पैटर्न खोज रहे हैं या तकनीकी, सांख्यिकीय संकेतक का उपयोग कर रहे हैं। में इस लेख, हम लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण संकेतकों में से कुछ को देखा।
एक व्यापार से चिह्नित प्रविष्टि और निकास बिंदुओं के साथ संकेतक "चलती औसत"।
इस प्रकार के विश्लेषण का मुख्य सिद्धांत यह है कि कीमत सभी मौजूदा जानकारी को दर्शाती है जो बाजार को प्रभावित करती है। इसका मतलब यह है कि यह सभी कारकों का विश्लेषण करने का कोई मतलब नहीं है, जैसे कि व्यापार की बुनियादी बातों, अर्थव्यवस्था की सामान्य स्थिति या बाजार में कुछ विकास के नए विकास। एक कीमत है, यह पहले से ही सब कुछ के बारे में बोलता है, तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है लेकिन कीमतें चक्रीय रूप से चलती हैं।
तकनीकी और मौलिक विश्लेषण के समर्थकों के दृष्टिकोण में अंतर महत्वपूर्ण हैं। जबकि पूर्व बाजार के ज्ञान में विश्वास करता है, जो मूल्य के माध्यम से रुझान बनाता है, उत्तरार्द्ध का मानना है कि बाजार अक्सर वास्तव में महत्वपूर्ण कारकों को कम करके आंका जाता है। फंडामेंटलिस्टों का मानना है कि चार्ट पैटर्न किसी व्यवसाय के लेखांकन आंकड़ों की तुलना में कम महत्वपूर्ण हैं जिनके स्टॉक का निवेशक द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है।
तकनीकी विश्लेषण तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है की सीमाएं
तकनीकी विश्लेषण का मुख्य नुकसान यह है कि यहां कोई भी निर्णय चार्ट की व्याख्या के आधार पर किया जाता है। एक व्यापारी व्याख्या में गलती कर सकता है, या एक सही परिकल्पना के गठन के लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम नगण्य हो जाता है, संकेतक के लिए समय अवधि जैसे कि चलती औसत बहुत बड़ी या बहुत छोटी हो सकती है, आदि।
और एक और महत्वपूर्ण कारक: जितना अधिक लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण और इसकी विशिष्ट तकनीक और संकेतक बनते हैं, उतना ही यह समझना मुश्किल हो जाता है कि क्या कीमत ने चार्ट पर खुद एक निश्चित पैटर्न बनाया है, या हजारों निवेशक एक ही तस्वीर देखते हैं, मानते हैं कि बाजार गिर जाएगा और बिक्री शुरू होगी। उसकी गिरावट तेज?
किसी भी मामले में, तकनीकी विश्लेषण बाजार का विश्लेषण करने के तरीकों में से एक है। अनुभवहीन निवेशकों को अकेले इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वर्चुअल मनी के साथ परीक्षण खाते का उपयोग करके ट्रेडिंग टर्मिनल में उपलब्ध तकनीकी विश्लेषण दृष्टिकोण तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है और मौजूदा संकेतकों का अध्ययन करना बेहतर है ।
सुरक्षा विश्लेषण
सुरक्षा विश्लेषण व्यापार के कुल मूल्य का आकलन करने के लिए शेयरों और अन्य उपकरणों की तरह प्रतिभूतियों के मूल्य का विश्लेषण करने की विधि को संदर्भित करता है जो निवेशकों को निर्णय लेने के लिए उपयोगी होगा। प्रतिभूतियों के मूल्य का विश्लेषण करने के तीन तरीके हैं - मौलिक, तकनीकी और मात्रात्मक विश्लेषण।
विशेषताएं
- इक्विटी, ऋण, और किसी कंपनी के वारंट जैसे वित्तीय साधनों को महत्व देना।
- सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का उपयोग करने के लिए। अंदरूनी जानकारी का उपयोग अनैतिक और अवैध है।
- सुरक्षा विश्लेषकों को निवेश पेशे का संचालन करते समय ईमानदारी, सक्षमता और परिश्रम के साथ कार्य करना चाहिए।
- विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करने के लिए, इसमें मौलिक, तकनीकी और मात्रात्मक दृष्टिकोण शामिल हैं।
- सुरक्षा विश्लेषकों को ग्राहकों के हित को अपने निजी हितों से ऊपर रखना चाहिए।
उदाहरण
# 1 - बॉक्स आईपीओ विश्लेषण
बॉक्स आईपीओ मूल्यांकन के लिए, मैंने निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया है -
- सापेक्षिक मूल्य - SAAS तुलनात्मक कम्पास
- तुलनीय अधिग्रहण विश्लेषण
- स्टॉक-आधारित रिवार्ड्स का उपयोग करके मूल्यांकन
- बॉक्स प्राइवेट इक्विटी फंडिंग से वैल्यूएशन cues
- ड्रॉपबॉक्स निजी इक्विटी फंडिंग वैल्यूएशन से वैल्यूएशन cues
- बॉक्स DCF मूल्य
आप यहां से बॉक्स वैल्यूएशन एनालिसिस के बारे में अधिक जान सकते हैं।
# 2 - अलीबाबा आईपीओ विश्लेषण
अलीबाबा आईपीओ का विश्लेषण करने में, मैंने मुख्य रूप से डिस्काउंट कैश फ्लो तकनीक का इस्तेमाल किया
आप इस लेख से अलीबाबा के सुरक्षा विश्लेषण करने के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं - अलीबाबा मूल्यांकन विश्लेषण
सुरक्षा विश्लेषण के प्रकार
नीचे शीर्ष 3 प्रकार के सुरक्षा विश्लेषण दिए गए हैं।
प्रतिभूतियों को मोटे तौर पर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स (स्टॉक), डेट इंस्ट्रूमेंट्स (बॉन्ड्स), डेरिवेटिव्स (ऑप्शंस), या कुछ हाइब्रिड (कन्वर्टेड बॉन्ड) में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्रतिभूतियों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित तीन विधियों का उपयोग करके सुरक्षा विश्लेषण किया जा सकता है: -
# 1 - मौलिक विश्लेषण
इस प्रकार का सुरक्षा विश्लेषण प्रतिभूतियों की एक मूल्यांकन प्रक्रिया है, जहां किसी शेयर के आंतरिक मूल्य की गणना करना प्रमुख लक्ष्य होता है। यह उन मूलभूत कारकों का अध्ययन करता है जो स्टॉक के आंतरिक मूल्य पर प्रभाव डालते हैं जैसे लाभप्रदता स्टेटमेंट और कंपनी के स्टेटमेंट स्टेटमेंट, प्रबंधकीय प्रदर्शन और भविष्य के दृष्टिकोण, वर्तमान औद्योगिक परिस्थितियों और समग्र अर्थव्यवस्था।
# 2 - तकनीकी विश्लेषण
इस प्रकार का सुरक्षा विश्लेषण एक मूल्य पूर्वानुमान तकनीक है जो सुरक्षा के भविष्य के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करने के लिए केवल ऐतिहासिक कीमतों, व्यापारिक संस्करणों और उद्योग के रुझानों पर विचार करता है। यह विभिन्न संकेतकों (जैसे एमएसीडी, बोलिंगर बैंड, आदि) को लागू करके स्टॉक चार्ट का अध्ययन करता है, यह मानते हुए कि हर मौलिक इनपुट को कीमत में विभाजित किया गया है।
# 3 - मात्रात्मक विश्लेषण
इस प्रकार का सुरक्षा विश्लेषण मौलिक और तकनीकी विश्लेषण दोनों के लिए एक सहायक पद्धति है, जो बुनियादी वित्तीय अनुपातों की गणना के माध्यम से स्टॉक के ऐतिहासिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, जैसे, प्रति शेयर आय (ईपीएस), निवेश पर रिटर्न (आरओआई), या जटिल मूल्यांकन। रियायती नकदी प्रवाह (DCF) की तरह।
सिक्योरिटीज का विश्लेषण क्यों?
प्रत्येक व्यक्ति का मूल लक्ष्य अपनी आय को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करके, अर्थात धन का उपयोग करके धन का सृजन करके अपने नेट वर्थ को बढ़ाना है। सुरक्षा विश्लेषण लोगों को उनके अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है, जैसा कि नीचे चर्चा की गई है:
# 1 - रिटर्न
निवेश का प्राथमिक उद्देश्य पूंजीगत प्रशंसा के साथ-साथ उपज के रूप में रिटर्न अर्जित करना है।
# 2 - कैपिटल गेन
कैपिटल गेन या सराहना बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर है।
# 3 - उपज
यह ब्याज या लाभांश के रूप में प्राप्त रिटर्न है।
रिटर्न = कैपिटल गेन + यील्ड
# 4 - जोखिम
यह निवेश की गई प्रमुख पूंजी को खोने की संभावना है। सुरक्षा विश्लेषण जोखिमों से बचता है और पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बाजार को बेहतर बनाने के अवसर भी बनाता है।
# 5 - पूंजी की सुरक्षा
उचित विश्लेषण के साथ पूंजी का निवेश; ब्याज और पूंजी दोनों को खोने के अवसरों से बचा जाता है। बॉन्ड जैसे कम जोखिम वाले ऋण साधनों में निवेश करें।
# 6 - मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति किसी की क्रय शक्ति को मार देती है। समय के साथ मुद्रास्फीति का कारण बनता है कि आप अपने स्वयं के प्रत्येक डॉलर के लिए अच्छा प्रतिशत खरीद सकें। उचित निवेश आपको मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव प्रदान करते हैं। बांड पर सामान्य स्टॉक या कमोडिटीज को प्राथमिकता दें।
# 7 - जोखिम-वापसी संबंध
एक निवेश की संभावित वापसी जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक जोखिम होगा। लेकिन उच्च जोखिम उच्च रिटर्न की गारंटी नहीं देता है।
# 8 - विविधीकरण
"सिर्फ अपने सभी अंडे एक ही टोकरी में न रखें," यानी, अपनी पूरी पूंजी को एक ही संपत्ति या परिसंपत्ति वर्ग में निवेश न करें, लेकिन विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों में अपनी पूंजी आवंटित करें और एक पोर्टफोलियो नामक संपत्ति का एक पूल बनाएं। लक्ष्य एक विशेष संपत्ति में अस्थिरता के जोखिम को कम करना है।
नोट: प्रतिभूतियों का विश्लेषण हर बार मुनाफे की गारंटी नहीं देता है क्योंकि शोध सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के साथ किया जाता है। हालांकि, कुशल बाजार की परिकल्पना (ईएमएच) के विपरीत, बाजार उपलब्ध सभी सूचनाओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है, और इस प्रकार सुरक्षा विश्लेषक तकनीकी और मौलिक दृष्टिकोणों का उपयोग करके बाजार को हरा सकते हैं।
अब टीवी पर समाचार पढ़ेंगे आर्टिफ़िशयल न्यूज़ एंकर
चीन की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने अपने स्टूडियो में एक ऐसा वर्चुअल न्यूज़ एंकर उतार दिया है, जो सूट-टाई पहने हुए होगा और जिसकी आवाज़ आपको किसी रोबोट जैसी लगेगी.
शिंहुआ न्यूज़ एजेंसी का यह दावा है कि ये न्यूज़ प्रेज़ेंटर ठीक उसी तरह ख़बरें पढ़ सकते हैं जिस तरह से प्रोफ़ेशनल न्यूज़ रीडर ख़बरें पढ़ते हैं. हालांकि न्यूज़ एजेंसी की इस बात से हर तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है कोई सहमत तो नहीं है.
एल्गार परिषद मामला: अदालत के आदेश के चार दिन बाद भी मुंबई की तलोजा जेल में हैं नवलखा
मुंबई: जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का नवी मुंबई की तलोजा जेल से बाहर निकलना अब भी बाकी है, जबकि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने उनके स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक महीने के लिए नजरबंद रखने की अनुमति दी थी.
70 वर्षीय नवलखा को अब भी जेल में रखे जाने का तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है कारण उनकी रिहाई की औपचारिकताओं के अब तक प्रक्रिया में होने को बताया जा रहा है.
नवलखा 2017-18 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में अप्रैल 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं. उन्होंने कई रोगों से खुद के ग्रसित होने का दावा किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को उन्हें कुछ शर्तों के साथ नजरबंद रखने की अनुमति देते हुए कहा था कि उसके आदेश का क्रियान्वयन 48 घंटे के अंदर किया जाना चाहिए.
हालांकि, सोमवार शाम तक वह जेल में ही हैं, क्योंकि उनकी रिहाई की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकी हैं.
उनके वकील के अनुसार, नवलखा की जेल से रिहाई की औपचारिकताएं मुंबई की एक विशेष एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) अदालत के समक्ष सोमवार को शुरू की गई थी, जो उनके खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही है.
जेल से रिहा होने पर नवलखा को नवी मुंबई के बेलापुर में निगरानी में रखा जाएगा. शीर्ष न्यायालय के आदेश के अनुसार, नवलखा मुंबई से बाहर नहीं जा सकेंगे.
उनके वकील ने सोमवार को विशेष एनआईए न्यायाधीश राजेश कटारिया को नजरबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अवगत कराया और उनकी रिहाई की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत राशि भरने की प्रक्रिया शुरू की.
सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा के मुंबई में रहने के लिए कई शर्तें लगाई थीं, जिनमें सुरक्षा के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने, कमरों के बाहर और आवास के प्रवेश एवं निकास द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सोमवार को जब नवलखा की कानूनी टीम जमानत की आवश्यकता के संबंध में औपचारिकताएं पूरी करने गई, तो रजिस्ट्रार कार्यालय ने उस व्यक्ति के सॉल्वेंसी (करदान क्षमता) प्रमाण-पत्र पर जोर दिया, जो नवलखा के लिए जमानत देने के लिए सहमत हुए थे.
नवलखा के वकील ने तब विशेष एनआईए अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें उन्हें 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार 2 लाख रुपये की नकद जमानत देने की अनुमति दी गई और साथ ही उन्हें पुलिस टीम के खर्च और हाउस अरेस्ट अवधि के लिए सुरक्षा शुल्क जमा करने की अनुमति दी गई.
उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें बाद में सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट जमा करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि संबंधित तहसीलदार के कार्यालय से इसे प्राप्त करने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा.
उसके बाद अदालत ने एनआईए से याचिका का जवाब देने को कहा और मामले को मंगलवार को आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.
पुलिस टीम और सुरक्षा शुल्क के संबंध में नवलखा को पहले स्थानीय पुलिस आयुक्त कार्यालय को शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा गया था, जो सुरक्षा कवर प्रदान करेगा.
नवलखा के वकील ने विशेष अदालत को सूचित किया कि जब कानूनी टीम ने आयुक्त कार्यालय में 2.4 लाख रुपये का ड्राफ्ट जमा किया, तो संबंधित अधिकारी ने भुगतान स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
उसके बाद वकील ने शुल्क लेने से इनकार करने को लेकर नवी मुंबई पुलिस के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया, जो कि नवलखा को हाउस अरेस्ट से रिहा करने की शर्तों में से एक है. अदालत ने भुगतान के मुद्दे पर नवी मुंबई पुलिस और एनआईए को भी नोटिस जारी किया.
गौरतलब है कि नवलखा के खिलाफ मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. पुलिस का दावा है कि इसकी वजह से अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में स्थित भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई थी.
पुणे पुलिस के अनुसार, प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) समूह से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन किया था.
मामले के 16 आरोपियों में से केवल दो आरोपी वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और तेलुगू कवि वरवरा राव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. 13 अन्य अभी भी महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं.
आरोपियों में शामिल फादर स्टेन स्वामी की पांच जुलाई 2021 को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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